Thursday, April 17, 2025
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मां थी नेत्रहीन तो लोग करते थे कमेंट, मुजफ्फरपुर के संजय करने लगे ये नेक काम


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Muzaffarpur news in hindi today: कई बार लोग अपने हालातों का सामना करने की जगह उसके आगे लाचार और बेबस हो जाते हैं. इनमें से कई लोग ऐसे हैं जो इनका डटकर मुकाबला करते हैं और अपने काम से समाज को तगड़ा जबाव देते हैं…और पढ़ें

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मुकबदिरों

मुकबदिरों को पढ़ाने के बारे में बताते संजय

मुजफ्फरपुर: बिहार के मुजफ्फरपुर के सकरा के रहने वाले संजय कुमार मूकबधिरों के बीच शिक्षा की अलख जगाए हुए हैं. वह पिछले 25 सालों से मूकबधिरों को शिक्षा दे रहे हैं. 2008 में संजय ने अपनी संस्था खोली और इसके बाद 2013 में सरकार से आठवीं तक के मूकबधिर बच्चों को पढ़ाने की अनुमति मिली. इसके बाद से वह लगातार बच्चों को शिक्षा देते आ रहे हैं. इसमें लोगों का स्थानीय स्तर पर सहयोग मिलता है और डोनेशन के जरिए यह स्कूल चल रहा है.

संजय बताते हैं कि उनकी मां नेत्रहीन थी और इसको लेकर लोग कमेंट करते थे. इसके बाद उनके मन में आया कि क्यों ना ऐसे लोगों के लिए कुछ किया जाए जिन्हें लोग हीन भावना से देखते हैं. तभी से यानी बचपन से ही उनके मन में ऐसे लोगों के लिए कुछ करने का इरादा था जिन्हें लोग अलग नजरिए से देखते हैं. संजय का कहना है कि इसके बाद उन्होंने मूकबधिर बच्चों को पढ़ाना शुरू कर दिया. जब शुरुआती दौर में वह मूकबधिरों को पढ़ाने का काम करते थे तो लोग हंसते थे लेकिन, उन्होंने पढ़ाना जारी रखा.

शुरुआत में उन्हें काफी समस्या हुई लेकिन, बाद में उन्होंने अपनी संस्था बनाई और दो बच्चों से पढ़ाने की शुरुआत की. उस समय परिवार में भी लोग काफी विरोध करते थे. परिवार के ही लोग कहा करते थे कि क्या कर रहे हो, पढ़ाई लिखाई करो, कुछ अच्छी नौकरी करो लेकिन, मां के साथ हुआ घटिया व्यवहार कहीं न कहीं उनके मन में सुलग रहा था. ऐसे में उन्होंने सभी की बातों को किनारे करते हुए मूकबाधिरों को पढ़ाना जारी रखा.

2013 में सरकार से उन्हें पहली से आठवीं तक के मूकबधिर बच्चों को पढ़ाने की मान्यता मिल गई. इसके बाद अभी वर्तमान में 80 से अधिक बच्चे यहां पढ़ाई करते हैं. सभी को डांस, योगा, कंप्यूटर क्लास, पेंटिंग क्लास, हैंडक्राफ्ट का क्लास, स्पोर्ट्स और अतिरिक्त गतिविधि कराई जाती है जिससे बच्चे मानसिक रूप से भी मजबूत हों. इन लोगों को सांकेतिक रूप से पढ़ाया जाता है.

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