Last Updated:
एक रिसर्च में वैज्ञानिकों तब अजीब नतीजे मिले जब उन्होंने कुछ ठंडे पानी की मछलियों की रफ्तार की पड़ताल की. उन्होंने कुछ तेजी से तैरने वाली मछलियों का अध्ययन किया तो पाया कि उनमें एक दवा की वजह से ऐसा हो रहा है. …और पढ़ें

हैरानी की बात ये थी प्रदूषण ने मछलियां के क्षमता बढ़ा दी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
हाइलाइट्स
- ठंडे पानी की मछलियों की रफ्तार में दवा का असर पाया गया
- दर्द निवारक दवाओं के अंश से मछलियों की रफ्तार तेज हुई
- वैज्ञानिकों ने दवा प्रदूषण के खतरों पर चेतावनी दी
एक रिसर्च में वैज्ञानिकों अजीब नतीजे मिले है. उन्होंने कुछ ठंडे पानी की मछलियों की रफ्तार की पड़ताल की. उन्होंने पाया की कुछ सैल्मन मछलियों के तैरने की रफ्तार तेज हो गई है. इसका जब उन्होंने कारण जानने के लिए और खोजबीन की तो उन्होंने पाया कि एक दवा की वजह से ऐसा हो रहा है. दवा की जानकारी ने उनके होश उड़ा दिए क्योंकि मछलियों में दर्द निवारक दवाओं के ट्रेसेस थे. समुद्र में डम्पिंग की जा रही दर्द निवारक दवाओं के अंश उनके अंदर पहुंचे जिनका असर ऐसा हुआ कि उनकी रफ्तार तेज हो गई. लेकिन वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अध्ययन के नतीजे से किसी को उत्साहित होने का जरूरत नहीं है.
प्रदूषण के असर की पड़ताल
स्विडिश यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर साइंसेस की अगुआई में अंतरराष्ट्रीय शोधकर्ताओं ने किया था वे पड़ताल कर रहे थे कि कैसे फार्मा उत्पादों का प्रदूषण अंटलांटिक महासागर में पाई जाने वाली सैल्मन मछलियों के बर्ताव और विस्थापन पर पड़ता है. साइंस जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के ये नतीजे देखने में भले ही उत्साह बढ़ाने वाले हो, लेकिन वेज्ञानिकों का साफ कहना है कि यह सब बुरे प्रभावों का ही संकेत है.
खतरनाक ही है ये
ग्रिफ़िथ विश्वविद्यालय के ऑस्ट्रेलियाई रिवर्स इंस्टीट्यूट के डॉ. मार्कस माइकल एंजेली ने दुनिया भर में वन्यजीवों और इकोसिस्टम के लिए दवा प्रदूषण के बढ़ते खतरे पर जोर दिया. उन्होंने बताया दुनिया भर के जलमार्गों में अब तक 900 से अधिक विभिन्न पदार्थों का पता लगाया जा चुका है. नियंत्रित हालात में किए प्रयोग चाहे जो भी नतीजे दिखाए हैं. असल दुनिया में ये बड़े खतरे की ओर इशारा कर रहे हैं.

पेन किलर्स का असर वैज्ञानिकों की नजर में अच्छा नहीं बल्कि बुरा ही था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
चौंकने की जरूरत नहीं है
हैरानी की बात ये है कि दवाओं के असर से सैल्मन मछलियों की तैरने की रफ्तार में इजाफा हुआ है. वहीं दवाएं दूसरे जानवरों में नींद का असर देने के लिए जानी जाती हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि अवसाद दबाने वाली दर्द खत्म करने वाली दवाएं जानवरों के दिमाग के कामों और बर्ताव से काफी छेड़छाड़ करने वाली साबित हो रही हैं.
यह भी पढ़ें: कैसे बने थे विशाल चट्टानों से पिरामिड, रिसर्च ने खोला नया राज, ‘हाई टेक’ और बाढ़ के पानी की ली थी मदद!
वहीं एक अजीब बात ये है कि इस तरह की दवाएं आमतौर पर इंसानी मरीजों में सुस्ती जैसा बर्ताव पैदा करती हैं. सैल्मन मछलियों पर यह असर बहुत ही उलट देखने को मिला है. फिर भी शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह कि दवाओं का असर बर्ताव में जोखिम अधिक बढ़ा देता है. शोधकर्ताओं का कहना है कि सैल्मन मछलियों की घटती तदाद के पीछे भी इसी तरह के प्रदूषण भी जिम्मेदार है.