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सिवान जिले के मैरवा स्थित रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी आज न सिर्फ खेल जगत में एक नाम बन चुकी है. बल्कि यह बेटियों को आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाने का केंद्र भी बन गई है. यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने व…और पढ़ें

स्पोर्ट्स एकेडमी परिसर
सिवान जिले के मैरवा स्थित रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी आज न सिर्फ खेल जगत में एक नाम बन चुकी है. बल्कि यह बेटियों को आत्मनिर्भर और जागरूक नागरिक बनाने का केंद्र भी बन गई है. इस एकेडमी की बुनियाद रखने वाले संरक्षक एवं कोच संजय पाठक ने अपने अथक प्रयासों से समाज में एक सकारात्मक बदलाव की नींव रखी है.
यहां से प्रशिक्षण प्राप्त करने वाली बेटियां राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फुटबॉल व अन्य खेलों में शानदार प्रदर्शन कर रही हैं. केंद्र व बिहार सरकार के विभिन्न विभागों में इन लड़कियों का चयन सरकारी नौकरियों में भी हुआ है, जो यह दर्शाता है कि सही मार्गदर्शन और मेहनत से कोई भी लक्ष्य असंभव नहीं होता. यहाँ तक कि इन बेटियों को बिहार सरकार और चुनाव आयोग द्वारा समय समय पर ब्रांड एंबेसडर बनाए जाता है.जो इस बात का प्रमाण है कि प्रतिभा किसी सीमाओं की मोहताज नहीं होती.
जनता के लिए एक संदेश
यह कहानी केवल एकेडमी या कुछ चुनिंदा लड़कियों की नहीं है बल्कि यह पूरे समाज के लिए एक संदेश है. यह दिखाता है कि अगर परिवार, समाज और सरकार साथ मिलकर बेटियों को समर्थन दें.वे हर क्षेत्र में उत्कृष्टता हासिल कर सकती हैं।समाज को चाहिए. वह बेटियों की शिक्षा और खेलों में भागीदारी को प्रोत्साहित करे.रानी लक्ष्मीबाई स्पोर्ट्स एकेडमी आज एक उम्मीद की किरण है, जो दिखाती है कि सिवान जैसे छोटे शहरों से भी बड़े-बड़े सपने पंख फैलाकर उड़ान भर सकते हैं. यह एकेडमी न केवल बेटियों को खेल के मैदान में चमकने का मौका दे रही है, बल्कि उन्हें समाज के लिए एक प्रेरणा, आत्मनिर्भरता का प्रतीक, और सशक्त भारत की दिशा में कदम भी बना रही है.
एकेडमी इंचार्ज क्या कहती है
सलमा खातून कहती है कि लोग कहते है कि खेलने वाले बच्चे पढ़ते नही है, जिस बात को गलत साबित करते हुए एकेडमी की बच्चियो ने 2025 में जारी बारहवी के रिजल्ट में प्रथम श्रेणी से पास की है । साथ हीं साथ यहां की बच्चियां खेल कोटे से रेलवे, फोर्स, सचिवालय सहित अन्य विभागों में नौकरियां कर रही है.