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Child Marriage: मंगलवार को बाल विकास विभाग को सूचना मिली कि जिले के एक गांव में 17 वर्षीय नाबालिग लड़के का विवाह पास के गांव की 19 वर्षीय लड़की के साथ होना तय हुआ है. इसी हफ्ते दोनों की सगाई है.

दोनों परिवार सगाई टालने पर राजी हो गए. (फोटो- सांकेतिक तस्वीर)
रुद्रप्रयाग. उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले से एक चौंकाने वाला मामला सामने आया है. यहां एक गांव में नाबालिग लड़के की 19 वर्षीय लड़की से इसी हफ्ते होने वाली सगाई की सूचना मिली. जिसके बाद बाल विकास विभाग की टीम फौरन दोनों के घर पर पहुंची और सगाई रुकवा दी. विभाग के अधिकारियों ने दोनों परिवारों को बताया कि बाल विवाह अपराध है और ऐसा करने पर सजा और जुर्माना दोनों हो सकता है. परिवार तो सगाई रोकने पर राजी हो गए लेकिन नाबालिग लड़का उसी लड़की के शादी करने की जिद पर अड़ा रहा. काफी समझाइश के बाद सगाई टाल दी गई.
मिली जानकारी के अनुसार, मंगलवार को बाल विकास विभाग को सूचना मिली कि जनपद के एक गांव में 17 वर्षीय नाबालिग लड़के का विवाह पास के गांव की 19 वर्षीय लड़की के साथ होना तय हुआ है. इसी हफ्ते दोनों की सगाई होनी है. सूचना पर जिला कार्यक्रम ऑफिसर डॉ अखिलेश मिश्र ने वन स्टॉप सेंटर की प्रशासक रंजना गैरोला भट्ट, चाइल्ड हेल्पलाइन के सुपरवाइजर सुरेंद्र सिंह और केस वर्कर अखिलेश सिंह को दोनों के घर भेजा. टीम ने परिवार को बताया कि बाल विवाह कानूनन अपराध है.
शादी करने पर अड़ा रहा नाबालिग
टीम ने परिजनों से कहा कि लड़की की नाबालिग से शादी होने पर दोनों परिजनों को दो-दो साल की जेल या एक लाख रुपये जुर्माना भरना पड़ सकता है या फिर जुर्माना और जेल दोनों हो सकती है. टीम ने नाबालिग लड़के को भी इस बारे में समझाया लेकिन वह लड़की के साथ शादी करने पर अड़ा रहा. अधिकारियों ने परिवारों को समान नागरिक संहिता (UCC) के बारे में भी जानकारी दी और बताया कि अगर वे लड़का-लड़की का जबरन विवाह करते हैं, तो कानूनी कार्रवाई की जाएगी. UCC के तहत विवाह का पंजीकरण अनिवार्य है और नाबालिग का रजिस्ट्रेशन नहीं हो सकता है.
जिले में रुकवाईं 17 शादी और सगाई
बाल विकास अधिकारी डॉ अखिलेश मिश्र ने कहा कि रुद्रप्रयाग जनपद में नाबालिगों की सगाई और विवाह रोकने के 17 प्रकरण हो चुके हैं. सभी मामलों में विभाग ने एक्टिव रहते हुए सगाई या शादी को समय रहते रुकवाया है. ग्रामीण इलाकों में विभाग जन-जागरूकता अभियान चला रहा है ताकि बाल विवाह जैसी सामाजिक कुरीति पर पूरी तरह से विराम लगाया जा सके.