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Kainchi Dham Neem Karoli Baba: सिद्धि मां स्वयं एक सिद्ध स्वरूपा संत थीं. जब नैनीताल के पास स्थित हनुमानगढ़ी मंदिर का निर्माण चल रहा था, तब नीम करौली बाबा ठंडी सड़क स्थित पाषाण देवी मंदिर में लेटे हुए थे.

नीम करौली बाबा उन्हें कात्यायनी का स्वरूप मानते थे.
नैनीताल. नीम करौली बाबा के बारे में तो लगभग सभी लोग जानते हैं लेकिन उनकी परम शिष्या श्री मां (सिद्धि मां) के बारे में बहुत कम लोगों को जानकारी है. श्री मां का भव्य मंदिर उत्तराखंड के नैनीताल में स्थित प्रसिद्ध कैंची धाम और हनुमानगढ़ी में स्थित है. नीम करौली बाबा उन्हें कात्यायनी का स्वरूप मानते थे. साल 1973 में बाबा के ब्रह्मलीन होने के बाद श्री मां ने ही कैंची धाम में आने वाले भक्तों का मार्गदर्शन किया और उन्हें बाबा के दिव्य स्वरूप के बारे में बताया. बाबा और श्री मां की पहली मुलाकात नैनीताल के हनुमानगढ़ी मंदिर के निर्माण कार्य के दौरान हुई थी. नीम करौरी बाबा के ब्रह्मलीन होने के बाद उनका आध्यात्मिक उत्तराधिकारी सिद्धि मां को माना गया. भक्त उन्हें श्रद्धापूर्वक श्री मां कहकर संबोधित करते थे. बाबा के जाने के बाद श्री मां ने कैंची धाम की संपूर्ण व्यवस्था को संभाला और आश्रम को एक सशक्त आध्यात्मिक केंद्र के रूप में स्थापित किया. नीम करौली बाबा श्री मां से अक्सर कहा करते थे, ‘मां, तू जहां भी रहेगी, वहीं मंगल होगा.’
सिद्धि मां का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा में हुआ था. उनकी 7 बहनें थीं. नैनीताल निवासी तुलाराम साह से उनका विवाह हुआ था. वह नैनीताल के माल रोड स्थित इंडिया होटल में रहती थीं. उनके पति नीम करौली बाबा के परम भक्त थे. जिसके बाद वह भी बाबा की अनुयायी बन गईं. पति के निधन के बाद उन्होंने अपना घर त्याग दिया था. कहा जाता है कि बाबा के साल 1973 में ब्रह्मलीन होने से पहले नीम करौली बाबा ने अपनी सारी शक्तियां सिद्धि मां को सौंप दी थीं. सिद्धि मां हर सप्ताह शनिवार और मंगलवार को कैंची धाम में भक्तों से मिलती थीं. भक्तों का विश्वास था कि श्री मां के दर्शन मात्र से ही उनकी सारी परेशानियां दूर हो जाती हैं.
‘पूरन देख, ठीक सामने कात्यायनी रहती हैं’
कैंची धाम ट्रस्ट के प्रबंधक प्रदीप शाह लोकल 18 को बताते हैं कि सिद्धि मां स्वयं एक सिद्ध स्वरूपा संत थीं. जब नैनीताल के पास हनुमानगढ़ी मंदिर का निर्माण चल रहा था, तब महाराज ठंडी सड़क स्थित पाषाण देवी मंदिर में लेटे हुए थे. तब अचानक उन्होंने अपने ठीक सामने माल रोड में स्थित इंडिया होटल की तरफ इशारा करते हुए अपने सेवक पूरन से कहा था कि ‘पूरन देख, ठीक सामने कात्यायनी रहती हैं, जिसके लिए हमें इन पहाड़ों में आना पड़ा.’ महाराज ने बता दिया था कि सिद्धि मां कात्यायनी का स्वरूप हैं. मां का परिवार भी महाराज के साथ जुड़ा हुआ था. उनके परिवार ने महाराज के साथ कई यात्राएं की थीं. प्रदीप बताते हैं कि जिस तरह भगवान श्रीराम के लिए हनुमान जी थे, ठीक उसी प्रकार नीम करौली बाबा के लिए श्री मां थीं.