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Dehradun: राज्य में जंगल धधकने की घटनाएं हों या बंदरों और जंगली सुअरों का आतंक, सब में कमी आयी है. इस ओर किए गए प्रयास रंग लाए हैं, जनता को राहत मिली है.

अब नहीं धधक रहे उत्तराखंड के जंगल
हाइलाइट्स
- उत्तराखंड में वनाग्नि की घटनाओं में कमी आई है.
- ‘मिशन मंकी’ से बंदरों की संख्या पर काबू पाया गया है.
- जंगली सुअरों से बचाव और मुआवजा योजनाएं लागू की गई हैं.
देहरादून: उत्तराखंड के घने जंगल, जो हर गर्मी धधक उठते थे, इस बार कुछ हद तक शांत दिखाई दे रहे हैं. हर साल गर्मियों के आते ही वनाग्नि की घटनाएं आम होती थीं, जिससे ना केवल हरियाली को नुकसान होता था बल्कि वन्य जीवों का जीवन भी खतरे में आ जाता था. लेकिन इस बार सरकार के ठोस कदमों और जनसहभागिता के चलते वनाग्नि (Forest fire) की घटनाओं में रिकॉर्ड कमी देखी गई है. पिछले वर्षों की तुलना में यह अब तक की सबसे कम आग की घटनाएं हैं.
गांव स्तर पर फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटियां
वन मंत्री सुबोध उनियाल ने बताया कि सरकार ने वनाग्नि की रोकथाम के लिए ज़मीनी स्तर पर काम शुरू किया है. राज्यभर के गांवों में ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में ‘फॉरेस्ट फायर मैनेजमेंट कमेटी’ का गठन किया गया है. इन समितियों को न केवल आर्थिक मदद दी जा रही है, बल्कि ग्रामीणों को आग बुझाने की ट्रेनिंग भी दी गई है. साथ ही, वन विभाग में अतिरिक्त मानव संसाधन जोड़े गए हैं और उन्हें अत्याधुनिक उपकरणों से लैस किया गया है.
‘मिशन मंकी’ से बंदरों की संख्या पर काबू
सरकार की निगाह सिर्फ जंगलों की आग पर ही नहीं, बल्कि किसानों की परेशानी पर भी है. जंगली जानवरों, खासकर बंदरों और सुअरों से फसलों को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए भी कदम उठाए जा रहे हैं. ‘मिशन मंकी’ अभियान के तहत अब तक 1 लाख 40 हजार से अधिक बंदरों का (Mission Monkey) बंधियाकरण किया जा चुका है. इसका सीधा असर उनकी आबादी पर पड़ा है, जिससे अब फसलों को कम नुकसान हो रहा है.
जंगली सुअरों से बचाव और मुआवजा योजना
जंगली सुअरों के आतंक से निपटने के लिए भी सरकार उपाय कर रही है. इसके अलावा, अगर किसी किसान को जंगली जानवरों के हमले से नुकसान होता है, तो उसे मुआवजा देने का भी निर्णय लिया गया है. ये सभी कदम किसानों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण की दिशा में राज्य सरकार की गंभीरता को दर्शाते हैं. उत्तराखंड में पहली बार इतने संगठित तरीके से वनाग्नि रोकथाम और वन्यजीव संघर्ष समाधान की दिशा में काम हो रहा है. इससे न केवल पर्यावरण बचेगा, बल्कि ग्रामीणों का जीवन भी सुरक्षित और स्थिर बनेगा.