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Bihar Mahagathbandhan Tensions Rise: बिहार चुनाव में महागठबंधन में 50-70 सीटों और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर पेंच फंस गया है. कांग्रेस 70 सीटें चाहती है, जबकि आरजेडी 50 सीट तक देने को तैयार है. दोनों के बीच द…और पढ़ें

बिहार चुनाव को लेकर बड़ा घमासान मचा है.
हाइलाइट्स
- महागठबंधन में 50-70 सीटों पर विवाद
- कांग्रेस 70 सीटें चाहती, आरजेडी 50 देने को तैयार
- 17 तारीख को पटना में बैठक होगी
पटना. बिहार विधानसभा चुनाव के मद्देनज़र महागठबंधन में 50-70 सीटों का पेंच और मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर घमासान मचा हुआ है. कांग्रेस को आरजेडी 50 सीट से ज्यादा देने के मूड में नहीं है और तो कांग्रेस ने भी यह शर्त रख दी है कि 70 सीट में ही समझौता हो सकता है. साथ ही उपमुख्यमंत्री कांग्रेस से होगा यह पहले ही तय हो जाए. जबकि आरजेडी इसके लिए तैयार नहीं है; मामला यही फंस गया है. 17 अप्रैल को पटना में महागठबंधन की बैठक बुलाई गई है. हालांकि पार्टी सूत्रों का दावा है कि दोनों मुद्दों पर कुछ आगे-पीछे होकर समाधान निकाला जाएगा और इसके लिए बैठकों का दौर शुरू हो चुका है.
पहले दिल्ली में तेजस्वी यादव की मल्लिकार्जुन खडगे और राहुल गांधी के साथ बैठक हुई लेकिन कोई हल नहीं निकल पाया. ऐसे में एक बार फिर से 17 तारीख़ को पटना में महागठबंधन की बैठक बुलाई गई है. इस बैठक में आरजेडी, कांग्रेस, लेफ्ट के तीनों दल और VIP पार्टी के नेता शामिल होंगे और सीटों के पेंच के साथ मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा उसको सुलझाने की कोशिश होगी.
राजनीति के जानकारों का मानना है कि बिहार में आरजेडी अपना अपर हैंड रखने और ज्यादा से ज्यादा सीटों पर खुद चुनाव लड़ने की तैयारी कर चुकी है. अपने उम्मीदवारों को ग्रीन सिग्नल देने और चुनाव की तैयारी करने को कहा जा चुका है. बीते चुनावों में भी यह देखा जा चुका है कि दोनों पार्टियों के बीच रिश्ते तनावपूर्ण रहे हैं. दोनों पार्टियां बिहार की राजनीति में अहम भूमिका में हैं. इस चुनाव में दोनों को उम्मीद है वे बेहतर परिणाम पा सकेंगे. जातिगत वोट बैंक को लेकर आरजेडी और कांग्रेस अपने अपने दावों पर अड़ गईं हैं.
बीते चुनावों में इन दोनों को देखा जाए तो कांग्रेस का वोट बैंक पारंपरिक रूप से मजबूत रहा है. आरजेडी का आधार ग्रामीण क्षेत्रों में है. दोनों पार्टियों के बीच गठबंधन में कई बार दरार आ चुकी है. 2015 के विधानसभा चुनाव में महागठबंधन ने जीत हासिल की थी. उस समय नीतीश कुमार मुख्यमंत्री बने थे. 2020 में नीतीश कुमार ने आरजेडी का साथ छोड़ दिया. वे एनडीए में शामिल हो गए. अब महागठबंधन फिर से एकजुट होने की कोशिश कर रहा है.