गुमला. आज के आधुनिक युग में घटते भू-जल स्तर और पानी की कमी की समस्या से गुमला किले को निजात मिलेगी. गुमला में पानी की समस्या से निपटने के लिए एक नई पहल की शुरुआत की गई है. भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग और झारखंड सरकार के झारखंड राज्य जलछाजन मिशन के संयुक्त प्रयासों से राज्य में कुल 200 प्राकृतिक झरनों का उपचार एवं पुनर्जीवित किया जाएगा. इस योजना से न केवल जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि इससे ग्रामीणों की जीवनशैली में भी सकारात्मक बदलाव देखने को मिलेगा.
गुमला के 25 झरनों का कायाकल्प
इस कड़ी में गुमला के 25 झरनों के कायाकल्प का लक्ष्य तय किया गया है. इस योजना का कार्यान्वयन जिला जलछाजन प्रकोष्ठ और आंकड़ा केंद्र के सहयोग से किया जाएगा. इसमें वैज्ञानिक तकनीक का उपयोग करते हुए जल स्रोतों की पहचान, उनके जलग्रहण क्षेत्र का मूल्यांकन और पुनर्भरण किया जाएगा. योजना प्रभावी ढंग से कार्यान्वित होने से यहां के लोगों को जल संकट से राहत मिल सकेगी. झरनों पर निर्भर स्थानीय समुदायों को पीने का पानी, सिंचाई के लिए सुरक्षित, विश्वसनीय और पर्याप्त जल की आपूर्ति सुनिश्चित की जाएगी.
झरनों की जल गुणवत्ता में सुधार
झरनों की जल गुणवत्ता में सुधार लाया जाएगा और उसे लंबे समय तक बनाए रखा जाएगा. झरनों के जलग्रहण क्षेत्रों का संरक्षण और पुनर्स्थापना किया जाएगा. जल संरक्षण के प्रति सामुदायिक सहभागिता और जागरूकता बढ़ाई जाएगी.
जल छाजन मिशन का उद्देश्य
भारत सरकार के भूमि संसाधन विभाग और झारखंड सरकार के ग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड राज्य जल छाजन मिशन के तहत गुमला जिला में भूमि और जल संरक्षण का कार्य किया जा रहा है. इसके तहत राज्य के कुल 200 प्राकृतिक झरनों का उपचार और पुनर्जीवित किया जाएगा. गुमला जिले के 25 प्राकृतिक झरनों का कायाकल्प किया जाएगा, जहां प्राकृतिक रूप से पानी बह रहा है, उस पानी को संरक्षण करना और उनका उपचार एवं पुनर्जीवित करना है.
जल स्रोतों का विकास और संरक्षण
गुमला जिला में स्प्रिंग्स और स्प्रिंगशेड के विकास और संरक्षण पर कार्य किया जा रहा है. सेरेंगदाग, डुमरी, पालकोट, बिशनपुर जैसे क्षेत्रों में ऐसे स्थानों का चयन किया जा रहा है, जहां पानी की आपूर्ति का कोई स्रोत नहीं है. सरकार इन क्षेत्रों में पानी को स्टोर करने और किसानों तक पानी पहुंचाने के उपायों पर काम कर रही है.
जल संरक्षण योजना का प्रभाव
इस योजना का उद्देश्य वेस्ट हो रहे पानी का संरक्षण और उपयोग है. इस पानी का उपयोग पीने के पानी, सिंचाई, पशुपालन और कृषि के लिए किया जाएगा. इससे न केवल पर्यावरण पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा, बल्कि स्थानीय कृषि और किसानों की स्थिति में भी सुधार होगा.
ग्रामीणों के लिए लाभ
जल छाजन विभाग ने अपील की है कि यदि गुमला या झारखंड राज्य में किसी भी स्थान पर जल स्रोतों का पानी बर्बाद हो रहा है, तो लोग इसकी सूचना जल छाजन विभाग के कार्यालय में दे सकते हैं, ताकि उनका उपचार और पुनर्जीवन किया जा सके. इससे गुमला जिले के ग्रामीणों की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में भी सुधार होगा.