Last Updated:
Lakshman jhula rishikesh : ऋषिकेश की पहचान बन चुका 124 मीटर का ये मशहूर पुल 94 साल बाद बंद कर दिया गया है. आजादी से पहले बना ये पुल दशकों तक धर्म, इतिहास और इंजीनियरिंग का अनूठा संगम रहा.

ऋषिकेश में स्थित लक्ष्मण झूले का इतिहास
हाइलाइट्स
- 1930 में बना ऋषिकेश का ऐतिहासिक लक्ष्मण झूला बंद.
- सुरक्षा कारणों से बंद किया गया ऐतिहासिक पुल.
- 2019 में IIT रुड़की ने पुल को असुरक्षित घोषित किया.
ऋषिकेश. उत्तराखंड का ऋषिकेश अपनी आध्यात्मिकता, प्राकृतिक सुंदरता और धार्मिक महत्त्व के लिए विश्व प्रसिद्ध है. यहां की शांत गंगा, मंदिरों की घंटियां और योग साधना हर किसी को आत्मिक शांति देती है. इसी नगरी में है लक्ष्मण झूला (Lakshman Jhula Rishikesh), जो न सिर्फ एक पुल है, बल्कि आस्था, इतिहास और इंजीनियरिंग का दशकों से सुंदर प्रतीक रहा है. 94 साल के लंबे सफर के बाद ये ऐतिहासिक पुल अब पूरी तरह बंद कर दिया गया है. ये निर्णय सुरक्षा कारणों से लिया गया, लेकिन इस पुल के साथ गहरा इतिहास और भावनात्मक जुड़ाव रहा है. लक्ष्मण झूले का निर्माण 1927 में शुरू हुआ और 11 अप्रैल 1930 को इसे जनता के लिए खोल दिया गया. ये पुल इस्पात के तारों से बना एक सस्पेंशन ब्रिज है, जिसकी लंबाई लगभग 124 मीटर है. ये ऋषिकेश में गंगा नदी पर बना है और टिहरी व पौड़ी जिलों को आपस में जोड़ता है. इस पुल से न केवल स्थानीय लोगों का रोजमर्रा का आना-जाना होता था, बल्कि ये देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों के लिए भी आकर्षण का केंद्र था.
ऐसे बना आस्था का केंद्र
लोकल 18 से बातचीत में श्री सच्चा अखिलेश्वर महादेव मंदिर के पुजारी शुभम तिवारी कहते हैं कि धार्मिक मान्यता के अनुसार, त्रेता युग में भगवान राम के छोटे भाई लक्ष्मण ने इसी स्थान पर गंगा नदी को पार किया था. माना जाता है कि उन्होंने एक पेड़ की शाखा के सहारे नदी पार की थी. इसी कथा को ध्यान में रखते हुए इस स्थान पर पुल का निर्माण कराया गया और इसे लक्ष्मण झूला नाम दिया गया. आगे चलकर ये स्थान हिंदू आस्था का केंद्र बन गया. यहां हजारों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते रहे हैं.
IIT रुड़की की चेतावनी
समय के साथ पुल की हालत खराब होने लगी. बढ़ते हुए ट्रैफिक और लगातार उपयोग के कारण इसके तार और आधारभूत ढांचे में कमजोरी आने लगी. साल 2019 में IIT रुड़की की एक रिपोर्ट में बताया गया कि लक्ष्मण झूला अब आवागमन के लिए सुरक्षित नहीं रहा. रिपोर्ट के अनुसार, पुल के कई हिस्से में जंग लगने लगा था और ढीले होने लगे थे, जिससे इसके गिरने का खतरा बढ़ गया था. इसी कारण 12 जुलाई 2019 को उत्तराखंड सरकार ने इसे आम जनता के लिए बंद करने का निर्णय लिया.
पैदल चलने पर भी रोक
हालांकि, स्थानीय लोगों और पर्यटकों की भावनाओं को देखते हुए इस पर कुछ समय के लिए पैदल चलने की अनुमति दी गई. लेकिन 3 अप्रैल 2022 को पुल का एक सपोर्टिंग तार टूट गया, जिससे स्थिति और गंभीर हो गई. इसके बाद प्रशासन को मजबूरन इसे पूरी तरह बंद करना पड़ा. लक्ष्मण झूला केवल एक पुल नहीं था, ये ऋषिकेश की आत्मा का हिस्सा था. ये पुल आध्यात्मिकता, संस्कृति, और इंजीनियरिंग का एक दुर्लभ संगम था. इसकी धार्मिक मान्यता, ऐतिहासिक महत्त्व और पर्यटन में योगदान इसे खास बनाते हैं. राज्य सरकार इसके स्थान पर एक नया और मजबूत पुल बनाने की योजना पर काम कर रही है, ताकि लोगों की सुरक्षा के साथ-साथ इस ऐतिहासिक विरासत को भी सम्मान दिया जा सके.