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Paddy Nursery Preparation Tips: धान की खेती शुरू करने से पहले किसानों को कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. इनमें खेती से पहले सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था से लेकर धान की बुवाई की विधि तक शामिल है. धान की बुवाई…और पढ़ें

प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- धान की बुवाई दो तरीकों से की जाती है: सीधी बुवाई और रोपाई.
- मई में नर्सरी तैयार कर, 15 जून तक रोपाई पूरी करें.
- बीज शोधन से फसलों को रोगों से बचाया जा सकता है.
पश्चिम चम्पारण. धान की खेती का समय शुरू होने वाला है. खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक ‘धान’ की खेती पश्चिम चम्पारण सहित बिहार के कई ज़िलों में की जाती है. हालांकि कई बार किसानों को इसमें बड़ा नुकसान होता है, लेकिन थोड़ी बहुत देख भाल से ये फसल आपकी तकदीर बदल सकती है. ज़िले के माधोपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र में सेवारत कृषि वैज्ञानिक अभिषेक प्रताप सिंह ने नर्सरी तैयार करने से लेकर पौधों की रोपाई और उसके बड़े होने से लेकर फसलों की कटाई तक की पूरी जानकारी साझा की है.
इन दो तरीकों से कर सकते हैं बुवाई
बकौल अभिषेक, धान की खेती शुरू करने से पहले किसानों को कुछ बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए. इनमें खेती से पहले सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था से लेकर धान की बुवाई की विधि तक शामिल हैं. धान की बुवाई दो तरीकों से की जाती है. पहली विधि सीधी बुवाई की है और दूसरी विधि रोपाई की है. यदि आपके पास सिंचाई का पर्याप्त साधन है और आप रोपाई विधि से खेती करना चाहते हैं, तो मई का महीना इसके लिए उपर्युक्त माना जाता है. मई में आप लंबे अवधि की धान की किस्मों की नर्सरी लगा सकते हैं. जितना पहले आप धान की रोपाई का काम पूरा करेंगे, उतनी ही जल्दी फसल तैयार भी होगी.
अनिवार्य है बीजों का उपचार
यहां समझने वाली बात यह है कि आप चाहे धान की सीधी बुवाई करें या फिर नर्सरी विधि से रोपाई, दोनों विधियों में बीज के शोधन का काम बेहद अनिवार्य है. शोधन से फसलों को कई प्रकार के रोगों से बचाया जा सकता है. अभिषेक बताते हैं कि शोधन की क्रिया में एक हेक्टेयर में लगी धान की फसल में महज़ 25 से 30 रुपए का खर्च आता है. मिट्टी को उपजाऊ बनाने के लिए आप उसमें सड़े हुए गोबर की खाद डालें. इससे फसलों में सूक्ष्म पोषक तत्व जैसे: कैल्शियम, मैग्नीशियम, कोबाल्ट, निकिल आयरन और मैंगनीज की पूर्ति होती है.
15 जून तक कर लें रोपाई
धान की रोपाई का सही समय जून के तीसरे सप्ताह से लेकर जुलाई के तीसरे सप्ताह तक का होता है. इससे पहले मई में इसकी पौध तैयार करने का काम शुरू किया जाता है.मई में नर्सरी तैयार कर, 15 जून तक इसकी रोपाई का काम पूरा कर लेना चाहिए. यदि सही समय पर धान की नर्सरी तैयार कर ली जाए तो इसकी रोपाई का काम काफी आसान हो जाता है.