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Ground Report: कई बार लोग गुस्से में ऐसा कदम उठा जाते हैं कि बाद में अपने किए पर पछताने के अलावा उनके पास कोई उपाय नहीं होता.

गड्ढे से मासूम को निकालने का दृश्य
बेगूसराय: पावर स्टार पवन सिंह का एक डायलॉग है- “माई के ममता और मर्द के क्षमता पर कभो शक ना कइल जाला” लेकिन बिहार के बेगूसराय से जुर्म की ऐसी कहानी सामने आई है जिसने माई की ममता और मर्द की क्षमता पर भी शक करने को मजबूर कर दिया. दरअसल, खबर यह है कि गड्ढे से एक नवजात मासूम को जिंदा निकाला गया. लोकल 18 को सिर्फ 19 सेकंड का एक वायरल वीडियो मिला जिसमें इस बात का जिक्र था. लोकल 18 ने सामने आए वीडियो की पड़ताल शुरू की.
फुलवरिया थाना के सब इंस्पेक्टर गौतम कुमार की सक्रियता से मासूम को पांच घंटे बाद गड्ढे से जिंदा निकालने का दावा किया गया. लोकल 18 ने मंगलवार की सुबह फुलवरिया थाना से इस मामले की पड़ताल शुरू की. देखिए एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..
अगर गड्ढे से निकाला बच्चा तो पुलिस ने मामले में एक्शन क्यों नहीं लिया
जब हमने फुलवरिया थाना अध्यक्ष से इस बारे में पूछा कि घटना में क्या कोई मामला दर्ज हुआ है तो इसका जवाब नहीं मिला. दूसरा सवाल यह किया गया कि सब इंस्पेक्टर गौतम कुमार से मिलवा दीजिए या फोन पर बात करवा दीजिए तो जवाब मिला ट्रेनिंग में गए हुए हैं. यहां से एक घंटे की पड़ताल के दौरान जब कोई सुराग नहीं मिला जिससे कि घटना से जुड़ी जानकारी प्राप्त हो सके तो लोकल 18 आगे की जानकारी के लिए बरौनी चिल्ड्रन एंड नर्सिंग हॉस्पिटल पहुंची जो जेपी कंपलेक्स बरौनी डाकघर के सामने था. यहां पर अस्पताल स्टाफ सुदामा कुमार साह ने बताया कि हमें जानकारी मिली है कि चिल्ड्रन हॉस्पिटल में बच्चें के साथ कोई घटना हुई है. मेरी जानकारी के मुताबिक, 9 अप्रैल को ही मरीज इस अस्पताल में भर्ती हुआ था. अस्पताल स्टाफ के मुताबिक, नवजात में चमकी के लक्षण दिखाई दिए थे इस वजह से उसे यहां भर्ती कराया गया था. हॉस्पिटल प्रबंधन का साफ कहना है कि नवजात का जन्म कहीं और हुआ है.
आपको बता दें कि अस्पताल प्रबंधन से जुड़े सदस्य की पत्नी आशा बहू है. ऐसे में यह भी संभव हो सकता है कि सरकारी अस्पताल में मासूम को मां ने जन्म दिया और फिर बहला फुसला कर मासूम को यहां इलाज के लिए भर्ती करवाया गया होगा.
अस्पताल संचालक राजू कुमार ने लोकल 18 से बताया बारो निवासी मोहम्मद शाहिद की पत्नी यासमीन खातून की शादी प्रेम प्रसंग में फंसने के बाद हुई. कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि लड़की 7 माह की प्रेग्नेंट थी तो उसकी शादी लड़के से करवाई गई. नवजात लड़के को जन्म देने के समय पति-पत्नी में विवाद हुआ था. इसके बाद पत्नी ने ऐसा कदम उठाया. लोकल 18 ने इस जवाब के लिए बारों गांव में उक्त पति-पत्नी और मासूम के घर की तलाश शुरू की. 6 घंटे से भी ज्यादा समय तक हर मोहल्ले जाकर हमने यह जानना चाहा कि आखिर गड्ढे में गाड़ने वाली नवजात मां किस घर से है लेकिन, यह महिला बारों गांव की नहीं निकली. गांव के लोगों का कहना है कि महिला उस गांव की नहीं है. इधर अस्पताल प्रबंधन उन्हें बारों गांव का निवासी बता रहा है. कुल मिलाकर यह जानकारी सामने आई कि अस्पताल में दिए गए महिला के डिटेल गलत हो सकते हैं या फिर अस्पताल प्रबंधन ही गलत जानकारी दे रहा हो.
स्थानीय लोगों ने दावा किया कि गड्ढे से 5 घंटे के बाद भी नवजात जिंदा निकला. यहां के लोगों ने बताया मां ने ही पुलिस के डर से फिर गड्ढे में नवजात के गाड़ने की पुष्टि की. अस्पताल से जुड़े कर्मियों ने बताया 9 से 12 तारीख तक अस्पताल में बच्चा भर्ती रहा. 12 अप्रैल को तकरीबन 12:00 बजे अस्पताल के स्टाफ ने बच्चे को दूध पिलाने के नाम पर मां को दिया. इसके बाद कलयुगी मां ने पति से विवाद के चलते अपने ही बच्चे को खत्म करने के लिए गड्ढे में दफना दिया. इसके बाद वह अस्पताल में जाकर बच्चा चोरी बताकर हंगामा भी करने लगी.
लोकल 18 का सवाल है कि आखिर मां जब बच्चा को लेकर भागी तो अस्पताल कर्मियों ने क्यों नहीं आवाज़ उठाया कि आपने नवजात को कहां छुपाया? जब नवजात को 5 घंटे गड्ढे में दफनाया गया तो फिर वह नवजात जिंदा कैसे निकला? घटना में पुलिस ने मामला दर्ज क्यों नहीं किया? जिला प्रशासन ने अस्पताल प्रबंधन पर क्या कुछ कार्रवाई की?
बेगूसराय आई एम के सचिव डॉक्टर पंकज कुमार सिंह से जब अस्पताल के बारे में जानकारी मांगी गई तो उन्होंने हॉस्पिटल को फर्जी बताया. अगर अस्पताल फर्जी तो कार्यवाही क्यों नहीं की गई? क्या घटना को फिल्मी स्टाइल में गढ़ दिया गया? लोकल 18 के पड़ताल से कई सवाल सामने आ रहे हैं. अब मामले में जिलाधिकारी तुषार सिंघला क्या एक्शन लेते हैं इसके लिए इंतजार करना होगा.