Wednesday, April 16, 2025
spot_img
HomeStatesबिहारBihar News: रोहतास के सोनाचूर चावल को मिलेगी वैश्विक पहचान, जिला प्रशासन...

Bihar News: रोहतास के सोनाचूर चावल को मिलेगी वैश्विक पहचान, जिला प्रशासन ने शुरू की ‘जीआई टैग’ की कवायद


Last Updated:

Bihar News: रोहतास जिला में बंपर पैदाइश होने वाले सोनाचूर चावल को जीआई टैग दिलाने के लिए जिला प्रशासन में कवायद शुरू की है. बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण तथा वनस्पति अनुसंधान…और पढ़ें

रोहतास के सोनाचूर चावल को मिलेगी वैश्विक पहचान, शुरू हुई GI टैग लेने की कवायद

रोहतास का सोनाचूर चावल जीआई टैग के लिए अनुशंसित किया गया.

हाइलाइट्स

  • रोहतास का सोनाचूर चावल जीआई टैग के लिए अनुशंसित.
  • जीआई टैग मिलने से सोनाचूर चावल की वैश्विक पहचान होगी.
  • किसानों को बेहतर कीमत और उत्पादन में मदद भी मिलेगी.

सासाराम.  बिहार के रोहतास जिला को धान का कटोरा कहा जाता है. अब यहां का सबसे प्रसिद्ध सोनाचूर चावल की वैश्विक पहचान बनाने वाली है. रोहतास जिला प्रशासन इस चावल को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्थापित करने के प्रयास में है. इसके लिए जिला प्रशासन ने ज्योग्राफिकल आईडेंटिफिकेशन टैग अर्थात “जीआई टैग” के लिए अप्लाई किया है. अगर सब कुछ सामान्य रहा तो आने वाले समय में रोहतास जिले का यह खुशबूदार चावल दुनिया भर के लोगों की थाली में होगी.

जीआई टैग के लिए किया गया अनुशंसा-बता दे कि इसको लेकर बिक्रमगंज के वनस्पति अनुसंधान इकाई, बिहार कृषि विश्वविद्यालय भागलपुर, कृषि प्रौद्योगिकी प्रबंध अभिकरण तथा स्थानीय किसानों का संगठन संयुक्त रूप से प्रयास कर रहा है. सोनाचूर धान उत्पादक संघ से जुड़े किसानों ने इसके लिए लंबी लड़ाई लड़ी है. बता दें कि किसी खास क्षेत्र के खास उत्पाद को यह मान्यता दी जाती है. यह टैग बौद्धिक संपदा अधिकारों के तहत मान्यता प्राप्त होती है.इससे संबंधित उत्पाद का इंटरनेशनल बाजार में विशेष पहचान बनती है. बता दें कि रोहतास जिला में सोनाचूर चावल की बंपर खेती होती है. इस चावल के दाने छोटे-छोटे काफी खुशबूदार होती है. बड़ी बात यह है कि यह चावल सुपाच्य भी है. फिलहाल किसान इसे मात्र पांच हजार से छह हजार रुपए प्रति क्विंटल के हिसाब से बाजार में बेच रहे हैं.

रोहतास के सोनाचूर चावल को वैश्विक पहचान दिलाने की कोशिश शुरू.

सोनाचूर चावल उत्पाद की बनेगी वैश्विक पहचान
अब आप समझ सकते हैं कि जब इस चावल को जीआई टैग मिल जाएगा तो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर इसकी पहचान बनेगी. जिसका प्रभाव यह होगा कि किसानों के उसके उत्पादन की बढ़िया कीमत मिलेगी. साथ ही किसानों को सोनाचुर धान के उत्पादन में भी मदद मिलेगी. रोहतास की डीएम उदिता सिंह ने बताई की इसको लेकर लगातार प्रयास किया जा रहे हैं. जिला प्रशासन ने सोनाचूर को G.I. टैग के लिए संबंधित विभाग से मिलकर अनुशंसा की है.

रोहतास की डीएम उदिता सिंह ने जानकारी मीडिया से साझा की.

जीआई टैग से वैश्विक पहचान और विश्वसनीयता
जिला का कृषि विभाग भी इसको लेकर प्रयासरत है. बता दें कि G.I. टैग मिल जाने के बाद इसके उत्पादन को मान्यता मिलेगी. बड़ी बात है कि तब कोई इसके नाम तथा उत्पादन का नकल नहीं कर सकेगा.जिसे नकली उत्पादन पर रोक लगेगी. साथ ही गुणवत्ता में विश्वसनीयता बढ़ेगी.जानकार कहते हैं कि जीआई टैग उत्पादन को आसानी से निर्यात किया जा सकता है. दार्जिलिंग की चाय, बनारस की साड़ी और कश्मीर के केसर को पहले ही यह टैग प्राप्त हो चुका है.

homebihar

रोहतास के सोनाचूर चावल को मिलेगी वैश्विक पहचान, शुरू हुई GI टैग लेने की कवायद



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments