वाशिंगटन: अमेरिका के आम लोगों की जिंदगी पहले ही मुश्किलों में है. अब हालात और भी बदतर होने की कगार पर हैं. बढ़ती महंगाई और बर्ड फ्लू के चलते अंडों की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससे लोगों की थाली से यह सस्ता प्रोटीन धीरे-धीरे गायब होता जा रहा है. दूसरी तरफ, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीतियों ने लोगों की चिंताओं को और बढ़ा दिया है. दूसरे देशों से आयात होने वाले खाने-पीने का सामान महंगा होने की आशंका है, जिससे आम अमेरिकी परिवारों का बजट और चरमरा सकता है. यही कारण है कि शनिवार को देशभर में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए. ट्रंप समर्थकों ने इसका कनेक्शन जॉर्ज सोरोस से जोड़ा, जो अक्सर भारत विरोधी बयान देकर विवादों में रहे हैं.

अमेरिका में अंडों की कीमतें बढ़ी हैं. (Reuters)
अंडों की बढ़ी कीमतों के बीच ट्रंप प्रशासन की टैरिफ नीतियों ने एक नया खतरा पैदा कर दिया है. ट्रंप ने मेक्सिको और कनाडा जैसे देशों से आने वाले सामानों पर 25 फीसदी टैरिफ लगा रखा है. ये देश अमेरिका को ताजे फल, सब्जियां और अन्य खाद्य पदार्थों की बड़ी आपूर्ति करते हैं. उदाहरण के लिए, मेक्सिको से आने वाले एवोकाडो और टमाटर, जो अमेरिकी रसोई का अहम हिस्सा हैं, अब महंगे हो सकते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि टैरिफ का असर आयातकों पर पड़ेगा, जो बढ़ी हुई लागत को ग्राहकों पर डालेंगे. टैरिफ के ऐलान के बाद से ही पूरी दुनिया में शेयर बाजार पर असर दिख रहा है. ट्रंप विरोधियों का कहना है कि इससे अमेरिका के अरबपति ही अमीर बनेंगे. टैरिफ को लेकर सीनेटर रॉन वायडन ने अमेरिकी सीनेट में कहा, ‘लोग अपने रिटायरमेंट खातों को देखकर परेशान हैं, सुबह का कॉफी और अंडा महंगा हो गया है, लेकिन अरबपतियों को कोई फिक्र नहीं, क्योंकि उनके पास कांग्रेस में ट्रंप का साथ है.’

ट्रंप के खिलाफ अमेरिका में प्रदर्शन हुआ. (Reuters)
भारत के दुश्मन ने कराया अमेरिका में प्रदर्शन
अमेरिका में बढ़ते संकट के बीच शनिवार को 50 राज्यों में 1400 से ज्यादा जगहों पर ‘हैंड्स ऑफ’ प्रदर्शन हुए. बोस्टन, शिकागो, लॉस एंजिल्स, न्यूयॉर्क और वाशिंगटन डीसी जैसे शहरों में लाखों लोग सड़कों पर उतरे. ट्रंप को सत्ता में आए ढाई महीने नहीं हुए, लेकिन फिर भी उनके खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं, जो दिखाता है लोग उनकी नीतियों से परेशान हो गए हैं. नौकरी में कटौती, इमीग्रेशन पर सख्ती और टैरिफ के खिलाफ नाराजगी के कारण शनिवार को जनता सड़कों पर आई. वाशिंगटन में डेमोक्रेटिक सांसदों ने अरबपति एलन मस्क की भूमिका पर सवाल उठाए. मस्क ट्रंप के सलाहकार हैं और संघीय खर्चों में भारी कटौती कर रहे हैं.
फ्लोरिडा के सांसद मैक्सवेल फ्रॉस्ट ने कहा, ‘जब आप लोगों से चोरी करते हैं, तो लोग सड़कों पर उतरते हैं.’ ट्रंप समर्थकों ने इन प्रदर्शनों को खारिज करते हुए कहा कि यह ‘सोरोस, एंटीफा आदि की ओर से फंडेड मालिंगरर्स (कामचोर) का जमावड़ा’ है. जिस जॉर्ज सोरोस पर प्रदर्शन को फंड करने का आरोप है. वह एक मशहूर अरबपति हैं. लंबे समय से ट्रंप समर्थकों के निशाने पर रहे हैं. उन्हें भारत विरोधी बयानों के लिए भी जाना जाता है, खासकर जब उन्होंने कश्मीर मुद्दे पर भारत सरकार की आलोचना की थी. वहीं लोकतंत्र को लेकर भी विवादित बयान दिया था. ट्रंप समर्थकों ने भी अप्रत्यक्ष रूप से अमेरिकी प्रदर्शन को ‘भारत के दुश्मन’ की साजिश करार दिया, जिससे विवाद और गहरा गया.

ट्रंप के फैसले का असर दुनिया के शेयर बाजार पर दिखा.
ट्रंप से अरबपतियों को फायदा
डोनाल्ड ट्रंप के विरोधियों का कहना है कि ये टैरिफ नीतियां आम लोगों की मदद के बजाय ट्रंप के अरबपति दोस्तों को फायदा पहुंचाने की साजिश हैं.
‘डोनाल्ड ट्रंप दुनिया की सबसे मजबूत अर्थव्यवस्था को जला रहे हैं, रिपब्लिकन अरबपतियों और बड़ी कंपनियों के लिए बेलआउट पारित करना चाहते हैं. जब आम अमेरिकी परिवार घबराए हुए हैं, अरबपति यॉट और रियल एस्टेट खरीद रहे हैं, क्योंकि उन्हें पता है कि रिपब्लिकन उनकी पीठ थपथपाएंगे.’ – सीनेट में सीनेटर रॉन वायडन
एक्स पर एक पोस्ट में एक शख्स ने सवाल किया, ‘MAGA को विरोध से दिक्कत है तो सोरोस पर इल्जाम लगाते हैं, लेकिन एलन मस्क का लोगों को वोट के लिए पैसे देना सही कैसे है?’