Monday, April 21, 2025
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डिलिवरी एजेंट बनकर क्रिएटिव हेड ने समझी डिलिवरी कर्मचारियों की समस्याएं


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सलमान सलीम, वाइब्स नेटवर्क के क्रिएटिव हेड, ने एक दिन ब्लिंकिट डिलिवरी एजेंट बनकर कर्मचारियों की समस्याओं को समझा. उन्होंने बताया कि उन्हें सम्मान नहीं मिलता और भेदभाव होता है. यहां तक कि उन्होंने कहा कि छुआछूत…और पढ़ें

एक दिन का डिलीवरी बॉय बना अफसर, कहा- जाति ही नहीं, ये भी हैं छुआछूत के शिकार!

कंपनी का क्रिएटिव हेड को लोगों का भेदभाव का बर्ताव देख बहुत दुख हुआ. (तस्वीर: Linkedlin)

हाइलाइट्स

  • सलमान सलीम ने ब्लिंकिट डिलिवरी एजेंट बनकर कर्मचारियों की समस्याएं समझीं
  • सलीम ने बताया कि डिलिवरी एजेंट्स को सम्मान और भेदभाव का सामना करना पड़ता है
  • सलीम ने डिलिवरी कर्मचारियों के प्रति जागरूकता अभियान चलाने की ख्वाहिश जताई

बड़ी कंपनियों के प्रमुख और मालिक कई बार छोटे काम करते देखे गए हैं. वे इस तरह से अपने अधीनस्थ कर्मचारियों के लिए मिसाल पेश करते हैं. कई बार ऐसे कामकरने वालों के हालात और दर्द तकलीफ भी समझने के लिए ऐसा करते हैं. दिल्ली में रहने वाले एक इंफ्लूएंसर मार्केंटिंग कंपनी के क्रिएटिव हेड ने भी कुछ ऐसा ही किया और ब्लिंकिट डिलिवरी एजेंट बन कर पूरा दिन गुजारकर डिलिवरी करने वालों के हालात समझने की कोशिश की.  पूरे दिन के अनुभव के बाद जो उन्होंने सोशल मीडिया पर शेयर किया वह चौंकाने वाला था. उन्होंने कहना है कि, “जाति ही नहीं, ये भी हैं छुआछूत के शिकार.”

सामान डिलिवरी करने वालों की समस्याएं
वाइब्स नेटवर्क में काम करने वाले सलमान सलीम के लिए यह अनुभव बहुत अच्छा नहीं रहा.  वे जानना चाहते थे कि डिलिवरी करने वाले किन हालात और अनुभवों से गुजरते हैं. अपनी लिंक्डइन पोस्ट में उन्होंने बताया कि यह व्यवसाय अब भी सच्चे सम्मान की तलाश में है. पूरा का पूरा एक दिन डिलिवरी बॉय की तरह बिताने के बाद तो उनका कार्य और संस्कृति के प्रति जैसे नजरिया ही बदल गया है.

क्या क्या झेलना पड़ता है उन्हें?
सलीम बताते हैं कि इन लोगों को  दिन भर ट्रैफिक जाम, मुश्किल मौसम, को झेलना पड़ता है और फिर भी उन्हें वह सम्मान नहीं मिलता है जिसके वे हकदार होते हैं. उन्होंने बताया कि केवल पुलिसवाले ही नहीं, यहां तक कि एसी कार में सफर करने वाले भी इन लोगों को “दूसरे दर्जे के यात्रियों“ की तरह बर्ताव करते हैं.

लिफ्ट का इस्तेमाल करे से रोका
हैरानी की बात तो ये थी कि कई बार तो उन्हें मुख्य लिफ्ट का इस्तेमाल करने से रोका गया. उन्हें या तो सीढ़ियों का या फिर सर्विस लिफ्ट इस्तेमाल करने को कहा गया. कई बार तो उन्हें चौथी मंजिल के लिए भी सीढ़ियां उपयोग करने को कहा गया.  इस तरह का बर्ताव हाउसिंग सोसाइटी, अमीरों और शिक्षितों के घरों में आम है.

यह है ख्वाहिश
सलीम ने यह भी चाहते हैं कि घरेलू सामान की डिलिवरी कराने वाली कंपनियां एक जागरूकता अभियान चलाएं जिससे डिलिवरी कर्मचारियों के प्रति भेदभाव कम हो और उन्हें सम्मान मिले जिसके वे हकदार हैं. इससे लोग उनसे सार्वजनिक स्थानों पर अच्छे से बर्ताव करेंगे.

यह भी पढ़ें: जब विदेशियों ने ट्राइ किए गोलगप्पे, रिएक्शन देख खुशी से झूमे हिंदुस्तानी, कहा- ‘पानीपुरी जान है जान’

सलीम की पोस्ट वायरल हो गई. उसे ढाई हजार से भी ज्यादा लाइक्स मिले. कमेंट्स में भी लोगों ने सलीम के अनुभवों से सहमति जताई और उनके अभियान चलाने के सुझाव का समर्थन किया. वहीं कुछ लोगों ने लोगों की करनी और कथनी के अंतर पर भी दुख जाहिर किया. शंकर केएस ने तो सलाह दी कि हर नागरिक को आर्मी में जरूर भेजना चाहिए जिससे वो अनुशासन और जवाबदेही सीख सके.

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