Monday, April 21, 2025
spot_img
HomeOMGमंदिर में महंत या यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर? सूरत के इस पुजारी की...

मंदिर में महंत या यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर? सूरत के इस पुजारी की डिग्री सुनकर आप रह जाएंगे हैरान!


Last Updated:

Surat Temple PHD Priest: सूरत के 222 साल पुराने सलाबतपुरा भवानी मंदिर के महंत पियूषानंदजी ने शास्त्रविद्या में Ph.D. की है. यहां की महंत परंपरा में शिक्षा और भक्ति का संतुलन है, जो मंदिर को विशेष बनाता है.

मंदिर में महंत या यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर?इस पुजारी की डिग्री सुन होंगे हैरान!

महंत पियूषानंदजी ने शास्त्रविद्या में Ph.D. की.

हाइलाइट्स

  • सूरत के सलाबतपुरा भवानी मंदिर के महंत ने शास्त्रविद्या में Ph.D. की.
  • मंदिर की महंत परंपरा में शिक्षा और भक्ति का संतुलन है.
  • पियूषानंदजी ने 2017 में BAMU से Ph.D. प्राप्त की.

सूरत: मंदिर में पुजारी यानी महंत की महत्वपूर्ण और सम्मानित भूमिका होती है, लेकिन आमतौर पर पुजारी के पढ़ाई के लिए Ph.D. की आवश्यकता नहीं होती. पुजारी सामान्यतः धार्मिक शिक्षा और अनुष्ठानिक ज्ञान प्राप्त करते हैं, लेकिन इसमें Ph.D. जैसी औपचारिक शिक्षा का स्तर (Level of formal education) देखने को नहीं मिलता. हालांकि सूरत के इस मंदिर में एक पुजारी की पढ़ाई सुनकर आप चौंक जाएंगे.

222 साल पुराना ऐतिहासिक मंदिर
दरअसल, सूरत का सलाबतपुरा भवानी मंदिर 222 साल पुराना ऐतिहासिक मंदिर है. यहां हर साल लाखों भक्त दर्शन के लिए आते हैं. यहां नि:संतान दंपति मन्नत मांगते हैं और उनकी मन्नत पूरी होने के बाद वे अपने बच्चे की फोटो यहां की दीवार पर लगा देते हैं. इतना माता का सत्य है, लेकिन यहां महंत के रूप में सेवा दे रही पीढ़ी की एक खासियत है जो सुनने लायक है.

इस मंदिर की खासियत सिर्फ इसके धार्मिक या ऐतिहासिक महत्व में ही नहीं है, बल्कि यहां की महंत पीढ़ी की परंपरा भी उतनी ही अनोखी है. यहां के महंत सिर्फ पूजा-पाठ में ही विशेषज्ञ नहीं हैं बल्कि अन्य शैक्षणिक और व्यावसायिक क्षेत्रों में भी गहरी जानकारी रखते हैं. अतीत से लेकर आज तक यहां सेवा देने वाली पीढ़ी ने ज्ञान और भक्ति का संतुलन बनाए रखा है. वर्तमान पुजारी पियूषानंदजी भी इस परंपरा को जीवित रख रहे हैं. वे सिर्फ एक आध्यात्मिक मार्गदर्शक नहीं हैं, बल्कि शास्त्र में Ph.D. प्राप्त करने वाले विद्वान हैं.

शास्त्रविद्या में Ph.D.
वर्तमान में यहां महंत के रूप में सेवा दे रहे पियूषानंदजी भी इस परंपरा को निभाते हुए आध्यात्मिकता के साथ शिक्षा का महत्व समझते हैं. उन्होंने शास्त्रविद्या में Ph.D. हासिल करके दिखाया है कि आध्यात्मिक मार्गदर्शन ज्ञान के आधार के बिना अधूरा है. वे आधुनिक युग में धर्म को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझाने का प्रयास करते हैं. सलाबतपुरा भवानी मंदिर आज सिर्फ भक्ति का स्थान नहीं रहा, बल्कि यह एक ऐसी संस्था बन गई है जहां धर्म, संस्कृति और ज्ञान तीनों का सहअस्तित्व है. इस तरह यह मंदिर सूरत के लिए गर्व का प्रतीक बन गया है.

350 रुपये किलो से 650 रुपये तक! ये कोई आम पेड़ा नहीं, सिहोर का राधे पेड़ा है जनाब, देशभर में मशहूर

इस बारे में डॉ. पियूषानंदजी महाराज ने बताया, “मैं इस मंदिर में महंत के रूप में हूं. यह मेरी 21वीं पीढ़ी की गद्दी है. मैंने शास्त्र वेदांत पर Ph.D. किया है. वर्ष 2017 में मैंने BAMU से Ph.D. किया है. यह मेरी वर्षों से चलती परंपरा है. उस परंपरा के अनुसार माता का सत्व बनाए रखने और उनकी सेवा वैदिक परंपरा से शुरू रखने के लिए Ph.D. करने के बाद भी माता की सेवा में जुड़ा हूं. शिक्षा सबसे ज्यादा जरूरी है और शिक्षा से ही मनुष्य का उद्धार होता है. इसलिए शिक्षा के साथ समन्वित करके धर्म का प्रचार करना यह विचार में भगवती की कृपा से आया और उसके बाद इसे अमल में लाया.” उन्होंने आगे बताया, “यहां जो महंत रहे वे किसी न किसी क्षेत्र से जुड़े और विशेषज्ञ रहे हैं और आज भी हम इस परंपरा को बनाए रखे हैं. कुछ महंत पुराने समय में शिक्षक, कोई प्रोफेसर तो कोई इंजीनियर रहे हैं.”

homeajab-gajab

मंदिर में महंत या यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर?इस पुजारी की डिग्री सुन होंगे हैरान!



Source link

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img

Most Popular

Recent Comments