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Nainital News: नैनीताल में प्रवेश करने वाले वाहनों को बारापत्थर और फांसी गधेरा पर टोल टैक्स के रूप में फिलहाल 110 रुपये का शुल्क देना होगा. वहीं, जो वाहन रोजाना नैनीताल आते हैं, उनके लिए 5000 रुपये सालाना पास ल…और पढ़ें

नैनीताल में खुले दो नए टोल गेट
हाइलाइट्स
- नैनीताल में प्रवेश पर 110 रुपये टोल टैक्स देना होगा
- रोजाना आने वाले वाहनों के लिए 5000 रुपये सालाना पास अनिवार्य
- नए टोल गेट्स से नगर पालिका की आय तीन गुना बढ़ेगी
नैनीताल: उत्तराखंड हाई कोर्ट के आदेश के बाद अब नैनीताल में प्रवेश करना पहले से महंगा हो गया है. नगर पालिका ने बारापत्थर और फांसी गधेरा क्षेत्र में दो नए टोल गेट फिर से शुरू कर दिए हैं. हाई कोर्ट के निर्देश के बाद करीब 11 साल बाद इन दोनों स्थानों पर एक बार फिर से टोल वसूली शुरू हुई है. गौरतलब है, कि साल 2014 में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट की खंडपीठ ने इन टोल गेटों को बंद करने का आदेश दिया था, लेकिन बीते कुछ सालों में नैनीताल में लगातार बढ़ते पर्यटक वाहनों और ट्रैफिक की समस्या को देखते हुए कोर्ट ने इन टोल गेटों को पुनः चालू करने का निर्णय लिया. कोर्ट के आदेश के बाद मंगलवार से यह व्यवस्था लागू हो गई है.
नगर पालिका की 3 गुना बढ़ जाएगी आय
अब नैनीताल में प्रवेश करने वाले वाहनों को बारापत्थर और फांसी गधेरा पर टोल टैक्स के रूप में फिलहाल 110 रुपये का शुल्क देना होगा. वहीं, जो वाहन रोजाना नैनीताल आते हैं, उनके लिए 5000 रुपये सालाना पास लेना अनिवार्य कर दिया गया है. यह शुल्क पहले से ही माल रोड पर लिए जा रहे टोल टैक्स के अतिरिक्त होगा. नगर पालिका अध्यक्ष डॉ. सरस्वती खेतवाल ने बताया कि हाई कोर्ट के निर्देशानुसार नगर पालिका ने तत्काल प्रभाव से इन गेटों को शुरू कर दिया है. उन्होंने बताया कि पहले केवल माल रोड टोल टैक्स से नगर पालिका को सालाना लगभग 3 करोड़ रुपये की आय होती थी. अब इन दो नए गेटों के जुड़ने से नगर पालिका की आय तीन गुना बढ़ने की संभावना है.
नगर पालिका के लिए संजीवनी साबित होगा
आपको बता दें, नगर पालिका के लिए यह निर्णय जहां आर्थिक संजीवनी साबित हो सकता है, वहीं पर्यटकों के लिए यह फैसला थोड़ी परेशानी लेकर आया है. खासकर छुट्टियों के मौसम में जब भारी संख्या में सैलानी नैनीताल का रुख करते हैं, तब उन्हें अब अतिरिक्त टोल देना होगा. फिलहाल, नगर पालिका इसे शहर की यातायात व्यवस्था को सुचारु बनाने और बेहतर प्रबंधन का हिस्सा बता रही है, लेकिन आम लोगों और पर्यटकों के लिए यह व्यवस्था जेब पर भार बढ़ाने वाली साबित हो सकती है