Last Updated:
जापान के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि भविष्य में महासागरों का रंग बैंगनी हो सकता है. महासागरों का रंग उनके रसायन और जीवों पर निर्भर करता है और समय के साथ बदलता रहता है.

महासागरों का रंग हमेशा स्थिर नहीं रहता है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
क्या आप जानते हैं कि महासागरों का रंग हमेशा नीला नहीं होता. कहीं कहीं हरा भी होता है. और तो और आज भले ही उनका रंग ज्यादातर नीला होता लेकिन ऐसा हमेशा नहीं होता था. लेकिन एक नई स्टडी में जापान के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि एक दिन महासागरों का रंग बैंगनी हो जाएगा. उनका साफ मानना है महासागरों और समुंदरों का रंग एक सा नहीं बना रह पाता है और वह हमेशा से बदलता रहा है और आगे भी बदलेगा.
हमेशा नीले नहीं थे महासागर और रहेंगे भी नहीं
इस स्टडी में वैज्ञानिकों ने महासागरों के इतिहास, खासतौर से उनके रंग के इतिहास की अहम जानकारी निकाली हैं. उनका दावा है कि धरती के सागरों का नीला रंग केवल पिछले 60 करोड़ साल पहले से ही हुआ करता था. उससे पहले तो रंग कुछ और हुआ करता था. इसी तरह से हमेशा वे नीले रहेंगे भी नहीं.
कैसे तय होता है रंग?
शोधकर्ताओं का दावा है कि महासागार का रंग कभी स्थिर नहीं रहता है. यह पूरी तरह से उसके वर्तमान रसायन और उनका उसमें रहने वाले जीवों पर पड़ने वाले प्रभाव पर निर्भर रहता है. उन्होंने उदाहरण से भी बताया कि जब महासागर में ज्वालामुखी घटनाएं ज्यादा होंगी और वायुमंडल में ऑक्सीजन का स्तर कम होगा तो सल्फर की मात्रा बढ़ेगी. इससे बैंगनी रंग के बैक्टीरिया बढ़ेंगे और समुद्रों का रंग बैंगनी हो जाएगा.

वैज्ञानिकों का कहना है कि समुद्र के ज्वालामुखी उसे बैंगनी रंग दे सकते है. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Wikimedia Commons)
ज्वालामुखियों का अध्ययन
समुंदरों के नतीजे जापान के वैज्ञानिकों ने नेचर जर्नल में प्रकाशित अध्ययन में निकाले जिसमें उन्होंने जापान के ज्वालामुखी द्वीपों की पड़ताल की थी. उसी आधार पर उन्होंने यह नतीजा निकाला का भविष्य में महासागर बैंगनी रंग के हो सकते हैं. लेकिन वे यहीं तक नहीं रुके उन्होंने दूसरे रंगों की जानकारी भी जुटाई.
यह भी पढ़ें: ‘समुंदर के अंदर घर’ बनेंगे हकीकत, कुछ सालों में बच्चे भी पैदा होने लगेंगे ऐसी बस्तियों में!
शोधकर्ताओं ने बताया कि महासागरों या समुद्रों का रंग कब लाल हो सकता है, कब हरा और कब नीला होना चाहिए . जब चट्टानों से लोहे की लाल ऑक्साइड बनती है और वह जाकर समुद्र में मिलती है तो ऐसा ज्यादा होने से समुद्र का रंग भी लाल हो सकता है. इसके अलावा लाल शैवाल भी समुद्र को लाल कर सकते हैं. ऐसा तब होता है जब पानी नाइट्रोजन की मात्रा अधिक हो जाए.