Thursday, April 17, 2025
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सिर्फ AC की ही हवा खाते हैं ये चूहे-खरगोश, खाते हैं डाइट चार्ट वाला खाना, 24 घंटे मिलता है VVIP ट्रीटमेंट


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मेरठ मेडिकल कॉलेज के एक कमरे में अगर आप जाएंगे तो अपनी जिंदगी पर लानत कर बैठेंगे. इस कमरे में रहने वाले चूहे और खरगोश राजाओं सी जिंदगी जी रहे हैं. आखिर क्यों दी जाती है इन्हें ये वीवीआईपी सुविधा?

सिर्फ AC की ही हवा खाते हैं ये चूहे-खरगोश, 24 घंटे मिलता है VVIP ट्रीटमेंट

मेरठ मेडिकल कॉलेज में ठाट से जी रहे ये चूहे और खरगोश (इमेज- फाइल फोटो)

इंसान क्या जिएगा ऐसी ज़िन्दगी जो यहां के चूहे खरगोश जी रहे हैं. इन चूहों और खरगोश के लिए एअर कंडीशन चौबीस घंटे ऑन रहता है. इसके अलावा इनकी देखभाल के लिए चौबीस घंटे डॉक्टर मौजूद रहता है. ये पढ़कर शायद आपको यकीन नहीं हो रहा होगा. लेकिन ये पूरी तरह से सच है. इनके खाने-पीने की व्यवस्था ऐसी है कि बस पूछो मत. हर मिनट इनका ख्याल रखा जाता है. बाकायदा चौबीस घंटे कैमरे से इनकी मॉनिटरिंग की जाती है. इनकी सेहत पर हर पल निगाह रखी जाती है.

ये नजारा है मेरठ मेडिकल कॉलेज का, जहां शोध के लिए रखे गए चूहों और खरगोश को वीवीआईपी ट्रीटमेंट दिया जाता है. इन जीवों पर हर दिन एक्सपेरिमेंट किये जाते हैं. ऐसे में इनकी बॉडी इसपर कैसे रियेक्ट करती है, इसपर नजर रखने के लिए कैमरे से इन्हें देखा जाता है. एक डॉक्टर हर वक्त कमरे में मौजूद रहता है. इन्हें किसी तरह की तकलीफ होने का अंदाजा मात्र ही कमरे में हड़कंप मचा देता है. एक आम इंसान को भी उतनी सुविधाएं नहीं मिलती, जितनी इस कमरे में रहने वाले चूहों और खरगोशों को दी जाती है.

कभी ऑफ़ नहीं होता एसी
इस समय गर्मी इतनी पड़ रही है कि इंसान की हालत खराब हो जाती है. लेकिन इन चूहों और खरगोशों के लिए चोबीस घंटे एसी चलता रहता है. मेरठ मेडिकल कॉलेज में बनाए गए एनिमल हाउस का ये नजारा है. शोध की वजह से मेडिकल कॉलेज के एनिमल हाउस को अपग्रेड किया गया है. जानवरों पर शोध के दौरान दवाओं के प्रयोग से वो ड्रग सेंसेटिविटी हो जाते हैं. कॉलेज के एनिमल हाउस में इस समय 150 चूहे और खरगोश हैं. इन्हीं पर डाक्टरी की पढ़ाई करने वाले छात्र शोध कर रहे हैं. एनिमल हाउस में शोध के 16 से ज्यादा प्रोजेक्ट संचालित हैं. यहां अब छह नए कमरे तैयार किए गए हैं, जिसमें सभी में एसी की सुविधा है. जानवरों को रखने के लिए पिंजरे बनाए गए हैं. खाने-पीने में जानवरों के हिसाब से उनकी डाइट तय की गई है. इन जानवरों को बोतल से पानी-दूध समेत अन्य पेय पदार्थ दिए जाते हैं. इनकी देखरेख के लिए कर्मचारी तैनात हैं. प्रयोग के लिए एनिमल हाउस में चूहे और खरगोश की संख्या बढ़ा दी गई है. सभी जानवरों को बाहर से मंगवाया गया है.

शोध में होते हैं इस्तेमाल
मेरठ मेडिकल कॉलेज के एनिमल हाउस के वेटेनरी अफसर मनीष सैनी का कहना है कि रिसर्च के साथ साथ इन जीवों की सेल भी की जाती है.ए निमल हाउस में हर रुल फॉलो किया जाता है. एसी का भी एक टेप्रेचर फिक्स है, उसी की हवा में चूहों और खरगोश को रखा जाता है. एनिमल हाउस में कोई भी चीज मैनुअल नहीं है. सभी सुविधाएं ऑटोमेटेड हैं. उन्होंने बताया कि अब मेढ़क पर रिसर्च नहीं होता है. इस कारण बाहर से चूहे और खरगोश लाए गए हैं. इन्हीं पर अब रिसर्च की जाती है. यहां यूजी-पीजी के स्टूडेंट्स आकर शोध करते हैं.

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