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Summer Food: झारखंड के गुमला में गर्मी के दिनों में एक खास डिश खूब बिकती है. ये सस्ती के साथ-साथ खूब टेस्टी है. दुकान पर रोजाना 20 किलो दही और 20 किलो बूंदी की खपत होती है. इसे आप घर में भी बना सकते हैं. जानें….और पढ़ें

केवल गर्मी के सीजन में मिलने वाला यहां दही बुंदिया सीजन की तरह ही है, हिट एंड हॉ
हाइलाइट्स
- गुमला में गर्मी में दही बूंदी की डिमांड ज्यादा है
- दुकान पर रोजाना 20 किलो दही और बूंदी की खपत
- दही बूंदी का बड़ा प्लेट 30 और छोटा 20 रुपये में
Gumla Street Food: गर्मी में लोग ठंडक और राहत देने वाली चीजों का सेवन करना पसंद करते हैं. कोल्ड ड्रिंक्स, आइसक्रीम, छाछ, लस्सी, जूस, पानी आदि की खपत बढ़ जाती है. लेकिन, झारखंड के गुमला में एक ऐसी डिश है, जो सिर्फ गर्मी में मिलती है और इसकी डिमांड तो गजब की रहती है.
यह नाश्ते का बेस्ट ऑप्शन है. गुमला के कचहरी परिसर में जगतपाल के स्टॉल पर ये डिश गर्मी में मिलती है. दुकान के संचालक जगतपाल बखला ने बताया कि गर्मी के दिनों में उनके यहां दही बूंदी परोसा जाता है, जो काफी फेमस है और इसे वे खुद घर में तैयार करते हैं.
दही बूंदी बनाने की विधि
सबसे पहले बेसन लें और उसे किसी बर्तन में निकाल लें. बेसन में थोड़ा-थोड़ा पानी मिलाकर चिकना घोल तैयार करें और 5-7 मिनट तक अच्छे से मिलाएं ताकि उसमें गोले न बनें. तैयार घोल को आधे घंटे के लिए फूलने दें. चीनी की चाशनी तैयार करने के लिए चीनी को धीमी आंच पर पकाएं और उसमें 10-15 इलायची कूटकर डालें. अब तैयार घोल को रिफाइन तेल में मध्यम आंच पर छाने और जब बूंदी हल्की ब्राउन हो जाएं तो उन्हें कढ़ाई से निकालकर चाशनी में डालें. चाशनी में मिलाने के बाद बूंदी को निकालकर रख लें या परोसें.
इतना है रेट
जगतपाल ने बताया, वह उच्चतम गुणवत्ता वाली चीजों का प्रयोग करते हैं. महंगाई के दौर में भी उनके यहां का रेट काफी कम है. बड़ा प्लेट 30 रुपये और छोटा 20 रुपये में परोसा जाता है. टेस्ट के लिए ऊपर से गरी और चेरी भी डाली जाती है. इसलिए उनके यहां का दही बूंदी काफी पसंद की जाती है. लोग दूर-दूर से इसे खाने आते हैं.
खाना है तो यहां आएं
जगतपाल की दुकान गुमला में कचहरी परिसर में बिरसा मुंडा पुस्तकालय के सामने है. रोजाना 15-20 किलो बूंदी और लगभग 20 किलो दही की खपत होती है. गर्मी के दिनों में स्पेशली दही बूंदी बेचते हैं. इसके अलावा, उनके यहां इडली, धुसका, कचौड़ी, बर्रा, लस्सी आदि भी परोसे जाते हैं. दुकान सुबह 7 बजे से शाम 5 बजे तक खुली रहती है और रविवार को बंद रहती है.