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Jharkhand News: देश 21वीं सदी में तरक्की की रफ्तार भर रहा है, लेकिन झारखंड में हालात अब भी बदतर हैं. सिमडेगा के कई ग्रामीण इलाकों तक रास्ते के अभाव में आज भी वाहन नहीं पहुंच पा रहे. नतीजा यहां के ग्रामीणों की ज…और पढ़ें

सिमडेगा/श्रीराम पुरी. पाकरडांड प्रखंड अंतर्गत केसलपुर पंचायत के चुंदयारी गांव में आज तक मूलभूत सुविधाएं नहीं पहुंच पाई हैं. गांव तक जाने के लिए सड़कें नहीं हैं. यहां न तो बिजली की सुविधा है न ही शुद्ध पेयजल की कोई भी व्यवस्था. इस गांव में गर्भवती महिलाओं को खटिया से ढोकर पक्की सड़क तक लाना पड़ता है, क्योंकि गांव तक एम्बुलेंस नहीं पहुंच पाती है. मंगलवार को एक बार यहां ‘खाट पर सिस्टम’ का दृश्य फिर दिखा जब प्रियंका देवी नाम की गर्भवती महिला को जब डिलिवरी का दर्द शुरू हुआ. प्रसव पीड़ा से जूझ रही महिला को देख उनके घर के लोग चिंतित हो गए और फिर घर वाले गर्भवती महिला को खटिया से ढोकर करीब तीन किलोमीटर दूर पक्की सड़क तक लेकर पहुंचे. इसके बाद वहां से महिला को एंबुलेंस के सहारे अस्पताल पहुंचाया.
अभाव विहीन उस गांव और ग्रामीणों के परेशानी को बताते हुए गांव के शंकर सिंह सहित कई ग्रामीणों ने कहा कि गांव में बिजली पानी सड़क की सुविधा नहीं होने से ग्रामीणों को कई समस्याएं हो रहीं हैं. बीमार पड़ने पर खटिया से ढोना पड़ता है. इस विषय को लेकर कई बार जिला उपायुक्त साथ ही विधायक को लिखित आवेदन दिए जा चुके हैं, पर कोई भी सुनवाई नहीं हो पा रही है. कई सालों से मूलभूत सुविधाएं नहीं मिलने के कारण ग्रामीणों ने सरकार और प्रशासन से कहा कि जल्द से जल्द गांव तक सड़क पानी बिजली की सुविधा उपलब्ध करवाया जाए.
विकास की जमीनी हकीकत दिखाता ‘खाट पर सिस्टम’ !
‘खाट पर सिस्टम’ का ऐसा दृश्य सिमडेगा के लिए कोई नई बात नहीं है. सिमडेगा में अक्सर इस तरह की तस्वीर सामने आकर देश और राज्य के विकास की जमीनी हकीकत बयां करती रहती है. अगस्त 2024 में ऐसा ही मामला तब सुर्खियों में आया था जब ठेठईटांगर प्रखंड के ताराबोगा पंचायत अंतर्गत कुरुमडेगी गांव के मरीज को ग्रामीणों के सहयोग से खटिया के सहारे ढोकर सड़क तक पहुंचाया गया, ताकि समय से अस्पताल पहुंचाया जा सके और उनका इलाज हो सके. बता दें कि खासकर यह समस्या बारिश के दिनों में ज्यादा बढ़ जाती है.

सिमडेगा के केसलपुर पंचायत के चुंदयारी गांव में मूलभूत सुविधाओं के अभाव से जूझते लोग.
मूलभूत सुविधाओं का अधिकार तो दे दो सरकार
दरअसल, बारिश का पानी उतरने के कारण गाड़ियां पार नहीं हो पाती है. मेट्रो और नेशनल हाईवे ना सही परंतु एक छोटी पुलिया बन जाने से गांव में एक पक्की सड़क तो बन जाती और विकास के जो सपना ग्रामीण देखते हैं. अंतरिक्ष तक देश के कदम और गांव तक सरकार आपके द्वार जाकर विकास के दंभ भरना तब तक खोखला होगा, जब तक विकास विहीन अंतिम पायदान पर काफी ऐसी गांव तक सरकार सड़क मार्ग नहीं बना दे, जिससे फिर से किसी मरीज को खाट के सहारे जीवन का जंग लड़ते हुए नहीं जाना पड़े.