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गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप में सड़क से गुजरते हुए अक्सर राहगीरों को प्यास लगती है. लेकिन जब सड़क किनारे वृक्ष की छाएं में ठंडे पानी से भरे मटके मिल जाएं तो फिर हर राहगीर अपनी प्यास बुझा ही लेता है. दरअसल, …और पढ़ें

प्याऊ में पानी पीते राहगीर
हाइलाइट्स
- परसराम पटेल 18 साल से राहगीरों को पानी पिला रहे हैं.
- आधी रात में भी परसराम मटके भरते हैं.
- परसराम सालभर मटकों में पानी भरते हैं.
छतरपुर. गर्मी के मौसम में चिलचिलाती धूप में सड़क से गुजरते हुए अक्सर राहगीरों को प्यास लगती है. लेकिन जब सड़क किनारे वृक्ष की छाएं में ठंडे पानी से भरे मटके मिल जाएं तो फिर हर राहगीर अपनी प्यास बुझा ही लेता है. दरअसल, 18 साल से परसराम पटेल डुमरा तिगैला से कुछ मीटर की दूरी खजुराहो रोड में राहगीरों को पानी पिलाने का काम करते हैं. गर्मी के मौसम में ही नहीं बल्कि सालभर चलते राहगीरों की प्यास अपने मटके के पानी से बुझाते हैं. शुरुआत में तो पैदल चलकर कुआं के पानी से मटके भरते थे.
राजनगर तहसील के गांव देवकुलिया के रहने वाले परसराम पटेल बताते हैं कि मैं पिछले 18 साल से मटकों में पानी भर रहा हूं ताकि यहां से गुजरने वाले हजारों-लाखों राहगीरों की प्यास बुझा पाऊं.
कुआं से पानी खींचकर भरते थे मटके
परसराम बताते हैं कि अभी 5 साल पहले ही बोरिंग कराई है. लेकिन इससे पहले सामने दूर खेत में बने कुआं से पानी खींचकर यहां के मटके भरता था. अभी भी जब लाइट चली जाती है तो हांथ से मटकों में पानी भरता हूं.
आधी रात में उठकर भी भरते हैं पानी
परसराम बताते हैं कि दिन हो या रात जब भी मटके खाली होते हैं तो भरना पड़ता है. अगर आधी रात को भी पता चले कि राहगीर प्यासे लौट गए हैं तो भी मटके भरता हूं. लोगों को पानी पिलाकर मैं अपना कर्तव्य निभाता हूं. जब तक जिंदा रहूंगा पानी पिलाता रहूंगा. अब आने वाली पीढ़ी का पता नहीं कि बच्चे नाती पिलाएंगे या नहीं ये तो नहीं बता सकता.
12 महीने पिलाते हैं पानी
परसराम बताते हैं कि सिर्फ गर्मी सीज़न में ही नहीं बल्कि साल के 365 दिन मटकों में पानी भरकर रखता हूं ताकि यहां से गुजरने वाला कोई भी राहगीर प्यासा न जाए.
खुद करते हैं मजदूरी
परसराम बताते हैं कि हर महीने मटके बदल देता हूं. यहां टटम के ठंडे वाले मटके रखे जाते हैं,हर महीने 600 रुपए खर्च करके नए मटके रखवाता हूं जबकि मैं खुद ही मजदूरी करता हूं.वहीं राहगीरों का कहना है कि जब भी गुजरते हैं तो यहीं का पानी पीते हैं. सालों से इस प्याऊ का पानी पी रहे हैं.