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Science News Today: अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा ने 300 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर SDSS1335+0728 गैलेक्सी में ‘एनस्की’ ब्लैक होल का पता लगाया है. यहां हर 4.5 दिन में विस्फोट हो रहे हैं. इसके बारे में ज्यादा से ज्या…और पढ़ें

वैज्ञानिक इसे लेकर रिसर्च केा आगे बढ़ा रहे हैं. (Source: ESA Science)
हाइलाइट्स
- गैलेक्सी SDSS1335+0728 में ‘एनस्की’ ब्लैक होल सक्रिय हुआ.
- ‘एनस्की’ ब्लैक होल हर 4.5 दिन में विस्फोट कर रहा है.
- वैज्ञानिक ‘एनस्की’ के असामान्य व्यवहार को समझने का प्रयास कर रहे हैं.
Science News Today: ब्लैक होल को लेकर अक्सर तरह-तरह की जानकारी सामने आती रहती है. हमारे खगोल वैज्ञानिक भी इससे जुड़े रहस्यों को सुलझाने का हर संभव प्रयास करते हैं. इसी कड़ी में लगभग 300 मिलियन प्रकाश वर्ष दूर एक आकाशगंगा यानी ग्लैक्सी का पता चला है. यह ग्लैक्सी दशकों से शांत था. अब इसमें अचानक एक ब्लैक होल सक्रिय हो गया है. यह SDSS1335+0728 ग्लैक्सी में स्थित है. इस ब्लैक होल का नाम ‘एनस्की’ दिया गया है. द स्पेस की रिपोर्ट के अनुसार विज्ञानिकों का कहना है कि इस ग्लैक्सी में बहुत ही तेज और शक्तिशाली एक्स-रे किरणों का विस्फोट होने लगा और फिर ब्लैक होल बन गया. वैज्ञानिक भी इसकी तस्वीरें देख हैरान हैं.
विज्ञानिकों के मुताबिक साल 2019 के अंत में पहली बार ‘एनस्की’ में कुछ असामान्य एक्टिविटी देखी गई थी. इसके बाद नासा के स्विफ्ट एक्स-रे टेलीस्कोप से लगातार इसकी निगरानी की जाने लगी. जांच के दौरान रिसर्चर्स ने पाया कि यह ब्लैक होल हर 4.5 दिन में एक विस्फोट कर रहा है. ये विस्फोट क्वासिपेरियोडिक इरप्शन्स (QPEs) कहलाते हैं. लेकिन ‘एनस्की’ के QPEs बाकी ब्लैक होल्स से बहुत अलग हैं. विज्ञानिकों का कहना है कि ये दस गुना लंबे हैं और साथ ही सौ गुना ज्यादा ऊर्जा पैदा करते हैं.
क्यों अलग है एनस्की ब्लैक होल?
मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेकनोलॉजी (MIT) के वैज्ञानिक जोहीन चक्रवर्ती के अनुसार, इस प्रकार की गतिविधियां अब तक कभी नहीं देखी गईं. वैज्ञानिक अभी तक यह नहीं समझ पाए हैं कि ‘एनस्की’ ऐसा व्यवहार क्यों कर रहा है. आमतौर पर जब कोई तारा ब्लैक होल के पास आता है, तो वह उसमें समा जाता है और इससे QPEs बनते हैं. लेकिन ‘एनस्की’ के मामले में ऐसा कोई तारा नहीं देखा गया है. यह पूरी तरह से एक नई पहेली बन चुका है.
ग्रैविटी तरंगों से भी जुड़े हो सकते हैं विस्फोट
कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि ये विस्फोट ग्रैविटी तरंगों से भी जुड़े हो सकते हैं. 2037 में लॉन्च होने वाला ESA और NASA का मिशन LISA, इन तरंगों को पकड़ने में मदद कर सकता है. इससे हमें और गहराई से समझ मिल सकती है कि ब्लैक होल में अंदर क्या हो रहा है. यह घटना हमें ब्लैक होल के व्यवहार के बारे में नए विचार देती है. ब्रह्मांड की गहराइयों में छिपे रहस्यों को उजागर करने का मौका देती है और यह भी दिखाती है कि हमारी मौजूदा जानकारी कितनी सीमित है.