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Mango Farm Success Story: कोरोना काल में कोडरमा के पारा शिक्षक सुरेश यादव ने बंजर जमीन पर आम की बागवानी कर नई मिसाल कायम की. आज 400 से ज्यादा पौधों से सालाना मुनाफा कमा रहे हैं.

बंजर भूमि में आम की बागवानी में सुरेश
हाइलाइट्स
- सुरेश यादव ने बंजर जमीन पर आम की बागवानी शुरू की.
- 400 से अधिक पौधों से सालाना 50 हजार का मुनाफा.
- सुरेश की कहानी गांव के युवाओं के लिए प्रेरणा बनी.
ओम प्रकाश निरंजन / कोडरमा: कोरोना काल, जब पूरी दुनिया ठहर सी गई थी, कोडरमा के एक पारा शिक्षक सुरेश यादव ने उसी ठहराव में एक नई शुरुआत की. जहां लोगों के लिए समय काटना मुश्किल हो रहा था, सुरेश ने बंजर जमीन को हरियाली में बदलने का सपना देखा और उसे हकीकत में भी बदला. उन्होंने दिखा दिया कि अगर इच्छाशक्ति मजबूत हो तो एक शिक्षक भी एक प्रेरणादायी कृषक बन सकता है.
कोडरमा जिले के डोमचांच प्रखंड के कुंडीधनवार पंचायत के कटाही गांव के रहने वाले सुरेश यादव को जब लॉकडाउन में पढ़ाने का कार्य नहीं मिल रहा था, तो उन्होंने रोजगार सेवक सुरेश कुमार की सलाह पर अपनी बंजर भूमि में आम के पौधे लगाने की ठानी. यह काम उन्होंने मनरेगा योजना के तहत शुरू किया. सुरेश के हिस्से की यह जमीन सालों से बेकार पड़ी थी, जहां घास भी उगना मुश्किल था. लेकिन सुरेश ने उसी जमीन पर आम के पौधे लगाकर हर किसी को चौंका दिया.
साल 2023 में जब पहली बार आम के पेड़ों पर फल आए और उन्हें 50 हजार रुपए की कमाई हुई, तब गांव के लोग उनकी तारीफ करने लगे. यह मुनाफा केवल पैसों का नहीं था, बल्कि एक सोच का था कि सरकारी योजना का सही उपयोग कर कैसे कोई आत्मनिर्भर बन सकता है.
आज सुरेश यादव ने इस जमीन को हरियाली से भर दिया है. लगभग 400 से अधिक आम के पौधे जिसमें दशहरी, लंगड़ा, चौसा जैसी कई प्रजातियां शामिल हैं अब लहलहा रहे हैं. वे यहीं नहीं रुके हैं. अब उनका सपना 10 एकड़ जमीन पर बागवानी का है, जिसमें सिर्फ आम नहीं बल्कि अन्य फलदार पौधे भी होंगे.
सुरेश की यह मेहनत न सिर्फ उन्हें पहचान दिला रही है, बल्कि गांव के युवाओं के लिए भी प्रेरणा बन चुकी है कि किस तरह मनरेगा जैसी योजनाओं का सदुपयोग कर आत्मनिर्भर बना जा सकता है.