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बिहार चुनाव की तैयारियों में मुख्यमंत्री पद पर असमंजस है. भाजपा के नेता यह बात जरूर कहते हैं कि विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, पर बहुमत मिलने पर सीएम कौन होगा, इसे लेकर किसी की जुबा…और पढ़ें

CM फेस तय करने में उलझे दोनों गठबंधन
हाइलाइट्स
- बिहार चुनाव में NDA और महागठबंधन में सीएम फेस पर असमंजस है.
- नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगा NDA, पर सीएम पर चुप्पी.
- महागठबंधन में तेजस्वी यादव को सीएम फेस घोषित किया गया.
बिहार में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर तैयारियां तो जबरदस्त दिख रही हैं, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं है. यह स्थिति दोनों गठबंधनों में है. नीतीश कुमार के नाम पर बीते 20 साल में भाजपा ने कभी पेच नहीं फंसाया, लेकिन इस बार ऐसा दिख रहा है. हालांकि, एनडीए की प्रमुख घटक भाजपा के नेता यह बात जरूर कहते हैं कि विधानसभा का चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही लड़ा जाएगा, पर बहुमत मिलने पर सीएम कौन होगा, इसे लेकर किसी की जुबान नहीं खुल रही. महागठबंधन में आरजेडी नेता और पूर्व डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव ने पहले ही अपने को सीएम फेस घोषित कर दिया है. आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने भी साफ कर दिया है कि कोई माई का लाल तेजस्वी को सीएम बनने से नहीं रोक सकता. इसके बावजूद कांग्रेस का कहना है कि इसका फैसला अभी नहीं हुआ है.
नीतीश नेतृत्व करेंगे, पर CM पर चुप्पी
एनडीए में सीएम कौन होगा, इसे लेकर जेडीयू का स्टैंड साफ दिखता है. जेडीयू नीतीश कुमार के आगे दूसरे किसी नाम पर तो सपने में भी नहीं सोच सकती. इसीलिए पार्टी ने नारा भी दिया है- 2025 से 2030, फिर से नीतीश. जेडीयू के नेता खुल कर कहते हैं कि विधानसभा चुनाव का एनडीए की ओर से नीतीश ही नेतृत्व करेंगे और सीएम भी वे ही बनेंगे. दूसरों को छोड़ भी दें तो नीतीश कुमार के बेटे निशांत कुमार भी कई बार यह बात दोहरा चुके हैं कि नीतीश कुमार ही अगली बार भी सीएम बनेंगे. उन्होंने तो कन्फ्यूजन दूर करने के लिए यहां तक कह दिया कि उनके पिता को सीएम फेस एनडीए को घोषित कर देना चाहिए. पर, भाजपा नेताओं की जुबान बंद है. वे नेतृत्व की बात तो डंके की चोट पर कहते हैं, लेकिन सीएम के सवाल पर उनका कंठ अवरुद्ध हो जाता है.
नीतीश के नाम पर NDA में दुविधा क्यों
वर्ष 2005 से ही भाजपा और जेडीयू की दोस्ती रही है. तब से लेकर 2020 तक चार चुनावों में भाजपा और जेडीयू साथ रहे हैं. नीतीश के नाम पर ही एनडीए चुनाव लड़ता रहा है. वर्ष 2005 में हुए विधानसभा के दो बार के चुनाव में यही स्थिति रही तो 2020 में भी भाजपा ने नीतीश को मना-समझा कर सीएम बनाया, जब जेडीयू को सिर्फ 43 सीटें मिली थीं. ऐसा पहली बार हो रहा है, जब नीतीश कुमार को भाजपा चुनाव का नेतत्व करने के लिए तो आगे रखना चाहती है, लेकिन मुख्यमंत्री के सवाल पर मौन साध लेती है. दरअसल यह स्थिति दिसंबर 2024 से बनी है, जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने एक टीवी चैनल के कार्यक्रम में कह दिया कि बिहार में चुनाव नीतीश कुमार के नेतृत्व में होगा, लेकिन सीएम का चयन संसदीय बोर्ड की बैठक में होगा. उसके बाद से भाजपा के प्रदेश स्तर के नेताओं ने भी यही लाइन पकड़ ली और अब तक वे यही बात दोहराते रहे हैं.
