ऋषिकेश: हिंदू धर्म में व्रत-त्योहारों का विशेष महत्व होता है. इन्हीं में से एक है वट सावित्री व्रत, जिसे विशेष रूप से विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी दांपत्य जीवन के लिए रखती हैं. यह व्रत नारी शक्ति, समर्पण और प्रेम का प्रतीक माना जाता है. यह व्रत सावित्री और सत्यवान की कथा पर आधारित है, जिसमें सावित्री ने अपने तप और दृढ़ निश्चय से यमराज से अपने पति का जीवन वापस पाया था.
हिन्दू धार्मिक मान्यता के अनुसार, हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है. वैदिक पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि की शुरुआत 25 मई को दोपहर 12. 11 बजे से शुरू होगी और अगले दिन यानी 26 मई को सुबह 08. 31 पर खत्म होगी। इस प्रकार उदया तिथि के अनुसार वट सावित्री व्रत 26 मई को किया जाएगा.
अनजाने में भी न करें गलतियां
लोकल 18 के साथ बातचीत के दौरान उत्तराखंड के ऋषिकेश में स्थित पुजारी शुभम तिवारी ने कहा कि वट सावित्री व्रत एक पवित्र और श्रद्धा से भरा हुआ पर्व है, जो नारी शक्ति और दांपत्य प्रेम का प्रतीक है. इस दिन किए गए व्रत और पूजन का फल तभी प्राप्त होता है, जब इसे पूरी श्रद्धा, नियम और अनुशासन के साथ किया जाए. वट सावित्री व्रत के दिन महिलाएं व्रत रखकर वट वृक्ष (बड़ के पेड़) की पूजा करती हैं. यह पेड़ त्रिदेवों – ब्रह्मा, विष्णु और महेश – का प्रतीक माना जाता है. इस दिन महिलाएं संकल्प लेकर निर्जला व्रत करती हैं और वृक्ष की परिक्रमा करती हैं. लेकिन इस पुण्य व्रत का संपूर्ण फल तभी प्राप्त होता है जब इसे शुद्ध आचार-विचार और नियमों का पालन करते हुए किया जाए. यदि व्रत में अनजाने में भी कुछ गलतियां हो जाएं तो उसका प्रभाव व्रती पर पड़ सकता है. इसलिए हर सुहागन महिला को इस दिन सावधानीपूर्वक सभी नियमों का पालन करना चाहिए.
इन बातों का रखें विशेष ध्यान
तामसिक भोजन से परहेज
व्रत वाले दिन मांस, मछली, प्याज, लहसुन जैसे तामसिक चीजों का सेवन वर्जित होता है. केवल सात्विक और शुद्ध भोजन ही करना चाहिए. व्रत के नियमों का उल्लंघन करने से पुण्य की हानि होती है.
न पहने काले और नीले कपड़े
व्रत के दिन लाल या पीले रंग के कपड़े पहनना शुभ माना जाता है. ये रंग ऊर्जा और सौभाग्य के प्रतीक होते हैं. काले या नीले रंग के कपड़े नकारात्मकता का संकेत माने जाते हैं, इसलिए इनसे बचना चाहिए.
भूलकर भी न करें बुरा व्यवहार
इस दिन किसी से कटु वचन या बुरा व्यवहार नहीं करना चाहिए. खासतौर पर महिलाओं को व्रत के दिन शांत, संयमित और प्रेमपूर्ण व्यवहार करना चाहिए. व्रत की भावना सेवा, प्रेम और श्रद्धा पर आधारित होती है.
अशुद्धता से रहें कोसों दूर
व्रत के दिन शरीर और मन दोनों की शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सुबह स्नान करके स्वच्छ वस्त्र पहनें और पूजा से पहले मानसिक शांति बनाए रखें. पूजा करते समय मोबाइल, टीवी आदि का प्रयोग न करें.
वट वृक्ष की पूजा विधि में न करें लापरवाही
पूजा करते समय सावधानीपूर्वक सभी विधियों का पालन करें. वट वृक्ष की परिक्रमा 7 बार करें, सूत (कच्चा धागा) लपेटें और पूजा सामग्री जैसे फल, फूल, दीप, अक्षत आदि का समुचित प्रयोग करें.
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