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एक चौंकाने वाले अध्ययन में चिली की जीवाश्म विज्ञानी जूडिथ पार्डो-पेरेज़ ने 2009 में मिले इचथायोसॉर के कंकाल में पाया कि उसमें एक नहीं दो भ्रूण हैं, जो जुड़वा थे. यह जीवाश्म 13 करोड़ साल पुराना है खास बात ये है…और पढ़ें

16 साल तक वैज्ञानिकों को जुड़वा भ्रूणों का पता नहीं चला. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
लाखों करोड़ों साल पुराने जानवरों के कंकाल आदि की स्टडी आसान नहीं होती है. उनके बहुत से हिस्से पहले ही सड़ गल कर गायब हो चुके होते हैं. बहुत ही कम ऐसे होते हैं जो किसी चट्टान में दबे होते हैं और सदियों सहस्राब्दियों तक संरक्षित पड़े होते हैं और खुशकिस्मती से वैज्ञानिकों के हाथ भी लग जाते हैं. ऐसा ही एक बहुत ही अनोखा कंकाल वैज्ञानिकों के हाथ लगा था जो कि एकसमुद्र सरीसृप का था. यह जीव जब मरी थी तब प्रेग्नेंट थी. लेकिन इसे हासिल करने के 16 साल बाद जब इसकी स्टडी एक महिला साइंटिस्ट ने की तब उसे पता चला उसके गर्भ में एक नहीं दो भ्रूण थे.
पता चला ये तो जुड़वा हैं
मैगलन विश्वविद्यालय की चिली की जीवाश्म विज्ञानी जूडिथ पार्डो-पेरेज़ ने को जैसे ही इस रहस्य का पता चला, उन्होंने खुशी से उछल कर कहा, “जुड़वाँ! उसका तो एक और बच्चा है!” उन्हें यह जीवाश्म या फॉसिल 2009 में मिला था. वे अपनी इस नई खोज का जानकारी अपने नए रिसर्च पेपर में देंगी.
कैसे होते थे ये जीव?
यह कंकाल या अवशेष साल 2009 में दक्षिणी चिली के टेरेस ल पेन नेशनल पार्क में मिला था. यह इचथायोसॉर नाम के जीव का कंकाल था. इचथायोसॉर डॉलफिन की तरह दिखने वाला नुकीली चोंच वाले मुंह जैसा जीव होता है जो 25 से 6 करोड़ साल के बीच के मैसोजोइक दौर के महासागरों में रहा करता था. उस समय उसके अंदर 15 सेमी का भ्रूण उसके अंदर देखा गया था.

यह जीव डॉलफिन की तरह दिखाई देता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Shutterstock)
सालों बाद हुआ बदलाव
कहानी में बदलाव आने वाला था लेकिन ऐसा 2022 से पहले तक नहीं हुआ. इस साल को इसका फिओना रखा गया और तब से पार्डो-पेरेज़ और उनकी टीम ने इसका गहराई से अध्ययन किया और अध्ययन के शुरुआती नतीजे फरवरी में जर्नल ऑफ वर्टीबरेट पेलियोन्टोलॉजी में प्रकाशित हुए हैं. इचथयोसॉर 13 करोड़ साल पहले पृथ्वी पर थे और उनकी लंबाई 3.5 मीटर होती थी.
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यह तीसरी बार है जब ऐसी प्रेग्नेंट इचथयोसॉर का कंकाल मिला है. लेकिन शोधकर्ताओं को फियोना के पेट में उसकी खुराक के कुछ और सुराग भी मिले. उन्होंने पाया कि उसकी आखिरी खुराक छोटी मछलियों की थी. यह सारी जानकारी अगले शोधपत्र में जारी की जाएंगी.