नायब सिंह सैनी ने बढ़ा दिया कन्फ्यूजन
हरियाणा के सीएम नायब सिंह सैनी हाल ही बिहार आए थे. उन्होंने अपने संबोधन में कह दिया कि भाजपा सम्राट चौधरी के नेतृत्व में विधानसभा का चुनाव लड़ेगी. उनके नेतृत्व में बिहार में एनडीए की सरकार बनेगी. इससे जेडीयू नेताओं में खलबली मच गई. इससे पहले बिहार के डेप्युटी सीएम विजयसिन्हा ने भी अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में हुए कार्यक्रम में कहा था कि बिहार में भाजपा की सरकार बनने पर ही अटल जी के प्रति भाजपा की सच्ची श्रद्धांजलि होगी. ऐसे बयानों से जेडीयू का बिदकना स्वाभाविक है. नीतीश कुमार को भी यह बात अच्छी नहीं लगी होगी. सैनी के बयान के बाद भाजपा नेताओं को नीतीश के नाराज होने का भय भी सताने लगा. शायद यही वजह रही कि भाजपा विधायक अचानक बुधवार को मुख्यमंत्री आवास पहुंच गए. कहा गया कि चुनाव प्रचार का प्रजेंटेशन दिखाने वे सीएम आवास पहुंचे थे, लेकिन राजनीतिक जानकार इसे नीतीश की नाराजगी दूर करने का प्रयास मान रहे हैं.
महागठबंधन में तेजस्वी बैकफुट पर आए
महागठबंधन का अग्रणी दल आरजेडी ने तेजस्वी यादव को पहले से ही सीएम फेस घोषित कर रखा है. तेजस्वी खुद सभाओं में कहते रहे हैं कि उनकी सरकार बनने पर वे कौन-कौन से जनहित के काम करेंगे. उनके पिता और आरजेडी के मुखिया लालू प्रसाद यादव भी तेजस्वी को सीएम बनाने के लिए लोगों से वोट की अपील करते रहे हैं. लालू ने तो मोतीहारी में यहां तक कह दिया था कि कोई माई का लाल तेजस्वी को सीएम बनने से नहीं रोक सकता. पर, महागठबंधन की दूसरी प्रमुख पार्टी कांग्रेस को यह पसंद नहीं. कांग्रेस का कहना है कि जब तक इस मुद्दे पर बातचीत नहीं हो जाती, तब तक सीएम फेस घोषित करना उचित नहीं. सीएम के नाम की घोषणा चुनाव से पहले करना है या बाद में, इस बारे में निर्णय होना अभी बाकी है. तेजस्वी का कांग्रेस के आला नेताओं से मुलाकात के बाद चुप रहना कांग्रेस के अड़ंगे का संकेत है.
भाजपा की सीएम फेस पर चुप्पी क्यों है
माना जा रहा है कि भाजपा रणनीतिक ढंग से सीएम के चेहरे पर चुप है. भाजपा को पता है कि नीतीश कुमार के लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहने के कारण उनके खिलाफ एंटी इन्कम्बैंसी बहुत है. यह हाल के कुछ सर्वेक्षणों में भी उजागर हुआ है. सी वोटर ने महीने भर के अंतराल पर बिहार में सीएम फेस पर दो सर्वे कराए हैं. पहले सर्वे में तेजस्वी यादव को 41 प्रतिशत लोगों ने सीएम के रूप में अपनी पसंद बताया था. ताजा सर्वे में तेजस्वी 36 प्रतिशत पर आ गए हैं. पर, सबसे चिंताजनक स्थिति नीतीश कुमार की है. पहले सर्वे में उन्हें 18 प्रतिशत लोगों ने सीएम के रूप में पसंद किया था और ताजा आंकड़ों में वे 15 प्रतिशत लोगों की पसंद रह गए हैं. भाजपा शायद इस नुकसान से बचना चाहती है. अनुमान है कि इसी वजह से भाजपा सीएम के सवाल पर मौन धारण कर लेती है.