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Dehradun News: दशकों से नौलों-धारों को बचाने की लड़ाई लड़ रहे द्वारिका प्रसाद सेमवाल, स्कूली बच्चे भी साथ


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Dehradun News: द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने लोकल 18 से कहा कि हमारे द्वारा इस साल को जल वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. हम लोग कई दशकों से जल संरक्षण की दिशा में काम कर रहे हैं.

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द्वारिका

द्वारिका प्रसाद सेमवाल ‘कल के लिए जल’ अभियान चला रहे हैं.

देहरादून. जलस्रोतों की धरोहरों के धनी राज्य उत्तराखंड के कई शहर गर्मियों के दिनों में पानी की किल्लत से जूझते हैं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने हाल ही में नौलों, धारों, तालाबों और कुओं को पुनर्जीवित करने के लिए अधिकारियों को निर्देश दिए हैं, वहीं दशकों से उत्तराखंड के पर्यावरणविद् द्वारिका प्रसाद सेमवाल इन्हें बचाने के लिए अभियान चला रहे हैं. उनके साथ जुड़कर लोग ‘कल के लिए जल’ अभियान के तहत पानी बचाने का काम कर रहे हैं. उनके कैंपेन से स्कूली बच्चे भी जुड़े हैं, जो लोगों को जागरूक करने का काम करते हैं. इस अभियान से लोगों को भावनात्मक रूप से जोड़ने के लिए सेमवाल ने लोगों को उनके जन्मदिन और खास अवसरों पर पुराने तालाबों को संरक्षित करने से लेकर नए तालाब निर्माण करवाने पर जोर दिया है.

द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने लोकल 18 से बातचीत में कहा कि हमारे द्वारा इस साल को जल वर्ष के रूप में मनाया जा रहा है. हम लोग कई दशकों से जल संरक्षण के काम में लगे हुए हैं. हम लोगों के जन्मदिन से लेकर प्रियजनों की याद में तालाब और जलकुंड बनाने का काम करते हैं. हमने अब तक लाखों जलकुंड और तालाब बनाए हैं. हम चाहते हैं कि तालाब और धाराओं को सीमेंट मुक्त और कुओं को अतिक्रमण मुक्त किया जाए. गांव से लेकर शहरों तक में इनकी जरूरत है. उत्तराखंड राजस्व के रिकॉर्ड में देहरादून में 49 तालाब हैं, जिनमें से 10 तालाब ऐसे हैं, जो अच्छी स्थिति नहीं हैं. तालाब, जोहड़ और बावड़ी अतिक्रमण मुक्त होकर पुराने रूप में ही संरक्षित रहे.

धामी सरकार के कदम की सराहना
उन्होंने कहा कि फरवरी में हमने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से यह मांग की थी कि देहरादून के तालाब और जोहड़ों को अतिक्रमण और प्रदूषण मुक्त किया जाए. सीएम धामी ने इस पर विचार कर प्राकृतिक जलस्रोतों, कुओं आदि को पुनर्जीवित करने की घोषणा की. हम सरकार के इस कदम की सराहना करते हुए उन्हें धन्यवाद देते हैं. सरकार के साथ-साथ आमजन को भी इस दिशा में अपना योगदान देना जरूरी है क्योंकि जनता की सहभागिता से ही जलस्रोतों को प्रदूषण मुक्त बनाया जा सकता है.

जलस्रोतों को गोद लेते हैं स्कूली बच्चे
द्वारिका प्रसाद सेमवाल ने आगे कहा कि समाज की भावी पीढ़ी यानी बच्चों को जलस्रोतों के महत्व और जल संकट की चिंता से जोड़ना जरूरी है, इसलिए जल संरक्षण के लिए स्कूली बच्चों के साथ मिलकर हम ‘कल के लिए जल’ अभियान चला रहे हैं, जिसमें स्कूली बच्चे जलस्रोतों को गोद लेकर पानी बचाने का संकल्प लेते हैं. जलस्रोत गोद लेने से वे इनका सही से रखरखाव कर सकेंगे और इनके महत्व को जान सकेंगे.

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नौलों-धारों को बचाने की लड़ाई, द्वारिका प्रसाद सेमवाल का अभियान ‘कल के लिए जल’



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