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GNSU AI Based Drone: गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी के इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग विभागने एआई बेस्ड ड्रोन का निर्माण किया है. इस ड्रोन का उपयोग कई कार्यो में किया जा सकता है. यह AI-बेस्ड पावर ऑप्टिमाइज…और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- GNSU के छात्रों ने AI आधारित मल्टीपर्पस ड्रोन बनाया.
- ड्रोन में 50% पुर्जे भारत में निर्मित हैं.
- ड्रोन का प्रोटोटाइप 30 हजार की लागत में तैयार हुआ.
रोहतास. बिहार के रोहतास जिला स्थित गोपाल नारायण सिंह यूनिवर्सिटी (GNSU) के इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी और इंजीनियरिंग विभाग में शोध और नवाचार को बढ़ावा देते हुए प्रोफेसर डॉ. राजेश और उनके छात्रों ने एक अनोखा मल्टीपर्पस ड्रोन तैयार किया है. यह ड्रोन पूरी तरह आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित है और इसकी सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसे एक साथ कई कार्यों के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. अब तक बाजार में उपलब्ध ड्रोन एक विशेष कार्य के लिए डिजाइन किए जाते थे, वहीं डॉ. राजेश का यह ड्रोन एक से अधिक क्षेत्रों में उपयोगी साबित होगा.
AI-बेस्ड पावर ऑप्टिमाइजेशन तकनीक से है निर्मित
डॉ. राजेश ने बताया कि यह ड्रोन पूरी तरह से मॉड्यूलर डिजाइन पर आधारित है. यदि इसे खेती में उर्वरक या कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए उपयोग करना हो, तो इसमें बस फर्टिलाइज़र स्प्रे मशीन को जोड़ना होगा और यह उसी रूप में काम करेगा. इसी तरह यदि इसे निगरानी, मेडिकल सप्लाई, वीडियो शूटिंग या अन्य तकनीकी कामों में लगाना हो, तो जरूरत के अनुसार अलग-अलग उपकरण जोड़कर इसका उपयोग किया जा सकता है. यही इस ड्रोन की सबसे बड़ी खासियत है. उन्होंने बताया कि आमतौर पर ड्रोन की सबसे बड़ी चुनौती उसकी बैटरी क्षमता होती है, लेकिन इस ड्रोन में AI-बेस्ड पावर ऑप्टिमाइजेशन तकनीक का इस्तेमाल किया गया है, जिससे इसकी बैटरी अधिक समय तक काम करती है. इसके अलावा इसमें एक सेकेंडरी बैटरी भी शामिल की गई है, जिससे उड़ान की अवधि और भी बढ़ जाती है.
मेक इन इंडिया का रखा गया है ख्याल
डॉ. राजेश ने बताया कि यह ड्रोन ‘मेक इन इंडिया’ सोच को ध्यान में रखते हुए तैयार किया गया है. इसमें 50 प्रतिशत से अधिक पुर्जे भारत में ही निर्मित हैं. खास बात यह है कि इसकी बैटरी पैक भी उन्होंने अपनी टीम के साथ मिलकर खुद तैयार की है. इस ड्रोन को यूनिवर्सिटी के इनक्यूबेशन सेंटर में बनाया गया है. डॉ. राजेश ने बताया कि इस सेंटर का इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (IIT) मंडी के साथ एमओयू साइन है. इसके तहत कोई भी छात्र या युवा अपना स्टार्टअप आइडिया लेकर आता है, तो सेंटर उसकी हर स्तर पर मदद करता है और IIT मंडी के सहयोग से उस आइडिया को साकार करने में सहयोग प्रदान करता है.
इस मल्टीपर्पस ड्रोन का प्रोटोटाइप तैयार करने में लगभग 30 हजार की लागत आई है. अब टीम इसके और उन्नत संस्करण पर काम कर रही है, ताकि इसे बड़े पैमाने पर उपयोग के लिए तैयार किया जा सके. आने वाले समय में यह ड्रोन कृषि, सुरक्षा, आपदा प्रबंधन और स्वास्थ्य जैसे कई क्षेत्रों में क्रांतिकारी भूमिका निभा सकता है.