Thursday, April 17, 2025
spot_img
HomeStatesउत्तराखंडइस झील के नाव की कीलों में अनूठी आस्था, इसे लेने दिल्ली-मुंबई...

इस झील के नाव की कीलों में अनूठी आस्था, इसे लेने दिल्ली-मुंबई से नैनीताल आते हैं लोग


Last Updated:

Nainital : इन नावों को तुन की लकड़ी से बनाया जाता है, जो हल्की और पानी में टिकाऊ होती है. नाव को बनाने के लिए तांबे की कीलें लगाई जाती हैं, जिनका धार्मिक महत्त्व उन्हें श्रद्धा से जोड़ देता है.  

X
चप्पू

चप्पू वाली नाव की कील का बेहद धार्मिक महत्व भी है.

हाइलाइट्स

  • नैनीताल की नावों की तांबे की कीलों का धार्मिक महत्त्व है.
  • तांबे की कीलों से बनी अंगूठियां नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती हैं.
  • दिल्ली-मुंबई से लोग नैनीताल इन कीलों को लेने आते हैं.

नैनीताल. उत्तराखंड की खूबसूरत सरोवर नगरी नैनीताल अपनी नैसर्गिक छटा और आध्यात्मिकता के लिए दुनियाभर में जानी जाती है. यहां की नैनी झील न सिर्फ पर्यटन का प्रमुख केंद्र है, बल्कि इससे जुड़ी कई धार्मिक मान्यताएं भी लोगों को आकर्षित करती हैं. उन्हीं में से एक है नैनी झील में चलने वाली चप्पू वाली नावों की तांबे की कीलें, जिसे धार्मिक दृष्टिकोण से बेहद पवित्र माना जाता है. स्थानीय नाव मालिक समिति के सचिव नरेंद्र सिंह चौहान बताते हैं कि इन नावों को खास तुन की लकड़ी से बनाया जाता है, जो हल्की होने के साथ-साथ पानी में टिकाऊ होती हैं. नाव को बनाने के लिए तांबे की कीलों का प्रयोग किया जाता है, जिनका धार्मिक महत्त्व लोगों के बीच श्रद्धा से जुड़ा हुआ है.

51 से 5100 तक दक्षिणा

नरेंद्र के अनुसार, ये कीलें 20 से 25 वर्षों तक झील के पवित्र जल में रहती हैं और मान्यता है कि झील में स्वयं ब्रह्मा जी का वास है. लंबे समय तक झील के जल के संपर्क में रहने के कारण इन कीलों में एक दिव्य ऊर्जा समाहित हो जाती है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इन तांबे की कीलों से बनाई गई अंगूठियां और ताबीज नकारात्मक शक्तियों से रक्षा करती हैं और ग्रहों के दोषों से मुक्ति दिलाती हैं. यही कारण है कि देशभर से लोग, खासकर दिल्ली और मुंबई जैसे महानगरों से इन कीलों को लेने नैनीताल आते हैं. श्रद्धालु अपनी आस्था और क्षमता के अनुसार दक्षिणा अर्पित करते हैं, जो 51 रुपए से शुरू होकर 5100 रुपए तक हो सकती है.

आध्यात्म की गहराई

नाव की कीलों का आदान-प्रदान पूरी श्रद्धा और धार्मिक भावना के साथ होता है. नरेंद्र सिंह बताते हैं कि लोग इन्हें केवल धातु नहीं, बल्कि आस्था का प्रतीक मानते हैं. उनके अनुसार, ये कील सिर्फ नाव को जोड़ने का काम नहीं करती, बल्कि विश्वास, परंपरा और आध्यात्म से भी लोगों को जोड़ती हैं. इस अद्भुत धार्मिक परंपरा ने नैनीताल की नावों को केवल पर्यटन का माध्यम नहीं, बल्कि आस्था और आध्यात्म की गहराई से जोड़ दिया है.

homefamily-and-welfare

इन नाव की कीलों में चमत्कार, इसे लेने दिल्ली-मुंबई से नैनीताल आते हैं लोग



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments