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Japan Railway Staion: जापान के इंजीनियर्स तो हमेशा कमाल करते हैं. एक बार फिर से उन्होंने ऐसा कमाल किया है कि पूरी दुनिया मुंह ताकती रह गई. दरअसल, मात्र 6 घंटें में रेलवे के इंडीनियर्स ने 3-डी रेलवे स्टेशन बनाकर…और पढ़ें

जापान ने 6 घंटे में रेलवे स्टेशन का निर्माण करके इतिहास रच दिया है.
हाइलाइट्स
- जापान में 6 घंटे में 3D प्रिंटेड रेलवे स्टेशन बना.
- पुराना हात्सुशिमा स्टेशन 1948 में बना था, अब जर्जर हो गया था.
- 3D प्रिंटिंग से समय और पैसे दोनों की बचत हुई.
Japan Railway Staion: हमने आपने अक्सर सुना होगा कि जापान पूरी दुनिया से 50 साल आगे चल रहा है. टेक्नोलॉजी की मामले में तो इस देश का कोई तोड़ नहीं है. भूकंप प्रभावित देश जापान में सुनामी, बाढ़ या भूकंप से तबाह हुए घर-सड़कों को घंटों में निर्माण कर दिया जाता है. मगर, जापान ने एक बार फिर से लोगों को हैरान करने वाला कारनामा किया है. दरअसल, रेलवे कंपनी ने मार्च के अंत में दुनिया का पहला 3D-प्रिंटेड रेलवे स्टेशन तैयार कर दिया. वह भी मात्र 6 घंटे में, जी हां सही सुना आपने इतना ही समय लगा था. इस स्टेशन का हात्सुशिमा है.
कंपनी ने बताया कि स्टेशन के हिस्सों को कहीं और 3D प्रिंट किया गया. इसे मौके पर सिर्फ छह घंटे से कम समय में जोड़ा गया. दरअसल, हात्सुशिमा स्टेशन पुराने लकड़ी के स्टेशन की जगह बना है. पुराना स्टेशन 1948 में बना था, अब जर्जर हो गया था, इसका पुनर्निर्माण जरूरी था. 2018 से यह स्टेशन स्वचालित हो चुका है, जापान के कई छोटे स्टेशनों के साथ हुआ है. इस स्टेशन पर एक ही रेलवे लाइन है, जहां हर घंटे एक से तीन ट्रेनें चलती हैं और रोजाना करीब 530 यात्री यात्रा करते हैं.

रेलवे स्टेशन का 3-डी ढ़ांचा.
कैसे बना स्टेशन?
वेस्ट जापान रेलवे कंपनी ने सेरेन्डिक्स नाम की एक निर्माण कंपनी को स्टेशन के हिस्से बनाने का जिम्मा दिया. सेरेन्डिक्स के मुताबिक, इन हिस्सों को दूसरे जगह पर प्रिंट करने और कंक्रीट से मजबूत करने में सात दिन लगे. प्रिंटिंग का काम क्यूशू द्वीप के कुमामोटो प्रांत में एक फैक्ट्री में हुआ. इसके बाद 24 मार्च की सुबह ये हिस्से ट्रकों से 804 किलोमीटर दूर हात्सुशिमा स्टेशन लाए गए. सेरेन्डिक्स के को-फाउंडर कुनिहिरो हांडा ने बताया, ‘आमतौर पर निर्माण में कई महीने लगते हैं. निर्माण काम रात में ट्रेनों के रुकने के बाद होता है. रेलवे लाइनों के पास निर्माण के सख्त नियम हैं, इसलिए यह काम आमतौर पर रात में किया जाता है ताकि ट्रेनों का समय प्रभावित न हो.
छह घंटे में तैयार
मार्च के अंत में मंगलवार रात को जब 3D-प्रिंटेड हिस्सों को लेकर ट्रक पहुंचे, तो दर्जनों लोग देखने के लिए जमा हो गए. रात 11:57 बजे आखिरी ट्रेन के जाने के बाद मजदूरों ने काम शुरू किया. विशेष मोर्टार से बने इन हिस्सों को एक बड़े क्रेन की मदद से उतारा गया और पुराने स्टेशन से कुछ ही दूरी पर जोड़ा गया. सुबह 5:45 बजे पहली ट्रेन आने से पहले 100 वर्ग फीट का यह स्टेशन बनकर तैयार हो चुका था. हालांकि, इसके अंदर का काम, टिकट मशीनें और कार्ड रीडर अभी लगाए जाने बाकी हैं. कंपनी का कहना है कि यह स्टेशन जुलाई में यात्रियों के लिए खुल जाएगा. कंपनी के मुताबिक, पारंपरिक तरीके से स्टेशन बनाने में दो महीने से ज्यादा समय और दोगुनी लागत लगती है, मगर 3D प्रिंटिंग से समय और पैसे दोनों की बचत हुई.
क्यों है यह खास?
जापान की आबादी बढ़ती उम्र की हो रही है और काम करने वाले लोगों की संख्या घट रही है. इससे रेलवे ढांचे, खासकर पुराने स्टेशनों की देखभाल एक बड़ी चुनौती बन गई है. रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह 3D-प्रिंटेड स्टेशन नई तकनीक से कम लोगों के साथ दूरदराज के इलाकों में सेवाएं बनाए रखने का रास्ता दिखाएगा. जेआर वेस्ट इनोवेशन्स के अध्यक्ष रियो कावामोतो ने कहा, ‘इस परियोजना का महत्व इस बात में है कि इससे काम करने वाले लोगों की संख्या बहुत कम हो जाएगी. यह तकनीक भविष्य में रेलवे के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकती है.