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US-China Tension: अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वार से बात आगे बढ़ गई है. चीन ने अमेरिका की यात्रा करने वाले अपने नागरिकों को लेकर चेतावनी जारी की है. इसमें कहा गया है कि अमेरिका में सुरक्षा की स्थिति ठीक नह…और पढ़ें

टैरिफ वार के कारण अमेरिका और चीन के रिश्ते खराब हो गए हैं.
हाइलाइट्स
- चीन ने नागरिकों को अमेरिका यात्रा पर चेतावनी दी.
- अमेरिका-चीन टैरिफ वार से रिश्ते नाजुक मोड़ पर.
- ओहियो राज्य के कानून पर चीन ने अलग चेतावनी जारी की.
US-China Tension: अमेरिका और चीन के बीच जारी टैरिफ वार की मार अब दोनों देशों के नागरिकों पर पड़ने वाली है. इस टैरिफ वार ने दोनों देशों के रिश्तों को नाजुक मोड़ पर ला दिया है. ऐसे में चीन ने अपने नागरिकों को अमेरिका की यात्रा को लेकर दो चेतावनियां जारी की हैं. इनमें कहा गया है कि उन्हें सावधानी बरतनी चाहिए. दोनों देश एक-दूसरे के सामानों पर भारी कर (टैरिफ) लगा रहे हैं.
साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के संस्कृति और पर्यटन मंत्रालय ने कहा कि चीन और अमेरिका के बीच आर्थिक संबंध बिगड़ रहे हैं. साथ ही अमेरिका में सुरक्षा की स्थिति भी ठीक नहीं है. इसलिए चीनी पर्यटकों से अपील है कि वे अमेरिका जाने से पहले जोखिमों का आकलन करें और सावधानी से यात्रा करें. यह बयान तब आया जब चीन ने अमेरिकी सामानों पर 50 प्रतिशत अतिरिक्त कर लगाने की घोषणा की. इससे पहले अमेरिका ने चीन पर टैरिफ की दर बढ़ाकर 104 फीसदी कर दिया. इन टैरिफ से दोनों देशों के बीच दशकों से चले आ रहे सामान्य व्यापारिक रिश्तों को नुकसान पहुंच सकता है.
ओहिया राज्य के कानून को लेकर अलग चेतावनी
इसके अलावा, चीन के शिक्षा मंत्रालय ने भी एक अलग चेतावनी जारी की. यह चेतावनी अमेरिका के ओहियो राज्य में बन रहे एक नए कानून को लेकर थी. इस कानून में चीन से संबंधित कुछ नकारात्मक बातें हैं. ओहियो की सीनेट ने पिछले महीने यह बिल पास किया था. इसमें चीन और अमेरिका के बीच शैक्षिक आदान-प्रदान पर रोक लगाने की बात है. मंत्रालय ने कहा कि विदेश में पढ़ने वाले छात्रों से अनुरोध है कि वे अमेरिका के ओहियो जैसे राज्यों में पढ़ाई के लिए जाने से पहले सुरक्षा जोखिमों का आकलन करें.
ओहियो का यह बिल मुख्य रूप से वहां के सरकारी विश्वविद्यालयों में विविधता और समानता से जुड़े नियमों को लक्षित करता है. लेकिन इसमें चीन से विदेशी प्रभाव को रोकने की बात भी शामिल है. ओहियो के रिपब्लिकन नेताओं का कहना है कि यह कानून उनके संस्थानों को चीन के हस्तक्षेप से बचाएगा. अगर यह बिल राज्य सीनेट से पास होकर गवर्नर माइक डेवाइन के हस्ताक्षर से कानून बन जाता है, तो यह लागू हो जाएगा.
यह चेतावनी उस समय आई है जब अमेरिका में भी चीनी छात्रों पर सख्ती बढ़ रही है. पिछले साल, भारत ने चीन को पीछे छोड़कर अमेरिका में सबसे ज्यादा अंतरराष्ट्रीय छात्र भेजने वाला देश बन गया था. 2023-24 में 3,31,602 भारतीय छात्र अमेरिका में पढ़ रहे थे, जबकि चीनी छात्रों की संख्या 2,77,398 थी. 2009-10 से चीनी छात्र अमेरिका में सबसे बड़ी विदेशी छात्र आबादी थे, लेकिन 2019-20 से उनकी संख्या घट रही है.