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एक्सपर्ट्स को मध्य अमेरिका के टिकाल शहर में माया सभ्यता की वेदी और बच्चे का कंकाल मिला है. लेकिन उन्हें हैरानी उस कंकाल से ज्यादा उसकी बलि की वेदी पर हुई, जिसकी वजह मामूली लेकिन अजीब सी थी.

इसी मकबरे के अंदर वेदी और कंकाल दोनों ही मिले थे. (तस्वीर साभार: Brown University/Edwin Román Ramírez)
हाइलाइट्स
- माया सभ्यता की वेदी और बच्चे का कंकाल मिला
- वेदी की शैली टियोतिहुआकन की है, जो टिकाल से दूर है
- वेदी का निर्माण 400 ई. के आसपास हुआ था
एक पुरातन स्थल पर खुदाई में एक्सपर्ट्स को ऐसी चीजें मिली जिसने उन्हें बहुत ज्यादा हैरानी में डालने का काम काम किया है. बलि के वेदी के पास एक बच्चे के कंकाल मिला है जो मौत के समय बैठा हुआ था. लेकिन एक्सपर्ट्स को इससे भी अधिक हैरत उन्हें उस वेदी को देख कर हुई क्योंकि उससे उन्हें उस दौर के बारे में कुछ ऐसी बातें पता चली हैं जो काफी हट कर हैं. जी हां मध्य अमेरिका में पुरातन माया सभ्यता के एक शहर में पुरानी वेदी और मकबरे के इस खुलासे ने हलचल मचा दी है, लेकिन एक्सपर्ट्स इससे हैरान है कि आखिर यह वेदी, जो दूसरे शहर की शैली में बनी है, वह इस जगह पर क्यों बनाई गई थी?
कहां मिली है यह वेदी?
खास बात ये है कि यह वेदी और मकबरा जहां मिला है, वह माया सभ्यता का पुराना टिकाल शहर है. जबकि वेदी की शैली और अन्य खूबियों को देखकर साफ लगता है कि वह टियोतिहुआकन की वेदी है. उस दौर का यह शहर टिकाल से लगभग 600 मील दूर आज के मैक्सिको में बसा था.
इतनी दूर क्यों बनाया इसे?
एक्सपर्ट्स का कहना है कि इस वेदी का निर्माण 400 ई. के आसपास हुआ था. लेकिन दोनों शहरों में आपस में लंबे समय से दुश्मनी हुआ करती थी. ऐसे में सवाल यही था कि टियोतिहुआकन शैली की वेदी आखिर टिकाल में कैसे और क्यों बन गई? पर शोधकर्ताओं का दावा है कि टियोतिहुआकन से आकर कुछ अमीर नेताओं ने टिकाल में आकर ऐसी वेदी बनाई होगी.

माया सभ्यता के मशहूर टिकाल शहर में यह वेदी और कंकाल मिले हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
यह इतना अजीब क्यों?
यह नतीजा अपने आप में हैरानी की बात है क्योंकि आमतौर पर किसी भी शहर दूसरे जगह की वास्तुकला शैली अपनाई गई है, ऐसा माना जाता है. लेकिन इस मामले में पुरातत्वविदों की राय कुछ अलग सी है. यही कारण है कि एक्सपर्ट्स बैठे हुए बच्चे के कंकाल से ज्यादा वेदी की शैली को देख कर ज्यादा चकित थे.
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दुनिया में कई पुरातन सभ्यताओं की तरह माया सभ्यता में भी बलि देने की प्रथा थी और यहां भी ऐसी कई कब्रें मिली हैं जिनमें बलि देने के सबूत मिले हैं. टियोतिहुआकन में बैठे हुए बच्चे की कब्रें बताती है कि यह इस जगह की खास परम्परा हुआ करती थी. वहीं जो वेदी मिली है उसकी एक खास बात और है. आमतौर पर ऐसी वेदी या तो जल्दी ही खत्म हो जाती है या फिर उन पर कुछ समय बाद कुछ और निर्माण हो जाता है. लेकिन ऐसा लगता है कि इस वेदी को खास सम्मान मिला था क्योंकि सदियों तक इसके ऊपर कुछ नहीं बनाया गया था.