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Nuclear Fusion Rocket: ब्रिटिश स्टार्टअप पल्सर फ्यूजन ने यूके स्पेस एजेंसी के साथ मिलकर “सनबर्ड” रॉकेट विकसित किया है, जो परमाणु संलयन से 805,000 किमी/घंटा की गति से चलेगा और मंगल की यात्रा को आधा कर देगा.

कई संगठन पृथ्वी पर ऊर्जा स्रोत के रूप में परमाणु संलयन के उपयोग पर शोध कर रहे हैं. (फोटो AFP)
हाइलाइट्स
- ब्रिटिश स्टार्टअप ने “सनबर्ड” रॉकेट विकसित किया.
- रॉकेट 805,000 किमी/घंटा की गति से चलेगा.
- मंगल की यात्रा का समय अब आधा होगा.
Science News in Hindi: कल्पना कीजिए एक ऐसा रॉकेट जो सूर्य की ऊर्जा से चलता हो, और आपको मंगल ग्रह तक कुछ ही महीनों में पहुंचा दे. यह विज्ञान कथा नहीं, बल्कि वास्तविकता बनने की ओर अग्रसर है. वैज्ञानिकों ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है जो परमाणु संलयन की शक्ति का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को अभूतपूर्व गति से चलाने का वादा करती है. यह न केवल मंगल ग्रह की यात्रा के समय को आधा कर देगा, बल्कि अंतरिक्ष अन्वेषण के नए द्वार भी खोलेगा.
ब्रिटिश स्टार्टअप पल्सर फ्यूजन ने यूके स्पेस एजेंसी के सहयोग से “सनबर्ड” नामक एक क्रांतिकारी रॉकेट अवधारणा का अनावरण किया है. यह रॉकेट परमाणु संलयन की शक्ति का उपयोग करके अंतरिक्ष यान को 805,000 किलोमीटर प्रति घंटे की अविश्वसनीय गति से चलाने में सक्षम होगा, जो नासा के पार्कर सोलर प्रोब की गति से भी अधिक है. पल्सर के सीईओ रिचर्ड डिनन का मानना है कि अंतरिक्ष, पृथ्वी की तुलना में संलयन के लिए अधिक अनुकूल वातावरण है.
तकनीकी चमत्कार
परमाणु संलयन, परमाणु विखंडन के विपरीत, हल्के तत्वों को मिलाकर भारी तत्वों का निर्माण करता है, जिससे अपार ऊर्जा उत्पन्न होती है. सनबर्ड रॉकेट में, यह प्रक्रिया प्लाज्मा के भीतर होती है, जिसे मजबूत चुंबकों का उपयोग करके गर्म किया जाता है. ईंधन के रूप में ड्यूटेरियम और ट्रिटियम का उपयोग किया जाएगा, जो सूक्ष्म मात्रा में ऊर्जा उत्पन्न करते हैं और कोई खतरनाक अपशिष्ट नहीं छोड़ते हैं.
भविष्य की उड़ानें
पल्सर का लक्ष्य 2027 में कक्षा में पहली बार संलयन प्राप्त करना है. यदि यह सफल होता है, तो सनबर्ड रॉकेट मंगल ग्रह की यात्रा के समय को आधा कर देगा, जिससे मानव अन्वेषण के नए युग की शुरुआत होगी. इसके अलावा, यह बृहस्पति, शनि और क्षुद्रग्रहों जैसे दूर के गंतव्यों तक की यात्रा को भी तेज करेगा.
आगे की चुनौतियां और संभावनाएं
परमाणु संलयन रॉकेट का विकास एक जटिल और खर्चीला प्रयास है. हालांकि, इसकी अपार क्षमता को देखते हुए, कई कंपनियां और संगठन इस तकनीक पर काम कर रहे हैं. इंपीरियल कॉलेज लंदन के वैज्ञानिक आरोन नोल का मानना है कि अंतरिक्ष यान प्रणोदन के लिए संलयन शक्ति का उपयोग करने की अपार संभावनाएं हैं.