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US Iran Nuclear Talks: तेहरान और वाशिंगटन के बीच तनाव के बीच ओमान एक गुप्त पुल की तरह काम कर रहा है. शनिवार को दोनों देशों के बीच ओमान की राजधानी मस्कट में ‘अप्रत्यक्ष बातचीत’ हुई.

अमेरिका और ईरान के बीच ओमान में चल रही हाई लेवल मीटिंग.
हाइलाइट्स
- ओमान ने ईरान और अमेरिका के बीच परमाणु बातचीत में मध्यस्थता की.
- तेहरान ने अमेरिका के सामने पहले धमकियां बंद करने की शर्त रखी.
- ईरान ने कहा कि अमेरिका से सिर्फ परमाणु मुद्दे पर चर्चा करेंगे.
मस्कट: ओमान एक बार फिर खामोश कूटनीति का गवाह बना है. शनिवार को मस्कट में ईरान और अमेरिका के बीच अप्रत्यक्ष लेकिन उच्चस्तरीय वार्ता शुरू हुई, जिसमें दोनों देशों ने परमाणु मुद्दे पर एक नई राह तलाशने की कोशिश की. दिलचस्प बात यह है कि ये बातचीत ऐसे वक्त हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप एक बार फिर धमकियों की भाषा बोल रहे हैं. ईरान ने अमेरिका को साफ कह दिया है – अगर डील चाहिए, तो धमकी बंद करो. तेहरान की ओर से विदेश मंत्री सईद अब्बास अराघची खुद प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे हैं, और उनका रुख बेहद स्पष्ट है. उन्होंने दो टूक कहा, ‘अगर अमेरिका बातचीत की मेज पर गरिमा और गंभीरता के साथ आता है, तो यह एक सकारात्मक शुरुआत हो सकती है, लेकिन धमकियों और दबाव के साथ नहीं.’
ओमान के विदेश मंत्री हैं मीडिएटर
अमेरिका की ओर से मध्य पूर्व मामलों के विशेष दूत स्टीव विटकॉफ ओमान पहुंचे हैं. यह भी अहम है कि यह बातचीत ओमान के विदेश मंत्री बद्र अल-बुसैदी की मध्यस्थता में हो रही है. वही ओमान जो लंबे समय से पश्चिम और ईरान के बीच पुल बना हुआ है, बिना कोई बड़ा प्रचार किए.
ईरान का कहना है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से शांतिपूर्ण है और वह किसी भी तकनीकी अस्पष्टता को दूर करने को तैयार है. लेकिन अमेरिका का रवैया एक बार फिर ‘शेर की दहाड़’ जैसा है. ट्रंप ने हाल ही में कहा था कि अगर ईरान ने बातचीत से इनकार किया, तो ‘अभूतपूर्व सैन्य हमला’ होगा.
असल में ट्रंप की ये भाषा पुरानी है – ‘अधिकतम दबाव’ की नीति पहले भी कुछ हासिल नहीं कर पाई थी. 2015 में जिस जेसीपीओए डील पर हस्ताक्षर हुआ था, उसे 2018 में ट्रंप प्रशासन ने तोड़ दिया. इसके बाद से ही तनाव लगातार बढ़ता रहा है.