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Araria bihar news today: आजकल युवा किसी भी क्षेत्र में पीछे नही हैं. किसानी के बारे में माना जाता था कि युवा इस फील्ड में इंट्रेस्ट नहीं दिखाते हैं लेकिन, अब….

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अररिया जिले के ये युवा करते हैं कदीमा की खेती जानिए सही विधि एवं तरीके
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अररिया: खेती-किसानी में मेहनत ज्यादा और आमदनी कम होती है. कई बार प्रकृति की मार के चलते भारी नुकसान भी उठाना पड़ जाता है. यही वजह है कि युवा खेती-किसानी में इंट्रेस्ट नहीं दिखाते थे और किसी के माता-पिता भी नहीं चाहते थे कि उनके बच्चे किसानी करें. हालांकि, अब दौर बदल रहा है और युवा खेती में इंट्रेस्ट दिखा रहे हैं और बेहतर काम कर रहे हैं. हम ऐसे ही लोगों की स्टोरी आपके पास लाते रहते हैं जिससे आपको भी इस बारे में बेहतर आइडिया मिल सके. तो आज बात कर रहे हैं बिहार के अररिया जिले के युवा मोहम्मद तहजिल की जो आधे एकड़ जमीन पर कदीमा की खेती करते हैं.
तहजिल ने बताया कि कदीमा की खेती से यहां के किसान कम खर्च और कम समय में बढ़िया कमाई करते हैं. उन्होंने बताया कि इस सीजन वह हाइब्रिड कदीमा की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि ये फसल महज 60-65 दिनों में फलना शुरू हो जाती है.
मोहम्मद तहजिल की कहानी
मोहम्मद तहजिल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि बचपन से ही वह खेती-बाड़ी करते हैं. वह आधे एकड़ जमीन पर कदीमा की खेती कर रहे हैं. वह बताते हैं कि कदीमा की फसल 60-65 दिनों में तैयार हो जाती है और इसके बाद 4-6 महीने तक लगातार फलन होता है.
कमाई और खर्चा
मोहम्मद तहजिल ने बताया कि कदीमा की खेती में महज़ 5-10 हजार रुपये की प्रति एकड़ खर्चा होता है. इसमें सीजन में एक एकड़ जमीन पर लगभग एक लाख रुपये तक की कमाई होती है. वह बताते हैं कि मार्केट में भाव बढ़िया होने पर बढ़िया कमाई होती है. उन्होंने बताया कि इस फसल में रासायनिक खाद और उर्वरक जैविक खाद देने के साथ ही एक दो बार सिंचाई भी करना पड़ता है.
विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती
मोहम्मद तहजिल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि वह अलग-अलग सीजन में विभिन्न प्रकार की सब्जियों की खेती करते हैं. इनमें फूलगोभी, पत्तागोभी, टमाटर, खीरा, करेला और बैंगन शामिल है. वह बताते हैं कि फूलगोभी की खेती से डेढ़ से 2 लाख रुपये तक की कमाई करते हैं.
कदीमा की खेती की तरीके
अररिया जिले के युवा मोहम्मद तहजिल ने लोकल 18 से बातचीत में बताया कि कदीमा की खेती का तरीका यही है कि इसे खेतों में लगाकर छोड़ दिया जाए. इसके एक पौधे से दूसरे पौधे की दूरी बनाकर लगाएं. इससे फलन बढ़िया होगा. उन्होंने बताया कि समय-समय पर इस पौधे के बीच -बीच बढ़िया से सफाई भी करनी चाहिए.
मोहम्मद तहजिल की कहानी इस बात का उदाहरण है कि कैसे युवा खेती-बाड़ी में अपना भविष्य बना सकते हैं. उनकी मेहनत और लगन ने उन्हें सफल बनाया है और वह अब अपने परिवार के लिए बेहतर भविष्य का निर्माण कर रहे हैं.