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Myanmar Earthquake News: म्यांमार में भूकंप से तबाही के बाद सैन्य सरकार ने विदेशी मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया है. मरने वालों की संख्या 1700 हो गई है. प्रतिबंध से पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं.

म्यांमार में आए भूकंप में 1700 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई है. (रॉयटर्स)
हाइलाइट्स
- म्यांमार में भूकंप से 1700 मौतें हुईं.
- विदेशी मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया गया.
- पारदर्शिता पर सवाल उठ रहे हैं.
नेपीडॉ. भूकंप से तबाह हुए म्यांमार में एक नया आदेश जारी हुआ है, जिससे यह कयास लगाए जा रहे हैं कि क्या वहां की सैन्य सरकार दुनिया से कुछ छिपाने की कोशिश कर रही है? दरअसल, म्यांमार की सैन्य सरकार ने देश में भूकंप से तबाह क्षेत्रों की कवरेज के लिए विदेशी मीडिया के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया है और इसीलिए यह अफवाह तेजी से फैल रही है. भूकंप में मरने वालों की संख्या बढ़कर 1700 हो गई है.
सैनिक शासन ने आवास, बिजली कटौती और पानी की कमी जैसी कठिनाइयों का हवाला देते हुए यह प्रतिबंध लगाया है. रविवार को जारी एक ऑडियो बयान में शासन के प्रवक्ता जॉ मिन टुन ने कहा, “विदेशी पत्रकारों के लिए यहां आना, रहना, आश्रय पाना या घूमना संभव नहीं है. हम चाहते हैं कि हर कोई यह समझे.” म्यांमार में स्थानीय पत्रकारों को गंभीर प्रतिबंधों का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में विदेशी मीडिया को प्रवेश से वंचित करने से इस आपदा के प्रति सैनिक शासन की प्रतिक्रिया की पारदर्शिता पर गंभीर चिंताएं उत्पन्न होती हैं.
कई अन्य लोगों ने जुंटा पर मानवीय सहायता को उन प्रभावित क्षेत्रों तक पहुंचने से रोकने का आरोप लगाया जो उसके प्रत्यक्ष नियंत्रण में नहीं हैं. 2021 में तख्तापलट के बाद से, म्यांमार कई सशस्त्र विपक्षी समूहों के साथ गृहयुद्ध में उलझा हुआ है. उस वक्त सेना ने नोबेल शांति पुरस्कार विजेता आंग सान सू की की निर्वाचित सरकार को उखाड़ फेंका था. इस बीच, कई मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया कि हिंसा और आपदा से प्रभावित राष्ट्र के विभिन्न हिस्सों में सेना ने हवाई हमले जारी रखे हैं.
मीडिया आउटलेट म्यांमार नाउ के मुताबिक अंतरराष्ट्रीय समुदाय में कई लोग सहायता कर्मियों और स्वतंत्र मीडिया के लिए अप्रतिबंधित पहुंच की मांग कर रहे हैं क्योंकि देश में व्यापक विनाश करने वाले 7.7 तीव्रता के बड़े भूकंप के बीच मानवीय संकट बढ़ रहा है. म्यांमार नाउ ने दावा किया कि मीडिया पर सैन्य जुंटा की कार्रवाई अच्छी तरह से दस्तावेजों में दर्ज है. 2023 में, इसके फोटो जर्नलिस्ट साई जॉ थाइक को चक्रवात मोचा के बाद रिपोर्टिंग करते समय गिरफ्तार किया गया था. बाद में उन्हें 20 साल की जेल की सजा सुनाई गई.