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लीबिया में अफ्रीकी प्रवासियों को बसाने वाले एनजीओ पर कार्रवाई की जा रही है. सरकार ने 10 एजेंसियों को बंद कर दिया है और उनके सदस्यों को जेल में डाल दिया है.

लीविया में तमाम समूहों के लोगों को लाकर बसाया जा रहा है.
हाइलाइट्स
- लीबिया में अफ्रीकी प्रवासियों को बसाने वाले एनजीओ पर कार्रवाई हुई.
- सरकार ने 10 एजेंसियों को बंद कर उनके सदस्यों को जेल में डाला.
- लीबिया की सरकार ने प्रवासियों को बसाने को शत्रुतापूर्ण कृत्य कहा.
भारत में बांग्लादेशियों को लाकर बसाने के दावे किए जा रहे हैं. एक्शन होता है, लेकिन फिर उनकी संख्या अचानक बढ़ जाती है. अफ्रीकी देश लीविया में भी कुछ ऐसी ही कोशिशें हो रही रही थीं. तभी सरकार की नजर पड़ी और अब डंडा मारकर सबको बाहर निकाला जा रहा है. ऐसे सैकड़ों एनजीओ पर ताला लगा दिया गया है. इनसे जुड़े लोगों को पकड़कर जेलों में ठूंसा जा रहा है.
लीविया की सरकार का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में तमाम ऐसे एनजीओ सामने आ गए हैं जो अफ्रीकी प्रवासियों को लाकर बसा रहे हैं, ताकि देश की जनसंख्या में बदलाव किया जा सके. लीविया की आंतरिक सुरक्षा प्राधिकरण के प्रवक्ता सलेम गहैत ने कहा, इनकी योजना हमारे देश में अफ्रीकी मूल के प्रवासियों को बसाने की है. यह शत्रुतापूर्ण कृत्य (Hostile Act) हैः इन लोगों का मकसद देश की जनसांख्यिकी बदलना और लीबियाई समाज के संतुलन को खतरे में डालना है.
10 एजेंसियां तुरंत बंद
सरकार ने कहा, हमने 10 ऐसी एजेंसियों को तुरंत बंद करने और देश छोड़कर चले जाने का आदेश दिया है. इनमें डॉक्टर्स विदाउट बॉडर्स, यूएन रिफ्यूजी एजेंसी, नॉर्वेजियन रिफ्यूजी काउंसिल शामिल है. दो साल पहले ट्यूनीशिया में भी ऐसी ही कार्रवाई की गई थी. दोनों ही देश भूमध्य सागर के तट पर हैं. यह रास्ता अफ्रीकी प्रवासी यूरोप जाने के लिए इस्तेमाल करते हैं.
दो हिस्सों में बंटा देश
2011 में लीबिया के नेता मुअम्मर गद्दाफी के पतन के बाद से सरकार में टूट-फूट हो गई है, जिससे सशस्त्र मिलिशिया और मानव तस्करों की संख्या बढ़ गई है. देश दो हिस्सों में बंट गया है. मिलिशियामैन पर आरोप है कि वे उन केंद्रों को चला रहे हैं जहां प्रवासियों को पीटा जाता है या भूखा रखा जाता है. लीबिया के कोस्ट गार्ड पर आरोप है कि वे कभी-कभी लोगों को बचाने के बजाय समुद्र में फिल्म बनाते हैं. डॉक्टर्स विदाउट बॉर्डर्स ने एक सप्ताह पहले लीबिया में काम सस्पेंड कर दिया था, क्योंकि उनके अफसरों को पूछताछ के लिए बुलाया गया था. UN की शरणार्थी एजेंसी (UNHCR) ने कहा, हम सरकार से अभी बात कर रहे हैं.