Thursday, April 17, 2025
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भूकंप आने पर क्यों डर जाते हैं कुत्ते और बिल्लियां… बैंकॉक और थाईलैंड की सड़कों पर जानवर क्यों लेट गए?


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Myanmar-Bangkok Earthquake News : म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता के भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. म्यांमार में हजारों मौतें हो सकती हैं. जानवरों खासकर कुत्ते और बिल्लियों में भी खौफ देखा गया है.

भूकंप आने पर क्यों डर जाते हैं कुत्ते और बिल्लियां... सड़कों पर क्यों लेट गए?

भूकंप से कुत्ते-बिल्ली में डर का माहौल.

हाइलाइट्स

  • म्यांमार और थाईलैंड में 7.7 तीव्रता का भूकंप आया.
  • कुत्ते और बिल्लियां भूकंप से पहले सूक्ष्म हलचल को महसूस कर लेते हैं.
  • भूकंप से इंसान और जानवर दोनों में खौफ देखा गया है.

Myanmar-Bangkok Earthquake News : म्यांमार और थाईलैंड में भूकंप ने भारी तबाही मचाई है. शुक्रवार को 7.7 तीव्रता का भूकंप आने के बाद शनिवार को एक बार फिर से म्यांमार में दोपहर 3:30 बजे भूकंप आया. इस बार रिक्टर स्केल पर भूकंप की तीव्रता 5.1 मापी गई. बता दें कि भूकंप ने सबसे ज्यादा तबाही म्यांमार में मचाई है. यहां मौत का आंकड़ा हजारों होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता. भूकंप से इंसान क्या जानवार भी डर गए हैं. घरों में रहने वाले कुत्ता-बिल्लियों में भी खौफ देखा जा रहा है. ऐसे में सवाल यह उठता है कि क्या क्या इंसान की तरह जानवरों जैसे कुत्तों और बिल्लियों को भी भूकंप से डर लगता है?

Grop ने बताया कि भूकंप आने पर कुत्ते-बिल्लियों को सबसे ज्यादा डर लगता है. क्योंकि, उनकी संवेदनशीलता इंसानों से कहीं अधिक होती है. जानवरों के पास बेहद तीक्ष्ण सुनने और महसूस करने की क्षमता होती है, जिसके कारण वे भूकंप से पहले धरती के अंदर होने वाली सूक्ष्म हलचल, कंपन या ध्वनियों को पहले ही भांप लेते हैं.

कुत्ते और बिल्लियों में डर का माहौल
वैज्ञानिकों का भी मानना है कि जानवर भूकंपीय तरंगों (Seismic Waves) या धरती के भीतर चट्टानों के दबाव से उत्पन्न होने वाले इलेक्ट्रॉनिक सिग्नल और रासायनिक परिवर्तनों को भी महसूस कर सकते हैं. उदाहरण के लिए, भूकंप से पहले हवा में आयन (Ions) की मात्रा बढ़ सकती है या क्वार्ट्ज जैसे क्रिस्टल से गैसें निकल सकती हैं, जिन्हें कुत्ते और बिल्लियां अपनी त्वचा या सूंघने की क्षमता से पहचान लेते हैं.

क्यों जानवार हो जाते हैं बचैन?
कुत्ते और बिल्लियां अपने परिवेश में छोटे-छोटे बदलावों, जैसे हवा का रुकना, तापमान में अचानक बदलाव या असामान्य शांति, को भी जल्दी पकड़ लेते हैं. ये बदलाव उन्हें बेचैन कर देते हैं और जब भूकंप के झटके शुरू होते हैं तो उनकी प्राकृतिक प्रवृत्ति उन्हें खतरे से बचने के लिए उत्तेजित कर देती है. वे भौंकने, चिल्लाने, भागने या छिपने की कोशिश करते हैं जो उनके डर का संकेत होता है.

यूनाइटेड स्टेट जियोलॉजिकल सर्वे (USGS) ने कहा बयान में कहा है कि शुक्रवार को भूकंप के झटके म्यांमार, थाईलैंड, बांग्लादेश, भारत और चीन में भी महसूस किए गए. दिल्ली-एनसीआर में रह-रह के शुक्रवार को दो-तीन झटके आए.

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