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बहुत से लोग अपने बच्चों को अनुशासन सिखाने के लिए कभी न कभी थप्पड़ लगा ही देते हैं. बेहतर है कि आप ऐसा भारत में ही करते हैं, अगर कहीं तुर्की में होते तो आपके साथ भी कुछ ऐसा ही होता, जैसा एक बुजुर्ग महिला के साथ …और पढ़ें

दादी ने पोती को मारी चप्पल, हुई 4 साल की जेल.
जिनके भी घर में बच्चे हैं, उनके घरों में बच्चों को डांटना और कभी-कभी उन्हें अनुशासित रखने के लिए सज़ा भी दी जाती है. हालांकि कई देशों में इस तरह की पैरेंटिंग पर सख्ती से रोक है और अगर कोई ऐसा करता हुआ पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई भी की जाती है. आज हम आपको एक ऐसी ही घटना बताएंगे, जिसे सुनकर आप दंग रह जाएंगे.
एसाइल केटन नाम की 80 साल की महिला अपनी 18 साल की पोती वुरल के साथ दक्षिण पश्चिमी तुर्की में रहती है. दादी-पोती के बीच यूं तो सब कुछ ठीक था लेकिन एक छोटी सी बहस ने उनकी ज़िंदगी की बदलकर रख दी. उन्हें आपस में कोई शिकायत नहीं रह गई लेकिन तुर्की के सिस्टम ने पोती और दादी को अलग कर दिया, वो भी थोड़े से अनुशासन के चक्कर में.
पोती को बाहर जाने से रोका, हुई जेल
तुर्की में 80 साल की एक महिला को इसलिए 4 साल की जेल हो गई. महिला पर आरोप था कि उसने अपनी पोती की स्वतंत्रता का हनन किया था. ये पूरा मामला काफी दिलचस्प है. दरअसल महिला अपनी 18 साल की पोती को अपने साथ रखती थी और उसका बहुत ख्याल भी रखती थी. लड़की के माता-पिता के अलग होने के बाद अपनी दादी के साथ रहते हुए वो वैसे तो अच्छे से रहती थी लेकिन एक दिन उनकी आपस में बहस हो गई. लड़की अपने दोस्तों के साथ रात में कहीं जाना चाहती थी. महिला ने उसे मना किया और नहीं मानने पर उसके हाथ पर घर की चप्पल से मार दिया. वहीं गुस्साई लड़की ने अपनी दादी के सिर पर फोन दे मारा. फोन की वजह से उनके सिर से खून बहने लगा, तो लड़की फौरन उन्हें लेकर अस्पताल पहुंच गई.
पोती को शिकायत नहीं, सिस्टम ने दी सज़ा
बातचीत के दौरान बुजुर्ग महिला ने सारी कहानी बता दी और दोनों ही महिलाएं बेहद इमोशनल थीं. दोनों में से किसी ने एक-दूसरे के खिलाफ शिकायत भी दर्ज नहीं की थी लेकिन हुआ कुछ यूं कि तुर्की में पब्लिक प्रॉसीक्यूटर ने इस मामले को उठाया और बुजुर्ग महिला के खिलाफ केस ठोक दिया. पोती की आज़ादी में खलल डालने के लिए उन्हें 2 साल 6 महीने की सज़ा मिली, जबकि उसे ‘हथियार’ यानि चप्पल से मारने पर 2 साल 6 महीने की सज़ा हो गई. लड़की नहीं चाहती थी ऐसा हो और उसने ये बात कही भी, लेकिन कोर्ट ने एक नहीं सुनी और बुजर्ग महिला की सज़ा बरकरार रही.