Wednesday, April 16, 2025
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राजनांदगांव के पुनारद दास साहू की नेक पहल, मानव सेवा के लिए देहदान को लेकर 144 ग्रामीणों को किया जागरूक; पढ़ें ये स्टोरी


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भारत में पिछले कुछ सालों में ऑर्गेन डोनेशन को लेकर जागरूकता बढ़ी है. ऐसे कई लोग सामने आए हैं जो चाहते हैं कि मृत्यु के बाद उनके शरीर के जरूरी अंगों को दान कर दिया जाए. जिससे यह किसी जरूरतमंद शख्स के काम आ सके. …और पढ़ें

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देहदान

देहदान जागरूक

राजनांदगांवः आमतौर पर भारत में मृत्यु के बाद धर्म के मुताबिक शव (बॉडी) का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है. लेकिन पिछले कुछ सालों में देहदान का शब्द प्रचलित हुआ है. देहदान को महादान भी कहा जाता है क्योंकि शव रिसर्च के काफी काम आता है. मेडिकल कॉलेज के स्टूडेंट्स शव पर रिसर्च और प्रैक्टिकल करके काफी कुछ सीखते हैं. भारत में पिछले कुछ सालों में ऑर्गेन डोनेशन को लेकर जागरूकता बढ़ी है. ऐसे कई लोग सामने आए हैं जो चाहते हैं कि मृत्यु के बाद उनके शरीर के जरूरी अंगों को दान कर दिया जाए. जिससे यह किसी जरूरतमंद शख्स के काम आ सके. लेकिन देहदान को लेकर जागरूकता बहुत कम है.

इसी को लेकर राजनांदगांव के 78 वर्षीय रिटायर्ड शिक्षक पुनारद दास साहू ने देहदान के प्रति जागरूकता फैलाने का महत्वपूर्ण कार्य किया है. उनके प्रयासों से अब तक 144 लोगों ने देहदान के लिए फॉर्म भरा है. उनके परिवार के 10 से अधिक सदस्यों ने भी देहदान का फॉर्म भरा है और इस दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं.

गांव में देहदान के महत्व
रायातापाली गांव के पुनारद दास साहू ने न केवल अपने परिवार में बल्कि पूरे गांव में देहदान के महत्व को समझाया है. उनकी पत्नी का निधन 2021 में हुआ था, और उनका देहदान मेडिकल कॉलेज राजनांदगांव में किया गया था. इस प्रेरणा के साथ, साहू ने पूरे गांव में देहदान के महत्व को फैलाने का अभियान चलाया है.

देहदान का रजिस्ट्रेशन कराया था
2014 में साहू और उनकी पत्नी ने खुद के लिए देहदान का रजिस्ट्रेशन कराया था. उन्हें यह प्रेरणा अपने एक दोस्त को देहदान करते देख मिली थी. साहू का मानना है कि देहदान से मेडिकल कॉलेजों में अध्ययनरत छात्रों को प्रैक्टिस करने का अवसर मिलेगा और जरूरतमंदों को आवश्यक अंग मिल सकेंगे.

कई लोगों की जिंदगी बच सकती
साहू के चार बेटे हैं, जिन्होंने भी देहदान के फॉर्म भरे हैं, इसी तरह उनकी बहू और अन्य परिवार के सदस्यों ने भी इस नेक कार्य में हिस्सा लिया है. साहू का कहना है कि देहदान से कई लोगों की जिंदगी बच सकती है और इसका महत्व समाज में व्यापक रूप से समझाया जाना चाहिए. उनका परिवार और वे खुद इस मिशन में जुटे हुए हैं, लोगों को देहदान के लिए प्रेरित कर रहे हैं और इसके महत्व को समझा रहे हैं.

कौन अपना शरीर दान कर सकता है?
18 साल से ऊपर का कोई भी शख्स कानूनी रूप से अपना शरीर दान करने के लिए सहमति दे सकता है. अगर मौत के समय शव दान करने के लिए पंजीकरण नहीं किया गया है तो उसके रिश्तेदार या अभिभावक उनका शरीर दान कर सकते हैं.

अपना शरीर कैसे दान कर सकते हैं?
मेडिकल कॉलेज के अस्पताल के एनाटॉमी डिपार्टमेंट सीधे इसके प्रभारी होते हैं. आप जिस विभाग में अपना शरीर दान करना चाहते हैं, वहां जाकर आपको फॉर्म भरना होता है. मौत के बाद उस शख्स के रिश्तेदार को अस्पताल के विभाग से संपर्क करना होता है.

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पुनारद दास साहू की नेक पहल, मानव सेवा के लिए देहदान को लेकर कर रहे जागरूक



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