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Giridih News: एनआईटी जमशेदपुर के पूर्व छात्र द्वारा शुरू की गई संकल्प संस्था गिरिडीह में शिक्षा की नई राह बना रही है. फ्री कोचिंग सेंटर के ज़रिए 220 से अधिक बच्चे लाभ ले रहे हैं. जिनमें एक छात्र ने 8वीं क्लास म…और पढ़ें

Free coaching centre
हाइलाइट्स
- गिरिडीह में संकल्प संस्था फ्री कोचिंग सेंटर चला रही है.
- 220 से अधिक बच्चे इन सेंटरों से लाभान्वित हो रहे हैं.
- एक छात्र ने 8वीं क्लास में 100% अंक प्राप्त किए.
गिरिडीह. शाम के समय में गिरिडीह के चार जगहों पर फ्री में कोचिंग सेंटर के जरिए शिक्षा दी जा रही है. ये काम जमशेदपुर की संकल्प संस्था के द्वारा किया जा रहा है. ऐसे गिरिडीह के इन चार सेंटर में कुल 220 बच्चे इसका लाभ ले रहे हैं. इसमें तीन सेंटर दलित बस्ती में है. वहीं एक सेंटर आदिवासी सेंटर पर है. पहले, जहां बच्चे यहां–वहां घुमा करते थे, लेकिन अब ये बच्चे अपनी मेहनत से सबको चौंका रहे हैं. इन बच्चों में एक ने, तो 8 क्लास में 100 फीसदी मार्क्स लाकर सबको हैरान कर दिया है.
संकल्प संस्था जमशेदपुर की है, जिसे एनआईटी के पूर्व छात्र के द्वारा शुरू किया गया था. इस संस्था ने साल 2016 में गिरिडीह शहरी क्षेत्र के सिरसिया में पहला फ्री कोचिंग सेंटर खोला. इसके बाद फिर एक-एक कर गिरिडीह में अभी चार सेंटर चल रहे हैं. इन फ्री कोचिंग सेंटर में पहली से लेकर 8वीं तक के बच्चे पढ़ाई करते हैं. वहीं शानदार प्रदर्शन करने वाले छात्रों को स्कॉलरशिप प्रोग्राम के तहत प्राइवेट स्कूल में दाखिला कराया जाता है. इस साल चार बच्चे ऐसे थे, जो क्लास में 90 परसेंट से अधिक नंबर लाए. वहीं पवन कुमार ने 8वीं क्लास में 100 फीसदी मार्क्स लाकर चौंका दिया. इन सेंटरों पर पढ़ाई के साथ ही लाइब्रेरी, पेंटिंग और खेलकूद भी कराया जाता है, ताकि इनका सही से विकास हो सके.
लोकल18 से बात करते संकल्प संस्था के डिस्ट्रिक्ट कॉर्डिनेटर सोमनाथ केसरी ने कहा कि उनकी संस्था 2016 से ही दलित और आदिवासी बच्चों को शाम में फ्री में पढ़ाने का काम कर रही है. उनके कोचिंग सेंटर शाम 4 बजे से 6 बजे तक चलती है. उन्होंने बताया कि कोई बच्चा यहां आकर पढ़ सकता है. हर सेंटर पर 2 टीचर होते हैं. ये टीचर ट्यूशन पढ़ाने वाले या कॉलेज में पढ़ने वाले होते हैं. उनके सेंटर पर पढ़ाई के साथ ही एक्स्ट्रा कैरिकुलर एक्टिविटी भी कराया जाता है ताकि बच्चे अच्छा बन सके. पहले देखते थे कि बच्चे शाम में फ्री रहते हैं और कई ऐसे बच्चे होते हैं जो 5वीं पास करने के बाद भी सही से किताब नहीं पढ़ पाते हैं. ऐसे में उनकी संस्था ने बच्चों को पढ़ाने का काम शुरू किया.