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स्टॉल संचालक हेमंत कुमार ने बताया कि आमतौर पर साधारण मोमबत्ती दो से चार घंटे तक ही चलती है. लेकिन, सोया वैक्स फैब्रिक मोमबत्ती को एक बार जलाने के बाद 15 से 40 घंटे तक लगातार जलती रहती है. मोमबत्ती की शुरुआती की…और पढ़ें

सोया वैक्स फैब्रिक मोमबत्ती
बढ़ते आधुनिकता के दौर में मोमबत्ती ने भी अपना रूप बदल लिया है. पहले 2 रुपए में मिलने वाली मोमबत्ती की कीमत अब हजारों रुपए तक पहुंच गई है. सजावट, आकार और अन्य खूबियां के कारण मार्केट में तरह-तरह की मोमबत्तियां की डिमांड बढ़ रही है. महिलाएं घर पर छोटे उद्योग लगाकर इन मोमबत्तियां को बनाने का काम कर रही हैं.
राजस्थान में जगह जाकर फैब्रिक मोमबत्तीयो की स्टॉल लगाने वाले हेमंत कुमार ने बताया कि अभी मार्केट में सोया वैक्स मोमबत्ती की डिमांड सबसे अधिक है. घरों से लेकर बड़ी-बड़ी होटल में इन मोमबत्तियां का उपयोग बढ़ रहा है.
एक बार में 40 घंटे चलती है मोमबत्ती
हेमंत कुमार ने बताया कि आमतौर पर साधारण मोमबत्ती दो से चार घंटे तक ही चलती है. लेकिन, सोया वैक्स फैब्रिक मोमबत्ती को एक बार जलाने के बाद 15 से 40 घंटे तक लगातार जलती रहती है. हल्के हवा के झोंके में भी है पूछता नहीं है. इसके अलावा इसमें खास बात यह है कि यह मोमबत्ती इको फ्रेंडली होती है. इन्हें कैमरे के अंदर जलाने के बाद दुआ नहीं होता है. इसके अलावा जलने के बाद इसमें अलग-अलग खुशबू निकलती है. हेमंत ने बताया कि इस मोमबत्ती को जलाने के बाद कमरे के अंदर रूम फ्रेशनर की जरूरत नहीं पड़ती है. इसके अलावा इनको जलाने से मच्छर और मक्खियों भी कमरे के अंदर नहीं आती है. इसी खूबी के कारण मार्केट में लगातार किस प्रकार की मोमबत्तियां की डिमांड बढ़ती जा रही है.
300 रुपए से शुरू होती है रेट
हेमंत कुमार ने बताया कि फैब्रिक मोमबत्ती से जलाने से होटल और घर में चारों तरफ खुशबू फैल जाती है, जिससे पूरा माहौल खुशनुमा हो जाता है. बाजार में फैब्रिक मोमबत्ती की शुरुआती कीमत 500 रुपए है. इसके अलावा क्वालिटी के हिसाब से इनकी रेट बढ़ती जाती है. आमतौर पर मार्केट में 500 से लेकर 1500 रुपए मोमबत्ती आसानी से मिल जाती है. इसके अलावा डिमांड के अनुसार फिर 2000 रुपए से 5000 रुपए तक की मोमबत्ती भी बनाई जाती है.
महिलाओं को मिल रहा रोजगार
साधारण मोमबत्तियों के अलावा फैब्रिक मोमबत्तियां के बनाने का काम राजस्थान के अलग-अलग जगह पर महिला सहायता समूह द्वारा किया जा रहा है. सरकार द्वारा भी इन छोटे उद्योगों को बढ़ावा देने के लिए जगह-जगह पर लघु उद्योग मेले का आयोजन किया जाता है. हेमंत कुमार ने बताया कि आधुनिकता के दौर में धीरे-धीरे फैब्रिक मोमबत्तियां की डिमांड बढ़ती जा रही है. ऐसे में दुकानदारों के अलावा महिलाओं को भी इसे अच्छा रोजगार मिल रहा है.