What is Frankenjet: अमेरिका की वायुसेना ने एक नया विमान बनाया है. इसका नाम है ‘फ्रेंकनजेट’. उन्होंने दो खराब हो चुके फाइटर जेट के हिस्सों को जोड़कर इसे बनाया है. यह दुनिया में पहली बार हुआ है. यह काम अमेरिकी वायुसेना ने कई सालों की कोशिशों के बाद किया है. सेना के F-35 प्रोग्राम ऑफिस ने कहा है कि ‘फ्रेंकनजेट’ अब पूरी तरह से काम करने के लिए तैयार है. यह युद्ध में भी इस्तेमाल किया जा सकता है.
CBS न्यूज़ के मुताबिक वायुसेना के F-35 प्रोग्राम ऑफिस ने 2022 में ‘फ्रेंकनजेट’ बनाने का सोचा था. इस जेट को दो ऐसे फाइटर जेट के हिस्सों से बनाया गया है जो दुर्घटनाओं में खराब हो गए थे. पहला जेट 2014 में खराब हुआ था. उसमें इंजन की समस्या आ गई थी. दूसरा जेट 2020 में खराब हुआ. उसके लैंडिंग गियर में दिक्कत आ गई थी.
कैसे बना यह?
CNN के अनुसार पहला जेट F-35A था. यह फ्लोरिडा के एग्लिन एयर फोर्स बेस से उड़ रहा था. तभी उसका इंजन बुरी तरह से खराब हो गया. इस जेट का पिछला हिस्सा बहुत ज्यादा जल गया था. जांच में पता चला कि इंजन का एक टूटा हुआ हिस्सा इंजन के बाहर आ गया था. इससे जेट के अंदर के कई हिस्से जैसे ईंधन टैंक और पाइपलाइन कट गए थे.
दूसरा जेट AF-211 था. यह यूटा के हिल एयर फोर्स बेस पर था. इसका आगे का लैंडिंग गियर ठीक से काम नहीं कर रहा था. इससे इसे काफी नुकसान हुआ. इस तरह वायुसेना के पास दो अलग-अलग खराब फाइटर जेट के हिस्से थे. पहले जेट का आगे का हिस्सा ठीक था और दूसरे जेट का पिछला हिस्सा. दोनों जेट लगभग 75 मिलियन डॉलर के थे और इस्तेमाल करने लायक नहीं थे.

‘फ्रेंकनजेट’ बनाने का विचार इसलिए आया ताकि खराब हो चुके सैन्य विमानों की मरम्मत का खर्च कम किया जा सके.
कैसे आया ‘फ्रेंकनजेट’ बनाने का विचार?
‘फ्रेंकनजेट’ बनाने का विचार इसलिए आया ताकि खराब हो चुके सैन्य विमानों की मरम्मत का खर्च कम किया जा सके और कचरा भी कम हो. F-35 प्रोग्राम ऑफिस की एक रिपोर्ट के अनुसार दोनों जेट को बेकार घोषित करने के बजाय टीमों ने 2022 में एक बड़ा फैसला लिया. उन्होंने पहले जेट के आगे के हिस्से को दूसरे जेट के पिछले हिस्से से जोड़ने का सोचा. इससे पैसे बचाए जा सकते थे और एक चालू विमान मिल सकता था.
CBS के अनुसार वायुसेना ने 388वें फाइटर विंग मेंटेनेंस ग्रुप और लॉकहीड मार्टिन कंपनी के साथ मिलकर इस प्रोजेक्ट पर काम किया. उन्होंने पहले AF-27 के आगे के हिस्से को लिया और उसे AF-211 के पिछले हिस्से पर जोड़ा. यह काम हिल एयर फोर्स बेस पर हुआ. इसके लिए नए तरह के खास उपकरण और मशीनें इस्तेमाल की गईं.
F-35 मरम्मत टीम के इंजीनियर टॉमस बार्बर ने कहा कि इस प्रोजेक्ट का काम बहुत बड़ा और मुश्किल था, लेकिन उन्होंने सभी मुश्किलों को पार कर लिया. अमेरिकी वायुसेना ने इस काम को “पहली बार और नामुमकिन काम” कहा. लॉकहीड मार्टिन के बड़े इंजीनियर स्कॉट टेलर ने CNN को बताया कि वैसे तो किसी भी विमान के हिस्सों को अलग करके फिर से जोड़ा जा सकता है, लेकिन ऐसा पहले कभी F-35 के साथ नहीं हुआ था. उन्होंने कहा, “यह पहला F-35 ‘फ्रेंकन-बर्ड’ है. यह इतिहास है.”
कितना हुआ खर्च?
इस पूरे प्रोजेक्ट में दो साल से भी कम समय लगा. इस पर लगभग 11.7 मिलियन अमेरिकी डॉलर का खर्च आया. यह अनुमान से 2.8 मिलियन अमेरिकी डॉलर कम था. ‘फ्रेंकनजेट’ की वजह से रक्षा विभाग ने कुल 63 मिलियन अमेरिकी डॉलर बचाए. ‘फ्रेंकनजेट’ ने जनवरी 2025 में अपनी पहली टेस्ट उड़ान भरी. यह उड़ान हिल एयर फोर्स बेस से टेक्सास में लॉकहीड मार्टिन की फैक्ट्री तक थी.
एयर फोर्स टाइम्स के अनुसार इसके बाद विमान का टेक्सास में आखिरी रखरखाव हुआ. मार्च में यह विमान वापस हिल एयर फोर्स बेस पर आ गया और 338वें फाइटर विंग में शामिल हो गया. यह वही यूनिट है जिसमें पहले AF-211 था. F-35A प्रोग्राम के हेड जेफरी जेनसेन ने एयर फोर्स टाइम्स को बताया कि इस विमान की पहली उड़ान में ही इसे पूरी क्षमता से उड़ाया गया. यह बिल्कुल नए विमान की तरह काम कर रहा था. उन्होंने कहा, “जल्द ही यह विमान पूरी तरह से सेवा में लौट आएगा. यह देश की रक्षा के लिए तैयार होगा और इससे टैक्स देने वालों के बहुत सारे पैसे बचेंगे.”