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41 हजार साल पहले पृथ्वी पर सौर विकिरण बढ़ने से होमोसेपियन्स ने एक खास कॉस्मेटिक को सनसक्रीन की तरह उपयोग किया था. इसके अलावा गुफाओं और कपड़ों का इस्तेमाल कर खुद को बचाया, जबकि निएंथरथॉल खत्म हो गए. उत्तरी ध्रु…और पढ़ें

उस दौर में केवल होमोसेपियन्स ही खुद को बचा सके जबकि निएंडरथॉल खत्म हो गए थे. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
मानव इतिहास में होमोसोपियन्स ही इंसानी पूर्वजों और उनके जनदीकी संबंधियों में बचे रह गए. आज पुरातत्वविद बताते हैं कि एक समय होमोसेपियन्स के साथ ही पृथ्वी पर नियएंडरथॉल और कुछ अन्य प्रजातियां भी एक साथ रहती थीं. वहीं, इस दौर में 41 हजार साल पहले एक समय ऐसा भी आया था जब सौर विकिरण बहुत ही ज्यादा बढ़ गया था. इससे मानव जातियों पर कयामत ही आ गई थी. बचने के लिए होमोसेपियन्स ने कुछ बहुत ही कारगर तरीके अपनाए थे, जिनमें एक कॉस्मेटिक और कपड़ों का इस्तेमाल भी शामिल था. वे तो बच गए लेकिन निएंथरथॉल दुनिया से ही खत्म हो गए थे.
क्या हुआ था 41 हजार साल पहले
41 हजार साल पहले पृथ्वी पर एक बड़ी घटना हुआ थी. उस समय पृथ्वी के उत्तरी ध्रुव में बदलाव देखने को मिला था. इसकी वजह से पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ट बहुत ही कमजोर हो गई थी, जिससे सूर्य की हानिकारक किरणें पृथ्वी के वायुमडंल के भेद कर उसकी सतह पर आने में सफल हो गईं थीं.
कॉस्मेटिक ने बचाया
साइंस एडवांसेस में प्रकाशित अध्ययन में मिशिगन इंजिनियरिंग और एंथ्रोपोलॉजी के यू-एम विभाग के मुताबिक उस भायनक दौर में होमोसेपियन्स सिर्फ इसलिए बच पाए क्योंकि वे सनस्क्रीन और कपड़ों का इस्तेमाल करना जानते थे और इस विकिरण से बचने के लिए गुफाओं का भी सही से इस्तेमाल कर सके थे.
ध्रुव का पलटना
पृथ्वी का उत्तरी ध्रुव हर कुछ सालों में पलटता है और ऐसा अब तक 180 बार हो चुका है. 41 हजार साल पहले भी ऐसा हुआ हथा और उस समय यह ध्रुव यूरोप के ऊपर था. यह प्रक्रिया पूरी नहीं हुई थी और इस समय पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड बहुत ही कमजोर थी. यही वजह थी की पृथ्वी के बहुत सारे हिस्से में पराबैंगनी विकिरण आने लगा था. जिससे पृथ्वी पर रहने वालों के लिए हालात बहुत ही खराब हो गए थे.

उस समय पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड बहुत ही कमजोर हो गई थी. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
क्या था वह सन्सक्रीम
अध्ययन में पाया गया कि होमोसेपियन्स उस समय ओकरे नाम के एक खनिज खोज चुके थे जिसका एक अहम गुण हानिकारक सूर्य की किरणों से बचाव कर पाना था. यानि वे इसे एक सन्सक्रीन जैसे कॉस्मेटिक की तरह इस्तेमाल करते थे. इसके अलावा होमेसेपिन्यस ने ना केवल गुफाओं की शरण ली बल्कि कपड़ों के इस्तेमाल से भी उन्हें काफी मदद मिली.
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शोध के प्रमुख लेखक अंग्नित मुखोपाध्याय ने पृथ्वी के मैग्नेटिक फील्ड और उसके सूर्य के प्लाज्मा से टकराव का अध्ययन किया जब पृथ्वी की मैग्नेटिक फील्ड में बदलाव हुआ था, यानी जब उत्तरी ध्रुव खिसका था तब मैग्नेटिक फील्ड आज की तुलना में केवल 10 फीसदी थी और भूमध्य रेखा पर तो सबसे कमजोर थी. इसी समय को लासचैम्प्स एक्सक्रूज़न कहते हैं. उसी दौर में इंसानों में बदलाव हुए, ओकरे यानी सन्सक्रीन्स का इस्तेमाल बढ़ा. सिले हुए कपड़े ज्यादा पहने जाने लगे. इसके बहुत से मिले हैं.