रोहतास. “जब किसी बेटी का हाथ थामता है समाज, तो न केवल एक घर बसता है बल्कि एक भरोसा भी जन्म लेता है.” रोहतास जिले के तिलौथू प्रखंड का बाबूगंज खेल मैदान कुछ अलग ही चमक रहा था, वहां ना कोई बड़े नेता थे और ना ही कोई सेलिब्रिटी, लेकिन जो हुआ, वो हर किसी के दिल को छू गया. यहां एक या दो नहीं, पूरी 101 बेटियों की सामूहिक शादी कराई गई. ये बेटियां गरीब परिवारों से थीं, कुछ अनाथ और कुछ ऐसे, जिनके माता-पिता के पास शादी के लिए पैसे नहीं थे.
सर्व जन कल्याण संस्थान ने बेटियों की कराई शादी
यह अनोखा आयोजन “सर्व जन कल्याण संस्थान” के चौथे सेवा वर्ष पर किया गया. इसके पीछे थे समाजसेवी योगेंद्र सिंह कुशवाहा, जिन्होंने अपने दिल से ये जिम्मेदारी ली कि कोई भी बेटी सिर्फ गरीबी की वजह से बिना शादी के न रह जाए. शादी कोई दिखावे वाली नहीं थी. हर रस्म, हर फेरा, हर वचन, सब कुछ उसी प्यार और श्रद्धा से हुआ, जैसे किसी अपने की शादी में होता है.योगेंद्र सिंह कुशवाहा ने भावुक होते हुए कहा कि “ये बेटियां मेरी अपनी हैं और जब तक मेरी सांसें चलेंगी, मैं इनके लिए खड़ा रहूंगा.” हर जोड़े को संस्था की ओर से ज़रूरी घरेलू सामान जैसे बर्तन, कपड़े, राशन और अन्य चीज़ें भी दी गईं, ताकि नए जीवन की शुरुआत आत्मसम्मान और सुविधा से हो.
लड़कियों के माता-पिता का नहीं हुआ खर्च
इस आयोजन में कोई भी खर्च माता-पिता से नहीं लिया गया. सब कुछ मुफ्त में हुआ. लेकिन, जो मिला, वो अनमोल था, जिसमें एक भरोसा, एक सहारा, और एक नई शुरुआत छिपी हुई थी. गांव के लोग, जनप्रतिनिधि और समाजसेवी,सभी इस भावुक पल के गवाह बने. लोगों की आंखें नम थीं, लेकिन चेहरों पर मुस्कान थी. हर कोई यही कह रहा था कि “अगर समाज में योगेंद्र सिंह कुशवाहा जैसे लोग हों, तो कोई भी बेटी अधूरी नहीं रह सकती.” रविवार की रात ने सिर्फ 101 बेटियों की जिंदगी नहीं बदली, बल्कि पूरे समाज को ये याद दिलाया कि “बेटी बोझ नहीं होती, बेटी ज़िम्मेदारी होती है और जब समाज साथ खड़ा हो, तो कोई भी बेटी अकेली नहीं होती. है.