America Vs China: अमेरिका और चीन के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. अब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बड़ा कदम उठाने की तैयारी में हैं. उनकी योजना है कि समुद्र की गहराई से धातुओं का भंडार बनाया जाए. यह भंडार खास खनिजों का होगा, जो बैटरी और आधुनिक तकनीक के लिए जरूरी हैं. ट्रंप ऐसा करके चीन पर अमेरिका की निर्भरता कम करना चाहते हैं.
दरअसल चीन दुनिया में इन जरूरी खनिजों का सबसे बड़ा उत्पादक है. अमेरिका को डर है कि अगर चीन ने इनकी सप्लाई रोक दी तो मुश्किल हो जाएगी. खासकर युद्ध या किसी बड़े संकट के समय में. इसलिए ट्रंप प्रशासन एक ऐसा नियम बनाने जा रहा है जिससे अमेरिका खुद ही इन धातुओं को जुटा सके.
पूरी प्लानिंग में ट्रंप
खबरों के मुताबिक ट्रंप प्रशासन एक कार्यकारी आदेश तैयार कर रहा है. इसका मकसद है कि प्रशांत महासागर के नीचे से जो धातुएं निकलेंगी, उनका एक बड़ा भंडार बनाया जाए. इससे अमेरिका को बाहर से इन चीजों को खरीदने की जरूरत कम हो जाएगी. पहले भी ट्रंप प्रशासन ने इस दिशा में कोशिशें की थीं. उन्होंने यूक्रेन से खनिज खरीदने की बात की थी. ग्रीनलैंड को खरीदने का विचार भी रखा था. यहां तक कि कनाडा के कुछ हिस्सों पर भी नजर डाली थी. साथ ही अमेरिका में ही इन खनिजों का उत्पादन बढ़ाने पर जोर दिया था.
ट्रंप क्यों उठा रहे यह कदम?
अब ‘फाइनेंशियल टाइम्स’ की रिपोर्ट के अनुसार यह नया भंडार इसलिए बनाया जा रहा है ताकि अगर चीन निर्यात रोक दे तो अमेरिका के पास जरूरी सामान मौजूद रहे. यह कदम चीन के उस फैसले के बाद आया है, जिसमें उसने कुछ खास दुर्लभ पृथ्वी तत्वों के निर्यात पर रोक लगा दी है. यह चीन ने ट्रंप के लगाए नए टैक्सों के जवाब में किया है.
ये दुर्लभ धातु बहुत काम के हैं. स्मार्टफोन से लेकर इलेक्ट्रिक गाड़ियां और सेना के हथियार तक सबमें इनका इस्तेमाल होता है. अभी चीन दुनिया में इनका लगभग 90% उत्पादन करता है. इसलिए अमेरिका को मजबूरन चीन से खरीदना पड़ता है जो एक कमजोर कड़ी है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ट्रंप का यह आदेश गहरे समुद्र में खनन के लिए जल्दी मंजूरी देगा. साथ ही अमेरिका में ही इन धातुओं को प्रोसेस करने की क्षमता बढ़ाने में मदद करेगा. हालांकि, वाइट हाउस और चीन के विदेश मंत्रालय ने इस पर कोई बयान नहीं दिया है.
चीन ने ट्रंप के टैरिफ वार पर किया पलटवार
चीन ने भी अमेरिका के टैक्स बढ़ाने के बाद पलटवार किया है. उसने रक्षा, साफ ऊर्जा और हाई-टेक उद्योगों के लिए जरूरी खनिजों के निर्यात पर और सख्ती कर दी है. इससे साफ है कि चीन वैश्विक खनिज सप्लाई पर अपनी पकड़ को हथियार की तरह इस्तेमाल करने को तैयार है. अमेरिका के टैक्स बढ़ाने के बाद चीन ने एंटीमनी, गैलियम और जर्मेनियम जैसे तत्वों के निर्यात पर पहले ही रोक लगा दी है. अब उसने सात और तरह के दुर्लभ खनिजों पर निर्यात नियंत्रण लगा दिया है. इनमें समेरियम, गेडोलिनियम, टर्बियम, डिस्प्रोसियम, लुटेटियम, स्कैंडियम और यट्रियम जैसे यौगिक शामिल हैं.
ये खनिज बहुत शक्तिशाली चुंबक बनाने के लिए जरूरी हैं. इन चुंबकों का इस्तेमाल सेना के सामान, इलेक्ट्रिक गाड़ियों और साफ ऊर्जा तकनीक में होता है. दुनिया में लगभग 90% परिष्कृत दुर्लभ खनिजों का उत्पादन चीन करता है. इनमें 17 तत्व शामिल हैं जिनका इस्तेमाल रक्षा, इलेक्ट्रिक वाहन, साफ ऊर्जा और इलेक्ट्रॉनिक्स उद्योगों में होता है. अमेरिका ज्यादातर दुर्लभ पृथ्वी तत्व चीन से ही आयात करता है. ट्रंप का यह नया कदम चीन को चुनौती देने और अमेरिका को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक बड़ा प्रयास हो सकता है.