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Onion Advanced Variety: प्याज की गावरान किस्म किसानों के लिए अपनी बेहतर उपज, कम लागत और रोग प्रतिरोधक क्षमता के दम पर खास जगह बना ली है. यह किस्म इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा वैज्ञानिक तकनीक के…और पढ़ें

प्याज की उन्नत किस्म – गावरान
हाइलाइट्स
- गावरान प्याज की किस्म से 35 टन तक उपज मिलती है.
- प्रति हेक्टेयर 10-12 ग्राम बीज की जरूरत होती है.
- इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय ने गावरान किस्म विकसित की है.
रायपुर. धान का कटोरा कहे जाने वाले कृषि प्रधान राज्य छत्तीसगढ़ की धरती से एक नई कृषि क्रांति की शुरुआत हुई है. छत्तीसगढ़ में प्याज की खेती धीरे-धीरे एक उभरता हुआ व्यवसाय बनता जा रहा है. यहां की जलवायु और मिट्टी कुछ हिस्सों में प्याज की खेती के लिए उपयुक्त है. छत्तीसगढ़ में मुख्य रूप से रबी सीजन यानी अक्टूबर-नवंबर माह में प्याज की खेती होती है, लेकिन कुछ किसान खरीफ और जायद मौसम में भी इसे उगाते हैं.
प्याज की गावरान किस्म किसानों के लिए अपनी बेहतर उपज, कम लागत और रोग प्रतिरोधक क्षमता के दम पर खास जगह बना ली है. यह किस्म इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर द्वारा वैज्ञानिक तकनीक के अनुरूप विकसित की गई है और इसकी खेती किसानों के लिए बेहद फायदेमंद है.
प्रति हेक्टेयर 10 से 12 ग्राम बीज की पड़ेगी जरूरत
प्याज की गावरान किस्म के एक प्याज का वजन 500 ग्राम से 2 किलो तक होता है. बात अगर बीज दर की करें तो गावरान किस्म के लिए महज 10 से 12 ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है, जिससे लागत में भारी कमी आती है. इसके साथ ही बीजोपचार के लिए कार्बेन्डाजिम का उपयोग कर फसल को शुरुआती रोगों से बचाया जाता है. खेती में 90×60 सेमी के त्रिभुजाकार कतार-पंक्ति विन्यास को अपनाया जाता है, जिससे पौधों को पर्याप्त जगह और पोषण मिल पाता है. उर्वरक प्रबंधन की बात करें तो जैविक और रासायनिक खादों का संतुलन खास मायने रखता है. खेतों में प्रति हेक्टेयर 10-12 टन गोबर खाद, नत्रजन-90, फार्मस-35 और पोटाश 50 किग्रा का उपयोग करना चाहिए. ड्रिप विधि से हर दो दिन में पोषक तत्वों का मिश्रण खेतों में देने से काफी फायदा होता है.
कीटों का ऐसे कर सकते हैं प्रबंधन
फसल की सुरक्षा के लिए भी पूरी सतर्कता बरतनी चाहिए. कीटों से बचाव के लिए थायोमेथोक्साम और रोग नियंत्रण के लिए मैन्कोज़ेब का नियोजित छिड़काव करना चाहिए. वहीं, खरपतवार नियंत्रण के लिए समयबद्ध निराई पहली रोपण के 20 दिन बाद और दूसरी 35 दिन बाद करनी चाहिए. इन सभी उपायों का नतीजा यह रहा कि गावरान प्याज की इस उन्नत किस्म से प्रति हेक्टेयर 30 से 35 टन तक का उत्पादन प्राप्त होता है जो परंपरागत खेती की तुलना में कहीं अधिक है. छत्तीसगढ़ के जलवायु, मौसम के लिहाज से प्याज की उन्नत किस्म गावरान केवल एक फसल नहीं, बल्कि बदलती कृषि सोच का उदाहरण बन गई है.