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Baijnath Mandir Bageshwar: बागेश्वर का बैजनाथ मंदिर उत्तराखंड का महत्वपूर्ण धार्मिक स्थल है, जहां शिव और पार्वती के दर्शन होते हैं. मंदिर की स्थापत्य शैली अद्वितीय है और कैमरा, मोबाइल फोन वर्जित हैं.

बैजनाथ मंदिर, बागेश्वर
हाइलाइट्स
- बैजनाथ मंदिर में शिव और पार्वती के दर्शन होते हैं.
- माता पार्वती की मूर्ति 26 छोटी मूर्तियों से बनी है.
- मंदिर में कैमरा और मोबाइल फोन वर्जित हैं.
बागेश्वर: उत्तराखंड एक ऐसा प्रदेश, जो खुद में आध्यात्म का प्रतीक है. यहां की वादियों में बसे हैं कई रहस्यमयी और चमत्कारी मंदिर, जिनकी अपनी मान्यताएं हैं. इन्हीं में से एक है बागेश्वर जिले का बैजनाथ मंदिर- भारत के उन चुनिंदा चार मंदिरों में से एक, जहां भगवान शिव और माता पार्वती के एक साथ दर्शन होते हैं.
यहां एक विशेष बात यह है कि माता पार्वती की प्रतिमा 26 छोटी-छोटी मूर्तियों से बनी हुई है, जो मन मोह लेती है. मंदिर परिसर में एक अलग ही ऊर्जा है, एक ऐसा सन्नाटा जो शांति और सुकून देता है. और खास बात ये भी कि यहां कैमरा और मोबाइल फोन लाने की अनुमति नहीं है, यानी यहां के दर्शन केवल साक्षात हो सकते हैं, ऑनलाइन नहीं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस मंदिर का निर्माण कत्यूरी राजाओं ने एक रात में किया था.
बैजनाथ मंदिर का इतिहास
बैजनाथ मंदिर के पुजारी त्रिलोक गिरी गोस्वामी के अनुसार, इस स्थान को पहले कार्तिकेयपुर कहा जाता था. जिसे कत्यूरी राजा नरसिंह देव ने अपनी राजधानी बनाया था. सातवीं से तेरहवीं शताब्दी तक यहां कत्यूरी वंश का शासन रहा और उन्होंने ही इस मंदिर का निर्माण करवाया. इतिहासकार मानते हैं कि कत्यूरी वंश के शासक अयोध्या के सूर्यवंशी वंशज थे. कत्यूरी वंश के पतन के बाद चंद राजवंश ने इस मंदिर की देखरेख शुरू की और इसकी विरासत को आगे बढ़ाया.
मंदिर की स्थापत्य शैली भी अनूठी है
कत्यूरी स्थापत्य शैली में बना यह मंदिर पत्थरों को काटकर तैयार किया गया है. मुख्य मंदिर में भगवान शिव ‘वैद्यनाथ’ के रूप में विराजमान हैं और उनके साथ माता पार्वती की अलौकिक प्रतिमा है. मंदिर परिसर में 17 सहायक मंदिर भी हैं, जिनमें केदारेश्वर, लक्ष्मी नारायण और ब्राह्मणी देवी की मूर्तियां स्थापित हैं. समुद्र तल से इस मंदिर की ऊंचाई लगभग 1300 मीटर है.
शिव-पार्वती विवाह के बाद रुके थे यहीं
पौराणिक मान्यता के अनुसार, शिव और पार्वती विवाह के बाद एक रात के लिए इस स्थान पर ठहरे थे. उसी समय यहां स्वयंभू शिवलिंग प्रकट हुआ.
साल 2007 और 2008 में इस मंदिर के पास एक कृत्रिम झील बनाने की योजना बनी थी, जिसका उद्घाटन 14 जनवरी 2016 को तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत ने किया. इस झील में रंग-बिरंगी मछलियों की भरमार है और यह स्थान और भी मनमोहक लगता है. इसके पास ही टीट बाजार स्थित है, जो गरुड़ क्षेत्र का सबसे पुराना मार्केट है. वहीं, बैजनाथ से करीब 3 किमी दूर कोट भामरी देवी मंदिर है, जो कभी कत्यूरी राजाओं का किला हुआ करता था.
इस मंदिर के दर्शन करने के लिए आपको बागेश्वर आना पड़ेगा. वहीं, अगर आपको जल्दी पहुंचना हो तो हेली सेवा भी मेलाडुगरी मैदान से उपलब्ध है. बागेश्वर जिला मुख्यालय से बैजनाथ मंदिर की दूरी करीब 15 किमी और कौसानी से 16 किमी है.