Thursday, April 17, 2025
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US China Iran Tension: अमेरिका चीन टैरिफ वॉर और ईरान तनाव दुनिया पर संकट के बादल


वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रैल की शुरुआत में ही पूरी दुनिया पर टैरिफ का हंटर चलाया. टैरिफ ठीक से लागू हो पाता, उससे पहले ही ट्रंप ने उससे अपने कदम पीछे कर लिए, लेकिन चीन पर उसने टैरिफ लगाए रखा. इस कारण अमेरिका अपने दो दुश्मनों चीन और ईरान के निशाने पर है. एक तरफ चीन ने अमेरिका के टैरिफ बम का जवाब और तगड़े टैरिफ से दिया है, तो दूसरी तरफ ईरान आज शनिवार को अमेरिका के साथ मीटिंग करने जा रहा है. दोनों देशों का रवैया ऐसा है मानो वे कह रहे हों, ‘हम डरने वाले नहीं!’ लेकिन सवाल यह है कि क्या यह जंग सिर्फ शब्दों की है, या दुनिया को इसका भारी नुकसान उठाना पड़ेगा? आइए समझते हैं.

टैरिफ के जवाब में टैरिफ
चीन का टैरिफ दिखाता है कि जिनपिंग ने ‘ईंट का जवाब पत्थर से देने’ की ठानी है. दरअसल, अमेरिका ने चीनी सामान पर टैरिफ बढ़ाकर 145% कर दिया. जवाब में चीन ने भी पलटवार किया और अमेरिकी सामान पर टैरिफ को 84% से बढ़ाकर 125% कर दिया. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक चीन के वित्त मंत्रालय ने साफ कहा, ‘अगर अमेरिका और टैरिफ बढ़ाएगा, तो हम उसे हवा में उड़ा देंगे. अमेरिकी सामान अब हमारे बाजार में बिकने लायक नहीं रहे.’

चीन के कॉमर्स मंत्रालय ने तो अमेरिका पर तंज कसते हुए कहा, ‘यह टैरिफ का खेल अब मजाक बन गया है. यह सिर्फ धमकाने की नीति है, जिसका कोई आर्थिक मतलब नहीं.’ इतना ही नहीं, चीन ने धमकी दी कि अगर अमेरिका ने उसे और छेड़ा, तो वह ‘आखिरी दम तक लड़ेगा.’ यानी, जंग अभी और तेज होने वाली है.

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इस ट्रेड वार का असर कितना खतरनाक है? इसे इसी बात से समझ लीजिए कि 2024 में अमेरिका और चीन के बीच 650 अरब डॉलर का व्यापार हुआ था, जो अब ठप होने की कगार पर है. ट्रेड वार के कारण लोग डरे हैं. और इसका नतीजा? दुनिया भर के शेयर बाजार गिर गए, डॉलर की कीमत लुढ़की, और सोने की कीमत आसमान छू रही है. निवेशक डर के मारे सुरक्षित ठिकाने ढूंढ रहे हैं.

जिनपिंग ने तोड़ी चुप्पी
राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने शुक्रवार को पहली बार इस जंग पर खुलकर बोला. उन्होंने कहा, ‘चीन किसी के दबाव में नहीं झुकेगा. हम न डरते हैं, न घबराते हैं.’ उन्होंने यह भी तंज कसा कि ‘जो दुनिया के खिलाफ जाता है, वह अकेला पड़ जाता है.’ यानी, अमेरिका को चेतावनी कि वह खुद को अलग-थलग कर रहा है. इधर, चीन अपने पड़ोसियों को लुभाने में जुट गया है. अगले हफ्ते शी जिनपिंग वियतनाम, मलेशिया और कंबोडिया का दौरा करेंगे. ये वो देश हैं, जो अब तक अमेरिका से बातचीत को तैयार थे. लेकिन चीन अब इन्हें अपने पाले में लाने की कोशिश में है.

ईरान से बातचीत या जंग?
दूसरी तरफ, ईरान ने भी अमेरिका को ललकारा है. आज शनिवार को ओमान में दोनों देशों के बीच परमाणु करार पर बातचीत होगी. लेकिन माहौल गर्म है. अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने धमकी दी है कि अगर ईरान ने जल्दी डील नहीं की, तो सैन्य कार्रवाई हो सकती है. वहीं, ईरान का कहना है, ‘हम देखेंगे कि अमेरिका कितना गंभीर है. हम डिप्लोमेसी को मौका दे रहे हैं, लेकिन धमकियों में नहीं झुकेंगे.’

ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता इस्माइल बकाई ने कहा, ‘हम कोई अंदाजा नहीं लगाएंगे. शनिवार को हम अमेरिका का इरादा परखेंगे और उसी के हिसाब से जवाब देंगे.’ लेकिन खबर यह भी है कि ईरान के सुप्रीम लीडर अयातुल्लाह अली खामनेई पर उनके अपने अधिकारियों ने दबाव बनाया है कि अमेरिका से बातचीत करो, वरना देश पर हमले का खतरा है. न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, खामनेई को चेतावनी दी गई कि अगर बातचीत नहीं हुई, तो अमेरिका और इजरायल ईरान के परमाणु ठिकानों नतांज और फोर्डो पर हमला कर सकते हैं. ईरान की अर्थव्यवस्था पहले ही चरमरा रही है. अगर जंग हुई, तो देश में बगावत तक हो सकती है, जिससे ईरान में दोबारा क्रांति हो सकती है. अगर ईरान-अमेरिका के बीच जंग छिड़ी, तो इसका असर पूरी दुनिया पर होगा. पेट्रोल-डीजल की कीमतें आसमान छुएंगी. यानी, आपकी जेब पर सीधा असर पड़ेगा.



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