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अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति बुकेले ने ट्रंप से कहा कि वह गलती से डिपोर्ट किए गए किल्मर गार्सिया को वापस नहीं भेजेंगे. ट्रंप प्रशासन ने इसे अल सल्वाडोर की जिम्मेदारी बताया.

अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति बुकेले और डोनाल्ड ट्रंप. (Reuters)
हाइलाइट्स
- अल सल्वाडोर राष्ट्रपति ने गार्सिया को वापस भेजने से इंकार किया
- बुकेले ने गार्सिया को आतंकी बताने वाली दलील का समर्थन किया
- ट्रंप प्रशासन ने गार्सिया की वापसी को अल सल्वाडोर की जिम्मेदारी बताया
वॉशिंगटन: ट्रंप एक बिजनेसमैन हैं. दुनिया के हर मुद्दे को वह डील के जरिए सुलझाने की बात करते हैं. रूस-यूक्रेन का मुद्दा हो या फिर ईरान के साथ अमेरिका का विवाद, हर चीज में ट्रंप डील को लाते हैं. लेकिन अपने प्रशासन की ओर से हुई एक गलती को सुधारने के मामले में वह डील नहीं कर रहे हैं या शायद करना ही नहीं चाहते. दरअसल, दक्षिण अमेरिकी देश अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति नायब बुकेले US की यात्रा पर पहुंचे हैं. बुकेले ने यहां अमेरिका को सुना दिया. नायब बुकेले ने साफ कर दिया है कि वह अमेरिका से गलती से डिपोर्ट किए गए मैरीलैंड के व्यक्ति किल्मर अब्रेगो गार्सिया को वापस अमेरिका नहीं भेजेंगे. बुकेले ने ऐसा करने को एक ‘आतंकी की तस्करी’ जैसा बताया. सोमवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ ओवल ऑफिस में मीटिंग के दौरान उनका यह बयान आया है. इस दौरान दोनों के बीच गहरी दोस्ती दिखी.
यह वही ओवल ऑफिस था जब फरवरी में ट्रंप और यूक्रेनी राष्ट्रपति जेलेंस्की भिड़ गए थे. लेकिन इस बार अल सल्वाडोर के राष्ट्रपति ने पत्रकार के सवाल को बेतुका बता दिया और ट्रंप चुपचाप बैठे रहे. दरअसल, किल्मर अब्रेगो गार्सिया अल सल्वाडोर मूल के हैं, लेकिन वह मैरीलैंड में अपने परिवार के साथ रहते थे. साल 2019 में एक अमेरिकी अदालत ने उन्हें डिपोर्टेशन से सुरक्षा दी थी. फिर भी, ट्रंप प्रशासन ने उन्हें अल सल्वाडोर भेज दिया. बाद में ट्रंप प्रशासन ने कहा कि उनसे यह गलती से हो गया.
पिछले हफ्ते सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि अमेरिकी सरकार को उनकी वापसी सुनिश्चित करनी होगी, लेकिन ट्रंप प्रशासन ने हाथ खड़े कर दिए. अमेरिकी अटॉर्नी जनरल पाम बॉन्डी ने कहा, ‘यह अल सल्वाडोर की जिम्मेदारी है कि वह गार्सिया को वापस भेजे.’ ट्रंप प्रशासन ने जज पाउला जीनिस को बताया कि उनके पास गार्सिया को जबरन वापस लाने का कोई अधिकार नहीं है.
बुकेले ने अमेरिका को दिया तीखा जवाब
वाइट हाउस की मीटिंग में बुकेले ने साफ कहा, ‘मुझसे यह उम्मीद करना बेतुका है कि मैं किसी को अमेरिका भेज दूं.’ उन्होंने गार्सिया को MS-13 गैंग का सदस्य बताने वाली अमेरिकी दलील का समर्थन करते हुए कहा, ‘क्या मैं किसी आतंकी को अमेरिका में तस्करी करूं? यह सवाल ही बकवास है.’ बुकले का यह बयान अमेरिका के लिए करारा जवाब है, जो अपनी गलती को ढंकने की कोशिश कर रहा है.

गार्सिया की नहीं होगी वापसी
ट्रंप और बुकले की दोस्ती किसी से छिपी नहीं है. दोनों नेता कट्टर नीतियों के लिए जाने जाते हैं. ट्रंप प्रशासन का कहना है कि गार्सिया को वापस लाना उनकी जिम्मेदारी नहीं. दूसरी तरफ, बुकले ने साफ कर दिया कि वह अमेरिका की गलती को ठीक करने के लिए कदम नहीं उठाएंगे. मैरीलैंड में गार्सिया का परिवार सदमे में है. उनकी पत्नी ने स्थानीय मीडिया से कहा, ‘हमें नहीं पता कि किल्मर कहां हैं. वह कोई अपराधी नहीं, फिर भी उसे सजा मिल रही है.’ गार्सिया के वकील ने आरोप लगाया कि ट्रंप प्रशासन जानबूझकर सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना कर रहा है.